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Maha politics of NCP Congress pushing Shiv Sena ahead of itself - Sabguru News
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एनसीपी-कांग्रेस की ‘महा-सियासत’ शिवसेना को पीछे धकेल खुद आगे

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एनसीपी-कांग्रेस की ‘महा-सियासत’ शिवसेना को पीछे धकेल खुद आगे
Maha politics of NCP Congress pushing Shiv Sena ahead of itself
Maha politics of NCP Congress pushing Shiv Sena ahead of itself
Maha politics of NCP Congress pushing Shiv Sena ahead of itself

महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के शिवसेना को सरकार बनाने के आमंत्रण दिए जाने के बाद सोमवार को लग रहा था कि शिवसेना राज्य में सरकार का गठन कर लेगी। दोपहर होते-होते उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने की जोर-शोर से चर्चा भी शुरू हो गई थी। राज्य में सरकार बनाने के लिए शाम 7:30 बजे से पहले शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन वाले पत्र को राज्यपाल को देना बाकी रह गया था।

लेकिन तय समय तक कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना को अपनी समर्थन की चिट्ठी नहीं दी। हालांकि शिवसेना के विधायक आदित्य ठाकरे ने राज्यपाल से एक बार फिर दो दिन का समय बढ़ाने की मांग की लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना की इस मांग को ठुकरा दिया। इस प्रकार महाराष्ट्र में सरकार गठन का रास्ता एक बार फिर अटक गया। लेकिन शिवसेना कह रही है कि उसका अभी भी दावा बरकरार है, वही सरकार बनाएगी।

दूसरी ओर सोमवार शाम आठ बजे राज्यपाल ने महाराष्ट्र के तीसरे सबसे बड़े दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। अब एनसीपी आज शाम तक सरकार बना पाती है या नहीं ? एनसीपी को शिवसेना समर्थन देती है कि नहीं ? आज शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी।

कांग्रेस-एनसीपी का शिवसेना को समर्थन देने पर सस्पेंस बरकरार रहा

सोमवार शाम चार बजे कांग्रेस कार्यसमिति की दूसरी बैठक के बाद भी पार्टी ने शिवसेना को समर्थन देने पर कोई फैसला नहीं लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी महाराष्ट्र में सरकार गठन के वास्ते शिवसेना को समर्थन देने पर फैसला करने के लिए सोमवार की शाम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।

राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देना है या नहीं, इस संबंध में फैसला करने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और सुशील कुमार शिंदे के साथ-साथ पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख बालासाहेब थरोट ने सोनिया गांधी से मुलाकात की।पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी, अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, के सी वेणुगोपाल ने बैठक में भाग लिया था।

इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की और उनसे महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा। शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस की दूसरी महत्वपूर्ण बैठक से पहले ठाकरे ने सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी। लेकिन कांग्रेस की ओर से देर शाम तक उद्धव ठाकरे को समर्थन देने पर सस्पेंस बनाए रखा। ऐसे ही एनसीपी ने भी शिवसेना को समर्थन देने पर खुलकर बात नहीं की।

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी का ख्वाब देख रही थी शिवसेना

मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के ख्वाब देख रही शिवसेना के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। एनसीपी और कांग्रेस की टाल-मटोल के बीच शिवसेना फंस गई है। पहले खबर यह भी आई थी कि कांग्रेस बाहर से शिवसेना को समर्थन देगी लेकिन बाद में कांग्रेस के प्रेस नोट से यह खबर अफवाह साबित हो गई। महाराष्ट्र में सोमवार की रात बेहद सियासी ड्रामे वाली रही।

रात होते-होते स्थितियां ऐसी बदलीं कि शिवसेना खुद को ठगा सा महसूस करने लगी। अब सत्ता के फेर में शिवसेना काे यह सौदा महंगा पड़ने लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी शिवसेना को झटका कांग्रेस और एनसीपी दोनों की ओर से लगा।

क्या एनसीपी की अगुवाई में बनने वाली सरकार को शिवसेना समर्थन देगी ?

आज अगर एनसीपी-कांग्रेस राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश करती हैं तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिवसेना इन दोनों को अपना समर्थन देगी ? एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? और किस पार्टी का ? एनसीपी और कांग्रेस ने शिवसेना की अगुवाई में सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन सोमवार को नहीं दिया था।

दूसरी ओर एनसीपी नेता अजीत पवार ने स्पष्ट किया है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच बात हुई है। उन्होंने कहा कि एनसीपी नेता मंगलवार को पहले कांग्रेस से चर्चा करेंगे उसके बाद शिवसेना के साथ बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में संख्या बल के मुताबिक तीनों मिलकर ही सरकार बना सकते हैं।

भाजपा से गठबंधन तोड़ना शिवसेना के लिए हो सकता है घातक

भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ना शिवसेना को महंगा पड़ सकता है। शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस की जुगलबंदी को देखकर भाजपा अब महाराष्ट्र में शिवसेना के खिलाफ विश्वासघात अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद सबसे बड़े दल के तौर पर राज्यपाल ने सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया था। लेकिन शिवसेना से मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी रार के बीच वह बहुमत नहीं हासिल कर पाई।बीजेपी ने पहले ही राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने में अपनी असमर्थता जता चुकी है क्योंकि उसके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है। राज्य में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन सीएम पद को लेकर शिवसेना ने एनडीए-बीजेपी का साथ छोड़ दिया।

क्या एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस आपस में बैठा पाएंगी तालमेल

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस के पास पर्याप्त बहुमत है। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि शिवसेना की विचारधारा कांग्रेस और एनसीपी के बिल्कुल विपरीत है ।कांग्रेस और एनसीपी ने तो राज्य में विधानसभा चुनाव मिलकर साथ लड़ा था दोनों की विचारधाराएं भी एक है। महाराष्ट्र में विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है। चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती है। अब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 154 पहुंच जाती है जो सरकार बनाने के लिए काफी है। लेकिन इस फॉर्मूले पर अब तक कोई आखिरी निर्णय नहीं हो सका है।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार सियासत के मझे हुए खिलाड़ी निकले

महाराष्ट्र में चुनाव में तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनती है तो इसके पीछे शरद पवार का पावरफुल गेम माना जा रहा है। दूसरी ओर कट्टर हिंदूवादी विचारधारा वाली पार्टी शिवसेना के साथ खुलकर आना कांग्रेस के लिए झारखंड और अन्य राज्यों के चुनाव में नुकसान का सौदा साबित होता। एनसीपी के साथ कांग्रेस ने भी शिवसेना को समर्थन देने पर पेंच फंसाए रखने का नाटक किया। साथी ही एनसीपी और कांग्रेस ने शिवसेना के सरकार बनाने के दावे को भी विफल कर दिया। अब एनसीपी की अगुवाई वाली सरकार का रास्ता खुल गया है, इसके पीछे पूरा दिमाग राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार का माना जा रहा है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार