महाराष्ट्र। दो माह पहले ही महाराष्ट्र में राज्यपाल का पद ग्रहण करने वाले भगत सिंह कोश्यारी के लिए राज्य में सरकार के गठन को लेकर राजनीति दलों के बीच मचे जबरदस्त सियासी घमासान से निपटना कम चुनौती नहीं रही, वह भी तब जब उनका राज्यपाल बनने का पहला अनुभव है। आखिरकार मंगलवार को 19 दिन के बाद राज्य में किसी भी दल के सरकार न बनाने पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने विवेक का निर्णय लेते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की गृह मंत्रालय को सिफारिश भेज दी। राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी और महाराष्ट्र में 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। हालांकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल के द्वारा सरकार बनाने के लिए और समय न दिए जाने पर आलोचना भी की गई। वहीं शिवसेना इससे पहले ही राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। लेकिन कोश्यारी ने इसकी कोई परवाह नहीं की और अपने संवैधानिक अधिकारों का सही फैसला किया।
सरकार बनाने की सभी कोशिश फेल, तभी राष्ट्रपति शासन लगाने की भेजी सिफारिश
राज्यपाल ने महाराष्ट्र में सबसे पहले विधानसभा चुनाव में बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन जब भाजपा सरकार नहीं बना सकी तो उसके बाद कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया। शिवसेना भी तय समय पर जब अपनी सरकार नहीं बना सकी तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उसके बाद एनसीपी काे सरकार बनाने के लिए समय दिया। लेकिन एनसीपी भी महाराष्ट्र में सरकार गठन नहीं कर सकी। अब राज्यपाल कोश्यारी को अनुमान हो गया था कि राज्य में सरकार का गठन लगभग नहीं हो सकता है। मंगलवार को राज्यपाल ने रिपोर्ट में कहा था कि सरकार बनाने की सारी कोशिशें की गयीं लेकिन कोई संभावना नहीं दिखी इसलिए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जाती है। राज्यपाल की सिफारिश के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में कैबिनेट की आपातकाल बैठक बुलाई। राज्यपाल की सिफारिश पर कैबिनेट ने मुहर लगाई और शाम तक राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी। इस तरह महाराष्ट्र में पिछले 19 दिनों से जारी सियासी ड्रामा खत्म हो गया।
भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के हैं निवासी, मुख्यमंत्री भी रहे हैं
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने बेहद सादे जीवन के लिए जाने जाते हैं। 77 साल के कोश्यारी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले कहने वाले हैं। साल 1997 में अभिवाजित उत्तर प्रदेश में एमएलसी रहे भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के बनने के बाद नित्यानंद स्वामी की सरकार में मंत्री रहे। इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पार्टी उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया था।
कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से लेकर एक मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे। कोश्यारी ने इसी साल सितंबर में महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी।
भाजपा के लोकसभा सदस्य के साथ कई पदों पर रहे हैं कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी वर्ष 2007 से 2009 तक भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे थे। उसके बाद 2007 में भाजपा ने उत्तराखंड में वापसी की लेकिन कोश्यारी को सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठाया गया था। साल 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने उतरी बीजेपी ने कोश्यारी को नैनीताल से चुनाव मैदान में उतारा था। यहां से उन्होंने जीत दर्ज की और इस तरह वे पहली बार लोकसभा पहुंचे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने कई दिग्गजों के टिकट काटे तो उनमें भगत सिंह कोश्यारी का भी नाम था। लेकिन बाद में भाजपा ने सितंबर में भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाकर भेजा।
कोश्यारी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे
भगत सिंह कोश्यारी ने अंग्रेजी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है । वे अल्मोड़ा में अपने कॉलेज के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। साल 1961-62 में कोश्यारी कॉलेज छात्र संघ का चुनाव लड़े और जनरल सेक्रेटरी चुने गए। कोश्यारी ने देश में आपातकाल ( वर्ष 1975-77 ) के दौरान भी जमकर विरोध किया था। उत्तराखंड के दिग्गज भाजपा नेता अजय भट्ट, रमेश पोखरियाल निंशक (वर्तमान में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री हैं ) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार