सिरसा। हरियाणा सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में सिरसा जिले के चौटाला गांव निवासी दो विधायक केबिनेट मंत्री बने हैं। ये दोनों विधायक रिश्ते में दादा पोता हैं। राज्य की 14वीं विधानसभा में अलग अलग दलों के पांच विधायक इस गांव के निवासी हैं।
गत 21 अक्तूबर को हुए 14 वीं विधानसभा के चुनावों में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल परिवार के छह सदस्य अलग-अलग दलों से चुनावी दंगल में उतरे। इनमें डबवाली सीट से भाजपा प्रत्याशी आदित्य चौटाला कांग्रेस के अमित सिहाग से चुनाव हार गए। अभय चौटाला-ऐलनाबाद, रणजीत सिंह-रानियां से निर्दलीय, जननायक जनता पार्टी की नैना चौटाला जजपा-बाढड़ा और दुष्यंत चौटाला उचाना से चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचे हैं।
देवीलाल जयंती पर गत वर्ष गोहाना में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में मनमुटाव के चलते बेशक चौटाला परिवार अलग-थलग हो गया लेकिन हाल के विधानसभा चुनावों में अपनी सियासी विरासत बचाने में कामयाब रहा। करीब 31 वर्षों के अंतराल के बाद चौटाला परिवार से एक साथ दो कैबिनेट स्तर के मंत्री बन पाए हैं। वर्ष 1988 में चौधरी देवीलाल जब मुख्यमंत्री बने तो अपने मंझले बेटे रणजीत सिंह को केबिनेट स्तर का मंत्री बनाकर कृषि विभाग जैसा प्रभावी विभाग दिया।
चौधरी देवीलाल के केंद्र में चले जाने के बाद उतराधिकारी की छिड़ी जंग में रणजीत सिंह चुनावी जंग में ओम प्रकाश चौटाला से हार गए और पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके बाद रणजीत सिंह ने कांग्रेस और भाजपा की ओर से अलग-अलग विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ते रहे लेकिन विधानसभा नहीं पहुंच पाए। कई बार हार का मुंह देखने के बाद अबकी बार कांग्रेस ने रानियां विधानसभा सीट से उन्हें टिकट नहीं दी। रणजीत सिंह हार न मानते हुए आजाद प्रत्याशी के तौर पर दंगल में कूद पड़े और विजयश्री प्राप्त की।
भाजपा के इस विधानसभा चुनाव में अल्पमत में रह जाने के कारण बढ़ी बूझ के चलते परिणाम के दिन ही रणजीत सिंह ले भाजपा को अपने समर्थन का ऐलान कर दिया था और उसी ईनाम के तहत वह केबिनैट स्तर के मंत्री बने। उनके मंत्री बनने के साथ ही प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे चौटाला गांव से जजपा नेता दुष्यंत चौटाला सरकार में उप मुख्यमंत्री पद पर हैं।
रणजीत सिंह चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं तो दुष्यंत चौटाला परपौत्र हैं। अब दादा पोता की जोड़ी एक साथ सदन में बैठेगी। रणजीत सिंह के मंत्री बनने के बाद आज उनके आवास पर समर्थक एकत्रित हुए और खुशी में पटाखे फोड़े और मिठाई बांटते हुए ढोल की थाप पर खूब नाचे। बता दें कि करीब आठ साल से अंतराल के बाद सिरसा जिले में कोई विधायक मंत्री बन पाया है। भूपेंद्र हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा के गितिका केस में आरोपी हो जाने के कारण उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था।