सबगुरु न्यूज। ईश्वर का आशीर्वाद सब के लिए होता है क्योंकि वह समदर्शी है, अर्थात सभी को एक ही नज़र से देखते हैं। ईश्वर अदृश्य शक्ति का अदृश्य देव होता है जो प्रकट रूप से दिखाई नहीं देता और अप्रकट रूप से अपनी बनाईं सृष्टि का बिना बाहरी हस्तक्षेप से अपनी इच्छा के अनुसार ही संचालन करता है।
ईश्वर की इच्छा ही प्रकृति की हर घटना को अंजाम देती है। दिन, रात, जमीन, आसमान, हवा, पानी, अग्नि से लेकर जीवों के जन्म से लेकर मृत्यु तक सब उसी के आशीर्वाद से सदा चलते रहते हैं। ईश्वर व्यक्ति विशेष या जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, भाषा, अमीर, गरीब, पक्ष, विपक्ष आदि का ही नहीं होता, क्योंकि यह सारी परिभाषाएं मानव ने अपने स्वभाव वश बनाई है।
ईश्वर इन सदा दूर रहा है और बिना भेदभाव अपना वरदान व आशीर्वाद सभी को देता है। उसी की कृपा से यह पृथ्वी मानव के लिए झूला बन कर उन्हें प्रतिक्षण झूला रही है।
ईश्वर की इस रचना और मनोवृत्ति के वशीभूत होकर मानव ने अपने इस संसार में एक कृत्रिम वातावरण का निर्माण कर संस्कृति का उदय किया। ज्ञान, बल और कर्म इस संस्कृति का अपने अनुसार बंटवारा करता रहा और मानव का भारी समाज, विभाजन के खेल में बस गया। कोई ज्ञान का तो कोई बल का ओर कोई कर्म का एक अनुयायी बनता चला गया।
इसी क्रिया में कोई जमीन का ईश्वर कहलाने लगा। यही जमीनी ईश्वर शनैः शनैः इस संसार रूपी सागर मे स्वंय को ही पूजवाने लगा ओर अपने अनुयायियों को अपना आशीर्वाद बांटता रहा। जमीन पर बने या बनाए गए भगवान समदर्शी नहीं होते इस कारण अदृश्य शक्ति के अदृश्य ईश्वर से भिन्न होते हैं। इस कारण जमीन पर बने या बनाए गए ईश्वर केवल अपनों के लिए ही काम करते हैं और केवल अपनी ही दुनिया को सत्य साबित करने में लगे रहते हैं।
संतजन कहते हैं कि हे मानव, तुझे अदृश्य शक्ति के अदृश्य ईश्वर के अघोषित आशीर्वाद जन्म के साथ ही मिल गए हैं। भले ही जमीन के ईश्वर तुझे आशीर्वाद दे या श्राप। कर्म ही फल की प्राप्ति का माध्यम है और कर्म ही भाग्य के द्वार की ओर ले जाता है।
सतयुग त्रेता युग के हर धर्म कर्म जब द्वापर में मात खाने लगे तब श्रीकृष्णजी समझ गए कि अब युग बदलाव की ओर जा रहा है तथा हर विजय के लिए सिद्धान्त नहीं वरन मौके की स्थिति के अनुसार जबाब देना चाहिए। सत्य से लडने वाले को सत्य से और छल, कपट, धोखा देकर लड़ने वाले से उसी तरह का “व्यवहार” ही विजय के आशीर्वाद दिलाता है।
इसलिए हे मानव, तू आसमान के ईश्वर पर भरोसा रख क्योंकि उसका आशीर्वाद सभी के लिए है। चाहे वह ईश्वर को मानने वाला है या नहीं। आसमान के ईश्वर को इस विषय से मतलब नहीं होता है वरन जमीन के ईश्वर ही इस बात का ध्यान रखते हैं कौन मेरा है और कौन पराया। इसलिए जमीनी की स्थिति को जान, उसे अच्छी तरह देख फिर अपना विजयी अभियान शुरू कर।
सौजन्य : ज्योतिषाचार्य भंवरलाल, जोगणियाधाम पुष्कर