नई दिल्ली। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए एक चिंता का विषय है। इसमें सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जिन वैज्ञानिकों के भरोसे हमने प्रकृति को बांधने की कोशिश की थी, आज वही सबसे अधिक भयभीत हैं।
जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में एक कठिनाई यह भी है कि विकसित देश अपने विकास की रफ़्तार कम किए बगैर विकासशील देशों की तरक्की की कीमत पर यह परिवर्तन प्राप्त करना चाहते हैं। शेखावत ने कहा कि ऐसे में विकासशील देश भारत को नेता के रूप में देखते हैं।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यदि जलवायु परिवर्तन को रोकना है तो अभी जागना अनिवार्य है, क्योंकि अब विकास के साथ आगामी पीढ़ी के लिए सुखद वातावरण तैयार करने की अनिवार्यता भी जुड़ गई है। मेरे लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल का मतलब है कि हमारी आने वाली पीढ़ी स्वच्छ वातावरण में चिंतामुक्त जीवन व्यतीत करे। गरीबी विश्व से समाप्त हो और दुनिया के सभी देशों में रहने के लिए एक स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो।
उन्होंने कहा कि विकसित देश एक्सपोर्ट में माहिर थे, जबकि विकासशील देश जरूरत के साधन इंपोर्ट करने की वजह से विकास की, वो रफ्तार नहीं पकड़ पा रहे थे। इस वातावरण ने व्यापार-व्यवसाय और औद्योगिक विकास की दौड़ को एकांगी बना दिया। बीते दौर की दौड़ में जलवायु की अनुकूलता पिछड़ रही थी। पिछले कुछ दशकों में विकसित देशों में निर्यात को बढ़ाने का लक्ष्य लेकर जिस आर्थिक व्यवस्था का विकास हुआ है, उसने वातावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है।
आज वो वैज्ञानिक जिन्होंने तरह-तरह के अविष्कार कर विकसित देशों में निर्यात को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, आज प्रकृति की हालत देखकर सबसे अधिक चिंतित हैं। आज विकासशील देश इस समस्या के समाधान के लिए भारत को ओर देख रहे हैं।
भारत ने विश्व को दिखाया है कि सस्टेनेबल डॅवलपमेंट गोल्स को प्राप्त करने का तरीका ईको फ्रेंडली होना चाहिए। सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने जैसे उपायों में आमजन की स्वीकृति समाहित कर भारत ने दुनिया को अपने जागरूक होने का संदेश दिया है।
आज से छह साल पहले विश्व ने सोचा नहीं होगा कि भारत इस तरह अपनी वैश्विक जिम्मेदारी निभाएगा। आज विश्व को वॉटर और एनर्जी सेविंग की मुहिम की जो गूंज सुनाई दे रही है, वह हमारे इन्फ्रॉस्ट्रक्टर डॅवलपमेंट एजेंडे का मुख्य हिस्सा है।
शेखावत ने कहा कि इस कड़ी में मैं उज्जवला योजना के माध्यम से महिला सशक्तीकरण के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाना चाहूंगा कि इस योजना के तहत आठ करोड़ मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे तय समय से सात माह पहले ही पूरा कर लिया गया है।
सन 2014 में भारत की 55 फीसदी जनसंख्या की पहुंच एलपीजी तक थी, इस समय 95 प्रतिशत भारतीय एलपीजी सिलेंडर का लाभ ले रहे हैं जिससे महिलाओं की जीवनशैली और सेहत दोनों बेहतर हुई है। इससे पर्यावरण में भी सुधार आय़ा है।
कुछ समय पहले तक घर-घर तक पानी पहुंचाने को एक सपने की तरह माना जाता था, आज जल शक्ति मंत्रालय सन 2024 तक इसे प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर जल जीवन मिशन पर काम कर रहे हैं। हम सस्टेनेबल डॅवलपमेंट गोल्स को आपसी सहयोग और साझेदारी के रूप में देखते हैं, ताकि कोई भी पीछे न छूटे।