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हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन : रामराज्‍य निर्माण के लिए हिन्‍दुत्‍वनिष्ठ संगठन कटिबद्ध - Sabguru News
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हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन : रामराज्‍य निर्माण के लिए हिन्‍दुत्‍वनिष्ठ संगठन कटिबद्ध

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हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन : रामराज्‍य निर्माण के लिए हिन्‍दुत्‍वनिष्ठ संगठन कटिबद्ध

नई दिल्ली। हिन्‍दू राष्ट्र की स्‍थापना के उद्देश्‍य से देश की राजधानी दिल्ली में 22 नवंबर से 24 नवंबर आयोजित तीन दिवसीय उत्तर भारत हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन में देश के 7 राज्‍यों और बांग्‍लादेश से 50 हिन्‍दुत्‍वनिष्ठ संगठनों के 141 से अधिक प्रतिनिधियों में शिरकत की।

इस अधिवेशन में ‘सेक्‍युलर’ सरकारद्वारा अधिग्रहण किए जा रहे हिंदू मंदिरों के संदर्भ में गंभीर चर्चा हुई। भारत का संविधान सेक्‍युलर होते हुए भी सरकार हिन्‍दुओं के मंदिरों का व्‍यवस्‍थापन कैसे देख सकती है? ऐसा प्रश्‍न सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने उपस्‍थित किया है। सरकारीकरण किए मंदिरों की स्‍थिति भयावह है। अनेक मंदिर समितियों में भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकार अधिगृहित मंदिरों की प्राचीन धार्मिक परंपराएं, व्‍यवस्‍था आदि में हस्‍तक्षेप कर उसमें परिवर्तन कर रही है।

मंदिर तथा धार्मिक परंपरा के रक्षण के लिए सरकार का हस्‍तक्षेप रोककर हिन्‍दुओं की एक व्‍यवस्‍थापकीय समिति का गठन किया जाए। इस समिति में शंकराचार्य, धर्माचार्य, धर्मनिष्ठ अधिवक्‍ता, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि इत्‍यादि नियुक्‍त किए जाए। मंदिरों के संदर्भ में निर्णय लेने का अधिकार इस समिति को दिया जाए, ऐसी मांग अधिवेशन में की गई। अधिवेशन में एकजुट हुए सभी संगठन, मंदिर सरकारीकरण के विरुद्ध राष्ट्रस्‍तरीय मंदिर-संस्‍कृति रक्षा अभियान चलाएंगे।

बांग्‍लादेश से आए हुए अधिवक्‍ता रविंद्र घोष ने वहां अल्‍पसंख्‍यक हिंदुओं पर होने वाले अत्‍याचारों के संदर्भ में विस्‍तृत जानकारी दी तथा भारत सरकार से यह अत्‍याचार रोकने हेतु हस्‍तक्षेप करने की मांग की। पश्चिम बंगाल से उपस्‍थित भाजपा के सांसद जगन्नाथ सरकार ने बंगाल मे हिंदुत्‍ववादियों पर होने वाले आक्रमणों के संदर्भ मे जानकारी दी। प्राचीन कालसे हिंदूओं के सतत हो रहे वंशविच्‍छेद के संदर्भ मे बेल्‍जियम के चिंतक कोनराल्‍ड एल्‍स्‍ट ने प्रेजेंटेशन दिया।

प्‍लेसेस ऑफ वरशिप एक्‍ट-1991 निरस्‍त करवाने का करेंगे प्रयास

इस अधिवेशन मे अधिवक्‍ता अधिवेशन का विशेष सत्र हुआ। सर्वोच्च न्‍यायालय के अधिवक्‍ता, तथा हिन्‍दू फ्रंट फॉर जस्‍टिस के प्रवक्‍ता विष्‍णु शंकर जैनजी ने कहा कि हमारे देवता जीवित माने जाते हैं, मंदिर उनका अधिकार है। अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर तो अब बनेगा पर आक्रांताओं द्वारा तोडे गए अन्‍य मंदिरोंपर भी देवताओं का अधिकार कायम है। इस कारण ‘प्‍लेसेस ऑफ वरशिप एक्‍ट-1991’ निरस्‍त करने के लिए प्रयास करेंगे। प्रचलित व्‍यवस्‍था में बदलाव लाना हो तो अधिवक्‍ताओं को ही इस सुराज्‍य-निर्माण के कार्य में उतरना पडेगा, इस पर उपस्‍थित अधिवक्‍ताओं में एकमत हुआ।

सर्वोच्च न्‍यायालय द्वारा दिए गए श्रीराम मंदिर के निर्णय के संदर्भ में वक्‍तव्‍य करते हुए वरिष्ठ अधिवक्‍ता तथा हिन्‍दू फ्रंट फॉर जस्‍टिस के संरक्षक पूज्‍य हरि शंकर जैनजी ने कहा कि न्‍यायालय के निर्णय को यदि मुस्‍लिम संगठन चुनौती देगा, तो हिंदु समाज भी मुसलमानों को दी गई 5 एकड भूमि के निर्णय को चुनौती देंगे।

इस अधिवेशन में हिन्‍दुओं की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्‍याओं पर मंथन के साथ ही ‘देश के वर्तमान मुद्दे एवं पत्रकारिता’ और ‘हिन्‍दू चार्टर’ जैसे विषयों पर परिसंवाद का आयोजन भी हुआ। अधिवेशन में उपस्‍थित धर्माभिमानी हिंदुओं के लिए ‘साधना सत्र’ मे प्रतिदिन साधना का महत्त्व बताकर सभी को साधना करने के लिए प्रेरित किया गया।

हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन में पारित हुए प्रस्‍ताव

1. भारत को ‘हिन्‍दू राष्ट्र’ घोषित करने हेतु सभी हिन्‍दू संगठन इसके लिए संवैधानिक पद्धति से प्रयास करेंगे।
2. असंवैधानिक पद्धति से संविधान में डाला गया सेक्‍युलर शब्‍द हटाकर वहां स्‍पिरिच्‍युअल शब्‍द रखे।
3. केंद्र शासन संपूर्ण देश में सभी नागरिकों के लिए समान नागरी संहिता बनाए।
4. केंद्र शासन संपूर्ण देश में गोहत्‍याबंदी एवं धर्मांतरणबंदी के विषय में समुचित कानून बनाए ।
5. पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश एवं श्रीलंका के अल्‍पसंख्‍य हिन्‍दुओं के साथ होनेवाले अत्‍याचारों की जांच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और भारत सरकार करे। वहां से आने वाले पीडित हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाए।
6. केंद्र सरकार, पूरे देश में अधिगृहित सभी मंदिरों का अधिग्रहण रद्द कर, वहां का व्‍यवस्‍थापन भक्‍तों को सौंपे। मंदिरों की परंपराएं तथा वहां चलने वाले धार्मिक कृत्‍यों के विषय में निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय स्‍तर पर एक प्रबंधसमिति का गठन हो।
7. केंद्र सरकार, जिन नगरों, भवनों, सडकों आदि के नाम विदेशी आक्रांताओं ने रखे हैं, उन नामों को बदलने का निर्णय ले। भारतीय संस्‍कृति के अनुरूप अन्‍य नाम रखने के लिए केंद्र शासन तत्‍काल केंद्रीय नगर नामकरण आयोग गठित करे।
8. देश मे बढती घुसपैठ की समस्‍या के समाधान हेतु केंद्र शासन संपूर्ण भारत में एनआरसी लागू करें।
9. ‘प्‍लेसेस ऑफ वरशिप कानून-1991’ असंवैधानिक है । इसलिए केंद्र शासन तथा देश की संसद इसे निरस्‍त करें।
10. कश्‍मीर से निष्‍कासित हिंदुंओं की कश्‍मीर में सुरक्षित वापसी के लिए सरकार शीघ्रतासे प्रयास करे।