सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा के कांग्रेस के शासन में हुए कामों को श्रेय खुद लेने के कथित दुष्प्रचार को सिरोही की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया। विधायक संयम लोढ़ा की सधी रणनीति ने जिले में सिरोही विधानसभा में भाजपा को घुटने पर लाकर छोड़ दिया।
जो चुनाव व्यवस्था कभी भाजपा की पहचान हुआ करती थी उसी रणनीति के हथियार से सत्तामद में सुप्त पड़ चुकी भाजपा को लगातार दूसरा चुनाव हरा दिया। सिरोही में हराया ही नहीं बल्कि सूपड़ा साफ कर दिया। यूं तो चुनाव से पहले ही भाजपा पूरी तरह से बिखरी और हथियार डाली हुई दिख रही थी, लेकिन मंगलवार को सभापति चुनाव के दौरान वो सबसे ज्यादा बेबस दिखी।
लेकिन, नगर परिषद में एक चुनौति ये भी है कि भाजपा के पास अनुभवी पार्षद के नाम पर मात्र एक पार्षद है। कांग्रेस दो तिहाई बहुमत के साथ है, ऐसे में उसे निरंकुश होने से रोकना भी एक बड़ी चुनौति है।
-मेडीकल कॉलेज का दुष्प्रचार फेल
भाजपा शुरू से ही सिरोही में मेडीकल कॉलेज पर खुदकी मोहर लगाने का दुष्प्रचार करते हुए इसमें राज्य सरकार के योगदान को नकारने का प्रचार करती रही। सिरोही की जनता ने उनके इस दुष्प्रचार को नक्कारखाने में तूती की आवाज बना दिया। भाजपा यह दावा कर रही थी कि यह मेडीकल कॉलेज साठ प्रतिशत केंद्रीय मद से बना है, जिससे इसका श्रेय सांसद को होना चाहिए। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने सिरोही प्रवास में इस पर उन्हें आईना दिखा दिया।
-भ्रष्टाचार के मुद्दे को जमकर भुनाया
पिछले चुनाव और इस चुनाव में एक समानता थी। वो ये कि पिछला नगर परिषद चुनाव कांग्रेस बोर्ड के भ्रष्टाचार के नाम पर लड़ा गया। इस बार का भाजपा के बोर्ड के भ्रष्टाचार के नाम पर। लेकिन, एक अंतर भी था। वो ये कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर चुनाव लडऩे के बाद भी वह तत्कालीन कांग्रेस बोर्ड का कुछ नहीं बिगाड़ पाए। जबकि संयम लोढ़ा ने आते ही सिरोही सभापति ताराराम माली और शिवगंज की सभापति कंचन सोलंकी को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित करवा दिया।
-बड़ी चुनौति
यूं लोढ़ा ने इन दस महीनों में इतनी लम्बी लाइन खींच दी कि वो भाजपा नहीं कर पाई थी। अपने द्वारा सिरोही विधानसभा और सिरोही शहर के लिए किए गए कामों को वो जनता के बीच ले गए और उन्होंने लोगों में अपने प्रति विश्वास भी जगाया। साथ ही भाजपा बोर्ड के भ्रष्टाचारों को दिखा दिखा कर भाजपा की लाइन भी छोटी करते गए।
इन हालातो में भाजपा का हतोत्साहित होना लाजिमी था। वो सिरोही में सभा नहीं करने से स्पष्ट हो गया। लेकिन, अब लोढ़ा के पास सबसे बड़ी ये है कि वो अपनी विधायकी और कांग्रेस के बोर्ड में सिरोही में वो काम कर दिखाएं जिसके लिए सिरोही अब तक तरसता रहा है।