नई दिल्ली। जाने-माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर दिल्ली विधानसभा के अगले वर्ष के शुरू में होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नैय्या फिर से पार लगाने के लिए काम करेंगे।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने शनिवार को इसका एलान किया कि किशोर की अगुवाई वाली राजनीति परामर्शदाता इंडियन पाॅलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के लिए काम करेगी।
केजरीवाल ने आज ट्वीट कर कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इंडियन-पीएसी हमारी पार्टी के साथ जुड़ गई है। उसका स्वागत है।
मुख्यमंत्री के ट्वीट के जवाब में आई-पैक ने कहा पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आप प्रबल विरोधी दल के रूप में सामने आई थी। पंजाब विधानसभा में किशोर ने पर्दे के पीछे कांग्रेस की चुनावी प्रचार का काम किया था।
आई-पैक ने आगे लिखा कि पंजाब विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद हमने आपको अब तक मुकाबला कर चुके सबसे प्रबल विरोधी के रुप में चिह्नित किया। अब केजरीवाल और आप के साथ जुड़ने पर खुशी है।
पिछले विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की आप ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को पूरी तरह झुठलाते हुए 70 में 67 सीटों पर रिकार्ड जीत हासिल कर सबको चौंका दिया था। केजरीवाल अगले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी का परचम फिर से लहराने के लिए हाल ही में कई लोक लुभावने एलान कर चुके हैं।
इनमें 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, पानी के बिल माफ करना और महिलाओं के लिए दिल्ली परिवहन निगम(डीटीसी) और कलस्टर बसों में फ्री यात्रा शामिल है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि अबकी बार 67 पार।
फिलहाल तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े किशोर ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार अभियान में मदद की थी। अभियान में उनके दिमाग की सोच ‘चाय पर चर्चा’ खूब लोकप्रिय हुई। फिलहाल वह जनता दल (यू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वर्तमान में जद(यू) के साथ उनके संबंधों में खटास बनी हुई है।
मोदी के चुनाव अभियान के बाद नीतिश कुमार को 2015 में फिर से बिहार में जिताने के लिए किशोर ने काम किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव अभियान की सफलता का श्रेय किशोर को जाता है।
किशोर की इन सफलताओं के बीच 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव की असफलता भी जुड़ी है। उन्होंने यहां कांग्रेस का अभियान संभाला था। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने वहां मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस को केवल सात जबकि सपा को 47 सीटें मिली थीं।