नई दिल्ली। नागर विमानन क्षेत्र के लिए वर्ष 2019 बेहद खराब रहा। घरेलू स्तर पर जहाँ निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज का परिचालन पूरी तरह बंद हो गया, वहीं सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया का न तो विनिवेश इस साल परवान चढ़ सका और न ही वह पटरी पर लौट सकी।
वैश्विक स्तर पर इस वर्ष विमान दुर्घटनाओं की संख्या पिछले पाँच साल के औसत की तुलना में डेढ़ गुना हो गयी। दो बड़े हादसों के बाद बोइंग कंपनी के आधुनिकतम विमानों में से एक 737 मैक्स की उड़ान पर पहले विभिन्न देशों के नियामकों और बाद में स्वयं कंपनी ने प्रतिबंध लगा दिया।
जेट एयरवेज का बंद होना भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए काफी प्रतिकूल रहा। बंद होने से पहले यात्रियों की संख्या के हिसाब से वह देश की दूसरी सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी तथा देश की तीन पूर्ण सेवा प्रदाता एयरलाइन में एक थी। वित्तीय संकट के कारण कंपनी को अपना परिचालन बंद करना पड़ा। कंपनी पर विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों, विमान ईंधन के मद में तेल विपणन कंपनियों और हवाई अड्डा संचालक कंपनियों का बकाया था। नकदी का इंतजाम नहीं हो पाने के कारण कंपनी ने 17 अप्रैल को अपनी सेवायें पूरी तरह बंद करने की घोषणा की। कंपनी का मामला इस समय राष्ट्रीय कंपनी कानून नयायाधिकरण में है और अब इस एयरलाइन के दाेबारा उड़ान भरने की संभावना लगभग क्षीण हो चुकी है।
जेट एयरवेज के बंद होने का असर देश में यात्रियों की संख्या पर भी पड़ा। वर्ष 2014 से 2018 के बीच औसतन 20 करीब प्रतिशत प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने के बाद इस वर्ष इसकी वृद्धि दर चार फीसदी से भी कम रह गयी। वर्ष 2014 में घरेलू मार्गों पर छह करोड़ 73 लाख 83 हजार यात्रियों ने उड़ान भरी थी। वर्ष 2018 में यह आँकड़ा बढ़कर 13 करोड़ 89 लाख 76 हजार पर पहुँच गया। इस दौरान थी वर्ष 2015 में वृद्धि दर 20.34 प्रतिशत, 2016 में 23.18 प्रतिशत, 2017 में 17.31 प्रतिशत और 2018 में 18.60 प्रतिशत दर्ज की गयी, लेकिन इस वर्ष जनवरी से नवंबर के बीच वृद्धि दर घटकर 3.86 प्रतिशत रह गयी। यात्रियों की संख्या में कमी के साथ ही बाजार में प्रतिस्पर्द्धा भी कम हुई है जिससे यात्रियों को किराये में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है।
एक तरफ सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया की दुबारा शुरू की गयी विनिवेश प्रक्रिया इस साल परवान नहीं चढ़ सकी तो दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस में विनिवेश का दूसरा प्रयास भी विफल रहा। मौजूदा सरकार के पहले बजट में ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है। जून में ही इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह का गठन भी कर दिया गया, लेकिन एयरलाइन का विनिवेश इस साल नहीं हो सका। कुछ दिन पहले ही इसके लिए बोली आमंत्रित की गयी है। दूसरी तरह एयर इंडिया का कर्ज बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपये के पार पहुँच गया है।
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में पवनहंस के लिए सिर्फ एक बोली दाता के आने से विनिवेश का प्रयास विफल हो गया था। इस बार भी सरकार को बोली दाता नहीं मिले और अभिरुचि पत्र जमा कराने की अंतिम तिथि बार-बार बढ़ाने के बाद अंतत: सरकार को कंपनी के पूर्णकालिक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के पद के लिए उसे आवेदन आमंत्रित करना पड़ा।
सस्ते हवाई किराये के जरिये छोटे तथा मझौले शहरों को हवाई नेटवर्क में शामिल करने की सरकार की योजना ‘उड़ान’ के तीसरे चरण के तहत इस वर्ष पहली बार ‘सी-प्लेन’ के लिए मंजूरी प्रदान की गयी जो वाटरड्रम पर भी उतरने में सक्षम हैं। इसके बाद एक विशेष चरण में ‘उड़ान-3.1’ के तहत विशेष पर्यटन मार्गों और ‘अंतर्राष्ट्रीय उड़ान’ के मार्ग आवंटित किये गये। इनके लिए राज्य सरकार या नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इतर विभागों ने सब्सिडी उपलब्ध करायी है।
वैश्विक स्तर पर इस साल अक्टूबर तक यात्री राजस्व किलोमीटर की माँग 4.3 प्रतिशत बढ़ी। सुरक्षा के मामले में नागरिक विमानन के लिए यह साल खराब रहा और घातक हादसों की संख्या पिछले पाँच साल की औसत के मुकाबले करीब 50 प्रतिशत ज्यादा रही, हालाँकि इनमें मरने वालों की संख्या 36 प्रतिशत कम रही। इस साल 10 दिसंबर तक दुनिया भर में 19 ऐसी विमान दुर्घटनायें हुईं जिनमें एक या ज्यादा व्यक्ति की जान गयी। पिछले पाँच साल का इसका औसत 13 दुर्घटना प्रति वर्ष का है। इन हादसों में इस साल 284 लोगों की मौत हो गयी जबकि पिछले पाँच साल का औसत 442 लोगों की मौत का था।
वर्ष की सबसे बड़ी दुर्घटना इथोपिया में अदिस अबाबा के पास हुई जिसमें चालक दल के आठ सदस्यों सहित विमान में सवार सभी 157 लोगों की मौत हो गयी और विमान पूरी तरह नष्ट हो गया। इथोपियन एयरलाइन के बोइंग 737 मैक्स-8 विमान ने आदिस अबाबा के बोले हवाई अड्डे से केन्या के नैरोबी के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन महज 50 किलोमीटर दूर जाकर वह दुर्घटना ग्रस्त हो गया। इससे पहले 29 अक्टूबर 2018 को इंडोनेशिया की लाइन एयर का एक बोइंग 737 मैक्स-8 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें चालक दल के आठ सदस्यों समेत विमान में सवार सभी 189 लोगों की मौत हो गयी थी। साढ़े चार महीने से भी कम समय में हुये दो भयानक हादसों ने पूरी दुनिया में विमानन क्षेत्र को झकझोड़ कर रख दिया।
दोनों हादसों का कारण विमान में एक विशेष प्रकार की गड़बड़ी पायी गयी जिसमें विमान में लगा कंट्रोल विमान के ‘नोज’ को जबरन नीचे की ओर ले जाता है। इसके बाद दुनिया के कई देशों के विमानन नियामकों ने अपने यहाँ मैक्स विमानों के परिचालन पर रोक लगा दी। बाद में अमेरिकी ‘फेडरल एविएशन अथॉरिटी’ के भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया तो मजबूरन बोइंग को अपने विमानों के उड़ान से हटाना पड़ा। कंपनी का कहना है कि वह गड़बड़ी को ठीक करने की दिशा में काम कर रही है।
इसके अलावा इस वर्ष नागर विमानन क्षेत्र के दो बड़े हादसों में एक 05 मई को रूस में हुआ जब एयरोफ्लोट रसियन इंटरनेशनल एयरलाइन का सुखोई सुपरजेट 100-95बी विमान मोस्कवा-शेरमेतिइवो हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें चालक दल के पाँच में से एक सदस्य और 73 यात्रियों में से 40 की मौत हो गयी।
दूसरे हादसे में 24 नवंबर को बिजी बी कांगो एयरलाइन का डॉर्नियर 228-201 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। चालक दल के दो सदस्यों समेत विमान में सवार सभी 19 लोगों की मौत हो गयी। कांगो के गोमा हवाई अड्डे से उड़ान भरने के क्रम में यह दुर्घटना हुई थी।