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Bollywood actor Farooq Sheikh special death anniversary - Sabguru News
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सादगी भरे अभिनय को फिल्मी पर्दे पर जीते थे फारुख शेख

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सादगी भरे अभिनय को फिल्मी पर्दे पर जीते थे फारुख शेख
Bollywood actor Farooq Sheikh special death anniversary
Bollywood actor Farooq Sheikh special death anniversary
Bollywood actor Farooq Sheikh special death anniversary

हिंदी सिनेमा के उत्कृष्ट कलाकार फारुख शेख को सादगी भरे अभिनय के लिए आज भी याद किया जाता है। सत्तर के दशक में जब बॉलीवुड में हिंसा व मारधाड़ से भरपूर फिल्मों का एक नया दौर शुरू हो रहा था उसी समय फारुख अपने सहज अभिनय से सिने दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रहे थे। बॉलीवुड के वे उन कलाकारों में से थे जिन्होंने व्यवसायिक सिनेमा हो या समानांतर सिनेमा दोनों में सफल रहे। आज फारुख शेख की पुण्यतिथि है। 28 दिसंबर 2013 को फारुख दुनिया को अलविदा कह गए थे। 80 के दशक में अपने सादगी पूर्ण अभिनय के बल पर इन्होंने कई फिल्में सुपरहिट दी।

फारुख शेख ने सत्यजीत रे, ऋषिकेश मुखर्जी, केतन मेहता और मुजफ्फर अली जैसे नामी डायरेक्टर्स के साथ काम किया। आर्ट फिल्मों में उन्होंने बेहतरीन अभिनेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई। हिंदी सिनेमा में इनके अभिनय को भुलाया नहीं जा सकता है। आइए आज फारुख से के बारे में जाना जाए कैसा रहा इनका फिल्मी सफर।

गुजरात में हुआ था फारुख का जन्म

गुजरात के बड़ौदा जिले के पास 25 मार्च, 1948 को एक जमींदार परिवार में जन्मे फारुख शेख पांच भाई बहनों में सबसे बड़े थे। बचपन में उन्हें क्रिकेट खेलना बेहद पसंद था। उनकी शिक्षा मुंबई में हुई थी। वकील पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए फारुख ने भी शुरुआत में वकालत के पेशे को ही चुना, लेकिन उनके सपने और उनकी मंजिल कहीं और ही थे।वकालत में खुद अपनी पहचान न ढूंढ़ पाए फारुख ने उसके बाद अभिनय को बतौर करियर चुना। फारुख को फिल्मों में अभिनय करना पसंद था। कॉलेज के दिनों में भी वे थिएटर पर ज्यादा ध्यान देते थे।

थिएटर से की थी शुरुआत

फारुख शेख ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की। वह भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) और जाने-माने निर्देशक सागर सरहदी के साथ काम किया करते थे। उन्हें अपने समकालीन अभिनेताओं के समान सुपरस्टार का दर्जा भले ही न मिला हो, लेकिन अपनी मेहनत, लगन और जीवंत अभिनय क्षमता के बलबूते वह शीघ्र ही फिल्मी दुनिया में अपनी एक अलग छाप छोड़ने में कामयाब रहे।

वर्ष 1973 में फिल्म ‘गर्व हवा’ फारुख की पहली फिल्म थी

फारुख को थिएटर में दमदार अभिनय के बल पर वर्ष 1973 में एमएस संधू द्वारा निर्देशित फिल्म ‘गर्म हवा’ में ब्रेक मिला जो भारत पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी थी। फिल्म में मुख्य भूमिका न होते हुए भी वह अपने दमदार अभिनय की सशक्त छाप छोड़ने में कामयाब रहे। उसके बाद उनके अभिनय का सिलसिला इस तरह चला कि वर्ष 1977 से लेकर 1989 तक वे बड़े पर्दे और साल 1999 से लेकर 2002 तक छोटे पर्दे पर छाए रहे।

चार दशक के अपने लंबे फिल्मी करियर में कई फिल्में सुपरहिट दी

फारुख शेख ने अपने चार दशक के लंबे करियर में लगभग 40 फिल्मों में काम किया। उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी, उमराव जान, कथा, बाजार, चश्म-ए-बद्दूर, गर्म हवा, नूरी, साथ-साथ, किसी से ना कहना, रंग बिरंगी, घरवाली बाहरवाली, बीवी हो तो ऐसी, तूफान, माया मेमसाब आदि में बेहतरीन भूमिका निभाई। फिल्मों में दीप्ति नवल और शबाना आजमी के साथ फारुख की जोड़ी ने काफी नाम कमाया। दीप्ति नवल के साथ चश्म-ए-बद्दूर , कथा, साथ-साथ, किसी से ना कहना, रंग बिरंगी उनकी काफी हिट फिल्में रहीं।

शबाना आजमी के साथ फारुख शेख की फिल्में ‘लोरी’, ‘अंजुमन’, ‘एक पल’ बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैं। निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्म ‘नूरी’ से उन्होंने व्यावसायिक फिल्मों में भी अपनी अभिनय क्षमता को सिद्ध किया। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने न सिर्फ उन्हें, बल्कि अभिनेत्री पूनम ढिल्लों को भी स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।

टीवी और थियेटर की दुनिया से भी कई साल तक जुड़े रहे

फारुख ने फिल्म के साथ-साथ टीवी और थिएटर में भी काम किया। फिल्मों में सक्रियता के बावजूद वह रंगमंच से भी जुड़े रहे। शबाना आजमी के साथ उनका नाटक ‘तुम्हारी अमृता’ बेहद सफल रहा। एआर गुर्नी के ‘लव लेटर्स’ पर आधारित इस नाटक में फारुख और शबाना को मंच पर साथ देखना दर्शकों के लिए एक सुखद अनुभूति था। इस नाटक का 300 बार सफल मंचन हुआ। वह एक ऐसे परिपूर्ण कलाकार थे, जो अभिनय के हर मंच और छोटे-बड़े हर किरदार को पूरी वफादारी से निभाते थे।

पुरुष प्रधान फिल्मों के दौर में भी फारुख ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें अभिनेत्री रेखा पर केंद्रित उमराव जान में एक छोटा सा किरदार निभाने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं थी। मशहूर टीवी शो ‘जीना इसी का नाम’ फारुख शेख ने होस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कई जानी मानी हस्तियों के इंटरव्यू किए। इस टीवी शो को लोग आज भी भूले नहीं हैं।

दीप्ति नवल के साथ 25 साल बाद एक बार फिर फिल्मी पर्दे पर वापसी की

एक अंतराल के बाद ‘सास, बहू और सेंसेक्स’, ‘लाहौर’ और ‘क्लब 60’ जैसी शानदार फिल्मों के जरिए उन्होंने फिर से फिल्मों में अपनी पारी की शुरुआत की। ‘लिसन अमाया’ में वह दीप्ति नवल के साथ 25 साल बाद फिर से दिखाई दिए। ‘लाहौर’ में उनके सशक्त अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। बेहद नरम अंदाज में बोलने वाले एक बेहतरीन इंसान थे।

अपने हंसी मजाक से वे गंभीर माहौल को भी खुशनुमा बना देते थे।फारुख शेख खाने के बहुत शौकीन थे, जब भी सेट पर शूटिंग के लिए आते अपने साथ घर से कुछ न कुछ खाने के लिए जरूर लाते थे। फिल्मों में उन्होंने पैसों को महत्व न देकर हमेशा अपनी स्ट्रांग भूमिका को महत्व दिया।

वर्ष 2013 में फारुख शेख ने दुनिया को कहा अलविदा

28 दिसंबर 2013 को 65 साल की उम्र में फारुख शेख का निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ, इन दिनों वे परिवार के साथ दुबई में थे। फिल्म ‘यंगिस्तान’ फारुख शेख की अंतिम फिल्म थी जो 2014 में रिलीज हुई थी। उनके प्रशंसकों के जेहन में उनकी छवि एक ऐसे अभिनेता के रूप में सदैव जीवित रहेगी, जो सुपरस्टार भले ही न रहा हो, लेकिन अभिनय के मामले में एक स्टार शख्सियत से काफी ऊंचे मुकाम पर रहा। हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार