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Special on bollywood actress Rajesh Khanna birthday - Sabguru News
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हिंदी सिनेमा के पहले ‘सुपरस्टार’ थे राजेश खन्ना

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हिंदी सिनेमा के पहले ‘सुपरस्टार’ थे राजेश खन्ना
Special on bollywood actress Rajesh Khanna birthday
Special on bollywood actress Rajesh Khanna birthday
Special on bollywood actress Rajesh Khanna birthday

बॉलीवुड यानी हिंदी सिनेमा में शुरू से ही एक बात पर हमेशा फिल्मी पंडितों में बहस छिड़ी रही कि आखिर सुपरस्टार कौन। फिल्म इंडस्ट्रीज में चाहे पुराने कलाकार हो या नए सभी का सपना होता है कि वह सुपरस्टार कहलाए। आज हम आपको बताने जा रहे हैं फिल्म इंडस्ट्रीज के वास्तविक पहले सुपरस्टार कौन थे। जी हां पहले सुपरस्टार हिंदी सिनेमा के राजेश खन्ना थे। 60 और 70 के दशक में राजेश खन्ना की इस कदर दीवानगी थी कि दर्शक उनके नाम पर ही सिनेमा थियेटरों पर खिंचे चले आते थे।

आज हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का जन्मदिन है। बॉलीवुड में सुपरस्टार का दर्जा सबसे पहले पाने वाले राजेश खन्ना का नाम जब भी लिया जाएगा तब एक ऐसे शख्स की छवि उभरेगी, जिसने जिंदगी को अपनी शर्तों पर जिया। कहा जाता है कि देव आनंद के बाद अगर किसी ने फिल्म के सफल होने की ‘गारंटी’ दी तो वह थे सबके चहेते यानी राजेश खन्ना की थी। इंडस्ट्री में प्यार से लोग राजेश खन्ना को ‘काका’ के नाम से बुलाते थे। उनका स्टाइल और रोमांटिक अंदाज को लाखों दर्शक आज भी नहीं भूले हैं। आज आपको बताएंगे राजेश खन्ना का फिल्मी सफर कैसा रहा।

29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में हुआ था राजेश खन्ना का जन्म

राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था इनका पहले नाम जतिन खन्ना था। इनके माता पिता लाला हीराचंद और चांदरानी खन्ना थे। लेकिन राजेश खन्ना का पालन पोषण चुन्नीलाल और लीलावती ने किया था। परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट होने के बाद राजेश खन्ना मुंबई के गिरगांव चौपाटी में रहते थे और वहीं स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई की। राजेश खन्ना के सहपाठी अभिनेता जीतेन्द्र थे।

स्कूल के दौरान ही राजेश खन्ना का झुकाव थिएटर की तरफ था और वो नाटकों में हिसा लिया करते थे और कई बार इनाम भी जीते। किशोर राजेश ने धीरे-धीरे रंगमंच में दिलचस्पी लेनी शुरू की और स्कूल में बहुत से नाटकों में भाग लिया। उन्होंने 1962 में ‘अंधा युग’ नाटक में एक घायल, गूंगे सैनिक की भूमिका निभाई और अपने बेजोड़ अभिनय से मुख्य अतिथि को प्रभावित किया।

1966 में ‘आखिरी खत’ थी राजेश खन्ना की पहली फिल्म

टैलेंट कांटेस्ट के जरिए फाइनलिस्ट बनने के बाद राजेश खन्ना ने फिल्मों की ओर रुख किया। रूमानी अंदाज और स्वाभाविक अभिनय के धनी राजेश खन्ना ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ से की थी। इस फिल्म को चेतन आनंद ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म को 40वें ऑस्कर अवॉर्ड्स में भारत की तरफ से फॉरेन फिल्म की श्रेणी में भेजा गया था। इस फिल्म में राजेश खन्ना की बेजोड़ अभिनय की सभी ने सराहना की थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

1969 में आई ‘ फिल्म आराधना’ ने राजेश खन्ना को स्टार बना दिया था

वर्ष 1969 में आई फिल्म ‘आराधना’ ने उनके करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। इस फिल्म ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए। फिल्म आराधना का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी’ जबरदस्त सुपरहिट हुआ था। इस गाने को लोग आज भी नहीं भूले हैं। राजेश खन्ना को फिल्म ‘आराधना’, ‘इत्तेफाक’, ‘बहारों के सपने’ और ‘औरत’ की वजह से काफी सराहना मिली।

इसके कारण अभिनेत्री वहीदा रहमान ने डायरेक्टर असित सेन को उनकी फिल्म ‘खामोशी’ के लिए ‘राजेश खन्ना’ का नाम सुझाया। इसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 सफल फिल्में देकर समकालीन और अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया।

इन सुपरहिट फिल्मों ने राजेश खन्ना को बना दिया था ‘सुपरस्टार’

वर्ष 1970-71 खन्ना के करियर का सबसे यादगार साल रहा।इस वर्ष उन्होंने ‘कटी पतंग’, ‘आनंद’, ‘आन मिलो सजना’, ‘महबूब की मेहंदी’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘अंदाज’ जैसी अति सफल फिल्में दीं। उन्होंने ‘दो रास्ते’, ‘दुश्मन’, ‘बावर्ची’,अपना देश’, ‘आप की कसम’, ‘प्रेम कहानी’, ‘सफर’, ‘दाग’,  ‘मर्यादा’, ‘रोटी’, ‘महबूबा’, ‘कुदरत’, ‘दर्द’, ‘राजपूत’, ‘धर्मकांटा’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘जोरू का गुलाम’, ‘अनुराग’, ‘दाग’, ‘नमक हराम’ और ‘हमशक्ल’ सौतन’, ‘अवतार’, ‘अगर तुम न होते’, ‘आखिर क्यों’, ‘अमृत’, ‘स्वर्ग’, ‘खुदाई’, ‘आ अब लौट चले’ सरीखी हिट फिल्मों के जरिए बॉक्स ऑफिस को कई वर्षों तक गुलजार रखा। वर्ष 1970 में बनी फिल्म ‘सच्चा झूठा’ के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।

राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी दर्शकों ने खूब पसंद की

हिंदी सिनेमा में राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी सबसे सफल रही। इन दोनों ने कई फिल्में सुपरहिट दी।राजेश खन्ना और मुमताज की फिल्में देखने के लिए सिनेमा थिएटर में दर्शकों की भीड़ लग जाती थी। मुमताज ने दारा सिंह से लेकर दिलीप कुमार जैसे महान कलाकारों के साथ अभिनय कर सफलता के सोपान चढ़ती चली गईं। उन्होंने शम्मी कपूर, देवानंद, संजीव कुमार, जितेंद्र और शशि कपूर जैसे सितारों के साथ काम किया, मगर राजेश खन्ना के साथ उनके काम को सबसे ज्यादा सराहा गया।

मुमताज की जोड़ी राजेश खन्ना के साथ जमी। उनकी फिल्म ‘दो रास्ते’ की सफलता के साथ दोनों ने सफलता का एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया। वर्ष 1969 से 1974 तक इन दोनों कलाकारों ने ‘सच्चा झूठ’, ‘अपना देश’, ‘दुश्मन’, ‘बंधन और रोटी’ जैसी शानदार फिल्में दीं।

डिंपल कपाड़िया के साथ की शादी, कुछ वर्षों बाद ही अलग भी हो गए थे

राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया ने 1973 में शादी की। जब डिंपल और राजेश खन्ना के बीच प्यार के किस्से चल रहे थे उस वक्त उनकी उम्र केवल 16 साल थी और राजेश खन्ना की उम्र 31 साल थी। ऐसे में दोनों के बीच उम्र का काफी फासला था। डिंपल ने अपनी पहली ही फिल्म के बाद शादी कर ली और कुछ समय के लिए फिल्मी दुनिया से किनारा कर लिया। शादी के कुछ वर्षों बाद ही दोनों में अनबन हो गई और अलग हो गए थे। राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की दो बेटियां ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना हुई। बड़ी बेटी ट्विंकल ने बॉलीवुड में कई फिल्मों में काम किया है और वह अक्षय कुमार की पत्नी हैं। छोटी बेटी रिंकी खन्ना ने भी कुछ हिंदी फिल्मों में काम किया है।

ट्विंकल खन्ना का भी जन्म अपने पिता राजेश खन्ना के जन्मदिन के साथ 29 दिसंबर को पड़ता है।

200 फिल्मों में काम किया और बेहतरीन अभिनय के लिए कई अवॉर्ड मिले

चार दशकों के अपने लंबे करियर में ‘बाबू मोशाय’ ने 200 फिल्मों में अभिनय किया। इस दौरान उन्होंने तीन बार ‘फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड’ जीते और इसके लिए 14 बार नामांकित भी हुए। सबसे अधिक बार ‘अवार्डस फॉर बेस्ट एक्टर’ (4 बार) पाने का सौभाग्य भी सिर्फ उन्हीं को मिला है। वह इसके लिए 25 दफा नामित भी हुए। भावपूर्ण दृश्यों में उनके सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। फिल्म ‘आनंद’ में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण माना जाता है। ‘काका’ को 2005 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

यही नहीं राजेश खन्ना को 30 अप्रैल, 2013 को आधिकारिक तौर पर ‘द फर्स्ट सुपरस्टार ऑफ इंडियन सिनेमा’ की उपाधि प्रदान की गई थी। इसके अलावा राजेश खन्ना को 2013 में भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन में मतभेद

राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन में कई वर्षों तक मतभेद बने रहे, लेकिन दोनों सुपर स्टारों ने कभी भी इस बात का खुलकर इजहार नहीं किया। लेकिन कभी-कभार राजेश खन्ना और अमिताभ के बीच मतभेद की खबर आ ही जाती थी।राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार माने जाते हैं और एक वक़्त में वो अमिताभ से भी बड़े स्टार थे। अगर ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि राजेश खन्ना के स्टारडम को फीका करने में अमिताभ बच्चन के स्टारडम का बहुत बड़ा हाथ है। ‘आनंद’ और ‘नमकहराम‘ जैसी फ़िल्मों में दोनों ने शानदार काम किया।

‘आनंद’ के क्लामेक्स में राजेश खन्ना के साथ उनका आइकॉनिक सीन टाइमलेस ब्यूटी है। मगर जैसे-जैसे अमिताभ को स्टारडम मिलता गया, राजेश खन्ना से उनके रिश्ते खराब होते गए। राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से अक्सर कहते थे ‘बाबूमोशाय मुझसे मेरे फैन कोई नहीं छीन सकता है’। जया बच्चन को भी लेकर एक फिल्म के सेट पर खन्ना और अमिताभ बच्चन के मनमुटाव देखने को मिले थे। लेकिन दोनों ने कभी अपने संबंधों को सार्वजनिक तौर पर खराब नहीं होने दिया। यही खासियत थी दोनों सुपर स्टारों की।

राजनीति में की एंट्री, दिल्ली से हुए थे कांग्रेस के लोकसभा सांसद

राजेश खन्ना ने कई हिंदी फिल्मों में काम करने के बाद राजनीति में भी प्रवेश किया था। राजेश खन्ना दिल्ली लोकसभा सीट से पांच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रह चुके हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को हराया था। हालांकि, बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था।

राजेश खन्ना साल 2012 में कुछ समय से बीमार चल रहे थे और 18 जुलाई 2012 को उनका खुद के ‘आशीर्वाद’ बंगले में निधन हो गया। उनके निधन से हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार को प्रशंसकों ने खो दिया। आज भले ही सुपरस्टार राजेश खन्ना हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्टाइल और रोमांटिक अंदाज दर्शकों के बीच वर्षों तक बना रहेगा।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार