जयपुर। प्रसिद्ध हिंदी लेखिका कृष्णा सोबती का निधन-हिंदी की प्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती का 25 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में निधन हो गया। वे 93 वर्ष की थीं। उनकी रचनाओं में महिला सशक्तिकरण और स्त्री जीवन की जटिलताओं का जिक्र मिलता है। सोबती को राजनीति-सामाजिक मुद्दों पर अपनी मुखर राय के लिए भी जाना जाता है। कृष्णा सोबती ने शुरुआती लेखन दौर में छोटी कहानियां लिखकर लेखिका के तौर पर अपनी पहचान बनायी थी। कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात-पंजाब प्रांत में हुआ था। वर्तमान समय में यह क्षेत्र पाकिस्तान में है। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया था।
कृष्णा सोबती की आरंभिक शिक्षा दिल्ली और शिमला से हुई थी। कृष्णा सोबती को वर्ष 1980 में ‘जिंदगीनामा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। वर्ष 1996 में उन्हें साहित्य अकादमी का फैलो बनाया गया जो अकादमी का सर्वोच्च सम्मान है। कृष्णा सोबती को वर्ष 1981 में शिरोमणि पुरस्कार और 1982 में हिंदी अकादमी पुरस्कार मिला था। उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान पद्मभूषण लेने से इनकार कर दिया था। वर्ष 2015 में असहिष्णुता के मुद्दे पर साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। वर्ष 2017 में कृष्णा सोबती को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था।
हिंदी के मशहूर साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह नहीं रहे
हिंदी के विख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह का 19 फरवरी 2019 को दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। नामवर सिंह 93 वर्ष के थे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना करने और हिंदी साहित्य को नए मुकाम पर ले जाने में उनका सराहनीय योगदान है। हिंदी में आलोचना विधा को उन्होंने नई पहचान दी। उनका काम और उनका योगदान, उनके जाने के बाद भी कई पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। नामवर सिंह के निधन पर देश के तमाम साहित्य साहित्यकारों ने शोक जताया। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की थी।
देश के कुछ और नामचीन लोग जो हमारे बीच नहीं रहे
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का निधन
भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का 10 नवंबर 2019 को चेन्नई में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। वे भारत में चुनाव नियमों को सख्ती से लागू करवाने के लिए मशहूर थे। टीएन शेषन को उनके कड़े रुख के लिए भी जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व चुनाव आयुक्त के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि वे अभूतपूर्व नौकरशाह थे। उन्होंने पूरी निष्ठा और परिश्रम के साथ देश की सेवा की। पीएम मोदी ने कहा कि चुनाव सुधारों में उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को और मजबूत किया। उन्होंने भारतीय चुनाव प्रणाली में कई बदलाव किए थे। उनके द्वारा भारत में वोटर आईडी कार्ड भी शुरू किया गया था। उन्हें साल 1996 में ‘रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी ने दुनिया को कहा अलविदा
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का 8 सितंबर 2019 को निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। राम जेठमलानी लंबे समय से बीमार थे। वे देश के सबसे बेहतरीन वकीलों में से एक थे। राम जेठमलानी एक मशहूर वकील के साथ राजनेता भी थे। राम जेठमलानी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का काफी करीबी मित्र माना जाता था। वाजपेयी सरकार में जेठमलानी ने क़ानून मंत्रालय भी संभाला था। राम जेठमलानी को आपराधिक मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था। राम जेठमलानी देश के सबसे महंगे वकीलों में से एक थे। वे केस लड़ने के लिए लाखों रुपये की फीस लेते थे। राम जेठमलानी को आपराधिक मामलों का विशेषज्ञ माना जाता था।
भारत की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य नहीं रहीं
भारत की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) कंचन चौधरी भट्टाचार्य का लंबी बीमारी के बाद 26 अगस्त 2019 को मुंबई में निधन हो गया। कंचन चौधरी भट्टाचार्य 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी थीं। उन्होंने साल 2004 में उस समय इतिहास रचा था जब वे उत्तराखंड की पुलिस महानिदेशक बनीं थीं। 31 अक्टूबर 2007 को वे पुलिस महानिदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव लड़कर सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने साल 2014 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार संसदीय सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट से चुनाव लड़ा था। हालांकि वे चुनाव हार गई थीं।
सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर भी हमारे बीच नहीं रहे
दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर का 02 जनवरी 2019 को निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। उन्होंने मुंबई स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। वे सचिन तेंदुलकर के अलावा विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दीघे समेत कई मशहूर खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण दे चुके थे। आचरेकर को क्रिकेट में दिए योगदान के लिए साल 2010 में पद्म श्री (देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान) और द्रोणाचार्य पुरस्कार (1990 में) से सम्मानित किया गया था। उन्हें 12 फरवरी 2010 को भारतीय क्रिकेट टीम के तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन द्वारा ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार