नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर बीते वर्ष जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 तथा धारा 35ए की समाप्ति और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने, राष्ट्रीय नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनाने जैसे ऐतिहासिक फैसले किए लेकिन इनमें से कुछ को लेकर हुए व्यापक विरोध-प्रदर्शनों ने सरकार की नाक में दम कर दिया।
लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाली मोदी सरकार ने संसद के पहले ही सत्र में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 तथा धारा 35A को समाप्त कर दूरगामी महत्व का कदम उठाया। राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो संघ शासित प्रदेशों में बांट कर वहां के लोगों को केन्द्र सरकार के कानूनों के दायरे में लाया गया। संविधान के सभी प्रावधान अब जम्मू- कश्मीर तथा लद्दाख पर भी किसी संशोधन या अपवाद के बिना लागू होंगे।
घाटी में राजनीतिक दलों ने इसका कड़ा विरोध किया जिसके चलते सभी प्रमुख राजनेताओं को नजरबंद किया गया। करीब महीने भर तक इंटरनेट सेवा बंद रही है और संवेदनशील क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी।
दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव को भी एक ही केन्द्र शासित प्रदेश में विलय कर दिया गया। इन दोनों फैसलों से देश का मानचित्र बदल गया और राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की संख्या भी बदल गयी। देश में अब 28 राज्य और आठ केन्द्र शासित प्रदेश हो गये हैं।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में वर्षों तक धार्मिक आधार पर उत्पीड़न झेलने के बाद शरणार्थी के तौर पर देश में रह रहे हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, फारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाये गये नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश के अनेक हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन की चिंगारी भड़की जिसने सरकार की नाक में दम कर दिया। जहां सरकार इसे छह समुदायों के लोगों के कल्याण की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है वहीं विपक्ष ने इसे लेकर सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
कुछ राज्यों ने इसे लागू नहीं करने की भी घोषणा की है। विरोध-प्रदर्शनों के हिंसक रूप ले लेने से विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में करीब 20 लोगों की मौत हो गयी। पूर्वोत्तर के लोगों के विरोध को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें इसके प्रावधानों से बाहर रखा है।
देश भर के नागरिकों का राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार करने को लेकर भी विपक्ष और सरकार आमने सामने है। सरकार कह रही है कि विभिन्न योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए यह जरूरी है वही विपक्ष इसे लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए छिपे एजेंडे की बात कर रही है। जनगणना 2021 के लिए भी सभी तैयारी कर ली गयी है और यह कागज के बजाय इस बार मोबाइल एप से तैयार की जायेगी।
राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (NRC) के अधिकारों का दायरा बढ़ाते हुए कानून में संशोधन किया गया जिससे अब एजेन्सी विदेशों में भी विभिन्न मामलों की जांच कर सकेगी। कुछ नये अपराधों की जांच को भी उसके दायरे में लाया गया है। आतंकवाद पर करारी चोट करते हुए सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) कानून में संशोधन कर आतंकवादी संगठनों की तर्ज पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित करने का कानून बनाया है।
इस कानून पर अमल करते हुए मौलाना मसूद अजहर, हाफिज मोहम्मद सईद, जकी उर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम को आतंकवादी घोषित किया गया है। श्रीलंका के लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (एलटीटीई) पर पांच और वर्षों के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।
प्रधानमंत्री सहित कुछ अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने वाले विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) से संबंधित कानून में भी संशोधन कर अब इसकी सुरक्षा का घेरा केवल प्रधानमंत्री तक सीमित कर दिया है और अन्य लोगों से एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गयी है। शस्त्र कानून में भी बदलाव कर प्रति व्यक्ति केवल दो हथियार रखने की अनुमति दी गयी है। जश्न के दौरान फायरिंग को लेकर भी कानून में सख्त प्रावधान किये गये हैं।
निरंतर बढते साइबर अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया गया है जिससे लोग थाने आए बिना सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट कर सके। असम में अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उनके निर्वासन के लिए एक तंत्र बनाया गया जिससे संबंधित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर गत 31 अगस्त को प्रकाशित किया गया।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों पर जोर देने का वादा करते हुए सरकार ने ऐलान किया है कि अगले पांच वर्षों में इसका पूरी तरह सफाया कर दिया जायेगा। सरकार ने कहा है कि वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी घटनाएं 2009 में 2258 से घटकर 2018 में 833 रह गयी, उग्रवाद के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी 2009 में 1005 से घटकर 2018 में 240 रह गयी हैं। नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या 2010 में 96 से घटकर 2018 में 60 हो गई है।
पाकिस्तान और बंगलादेश से घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए असम के धुबरी जिले में भारत-बंगलादेश सीमा पर विस्तृत एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) के तहत सेंसर आधारित स्मार्ट बाड़ लगायी गयी है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर भी 10 किलोमीटर क्षेत्र में यह बाड़ लगायी गयी है।
गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव वर्ष में सिख श्रद्धालुओं को सरकार ने एक नायाब तोहफा दिया जिससे 5000 से अधिक लोग पाकिस्तान में करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए पाकिस्तान के साथ समझौते के तहत करतारपुर गलियारे तथा उस पर अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यात्री टर्मिनल का निर्माण किया गया।