हिंदी सिनेमा के हैंडसम अभिनेताओं में संजय खान की गिने जाते थे। जब संजय ने फिल्मों में डेब्यू किया तो अपनी अदाकारी और स्टाइल से दर्शकों को दीवाना बना दिया था। साठ और सत्तर के दशक में संजय खान ने एक के बाद एक कई सुपरहिट फिल्में दी। उनकी एक्टिंग का अंदाज बिल्कुल अलग रहता था। संजय खान ने निर्माता-निर्देशक और लेखक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।
उस दौर में हर कोई सूटेड-बूटेड इस अभिनेता को बार-बार देखना चाहता था। संजय खान के बड़े भाई फिरोज खान भी बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेताओं में गिने जाते हैं। आज संजय खान अपना 79 वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं संजय खान के फिल्मी सफर के बारे में।
3 जनवरी 1941 को बेंगलुरु में हुआ था संजय का जन्म
निर्माता, निर्देशक और एक्टर संजय खान का जन्म, 3 जनवरी, 1941 को बेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता अफगानिस्तान के पठान थे, भारत में वो प्रवासी के तौर पर आए थे। संजय खान की मां पार्शियन थीं, संजय खान ने शुरुआती पढ़ाई बिशप कॉटन बॉयज स्कूल बेंगलुरु और सेंट जर्मन हाईस्कूल बेंगलुरु से की। उनके भाई फिरोज खान, शाहरुख शाह अली खान, समीर खान और अकबर खान और बहन खुर्शीद और दिलशाद बेगम हैं। वर्ष 1960 में संजय खान अपने भाई फिरोज खान साथ मुंबई आ गए और उनके साथ असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर जुड़ गए।
1964 में फिल्म ‘हकीकत’ से संजय ने किया था डेब्यू
चेतन आनंद निर्देशित फिल्म ‘हकीकत’ 1964से संजय खान को, एक अतिरिक्त कलाकार के तौर पर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म जबर्दस्त हिट साबित हुई। उसी साल संजय खान राजश्री प्रोडक्शन की नेशनल अवार्ड विनिंग फिल्म ‘दोस्ती’ में एक बेहद छोटे किरदार में भी नजर आए थे।
इस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर डंका बजा दिया, न सिर्फ बॉक्स ऑफिस के लिहाज से, बल्कि क्रीटिक्स ने भी फिल्म की दिल खोलकर भरपूर प्रशंसा की। दस लाख (1966) संजय खान की पहली हिट फिल्म थी।इसमें वे उस जमाने की बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस बबीता के हीरो थे। पारिवारिक मनोरंजन पर आधारित यह फिल्म जबर्दस्त हिट रही। इसके बाद संजय खान बॉलीवुड में तेजी के साथ आगे बढ़ते गए और एक के बाद एक कई फिल्में सुपरहिट दी।
ये रही संजय खान की सुपरहिट फिल्में
संजय खान ने दिल ने पुकारा मिलन की रात’, अभिलाषा, एक फूल दो माली, इंतकाम, सास भी कभी बहू थी जैसी कामयाब फिल्मों की कतार लगा दी।
बड़े भाई फिरोज खान के साथ वो ‘उपासना’, ‘मेला’, और ‘नागिन’, फिल्मों में नजर आए। 70 और 80 के दशक में संजय खान ने पुष्पांजलि, महाराजा, वो दिन याद करो, हसीनों का देवता, वफा, धड़कन सब का साथी, बाबुल की गलियां, अनोखी पहचान, चिंगारी, दामन और आग सोने के हाथ, धुंध, त्रिमूर्ति आदि फिल्मों में शानदार अभिनय किया।
80 के दशक में निर्माता और निर्देशक के रूप में शुरू की पारी
अभिनेता संजय खान ने 80 के दशक में निर्माता और निर्देशक के रूप में हिंदी सिनेमा अपनी पारी शुरू की। उन्होंने ‘चांदी सोना’ (1977) ‘अब्दुल्ला’ (1980) और ‘काला धंधा गोरे लोग’ (1986) जैसी फिल्में बनाईं और खुद मेन लीड निभाए। ‘काला धंधा गोरे लोग’ (1986) उनकी अभिनीत आखिरी फिल्म थी। उसके बाद वो फिल्मों में नजर नहीं आए।
यहां हम आपको बता दें कि संजय खान ‘सोने के हाथ’ (1973) से अपने नाम के आगे खान लगाना शुरू कर दिया, वर्ना उसके पहले तक उन्हैं सिर्फ संजय के नाम से ही जाना जाता था। संजय खान ने अपने जमाने की सभी टॉप अभिनेत्रियों, माला सिन्हा, साधना, बबीता, मुमताज, रेखा, हेमा मालिनी, नंदा, सायरा बानू, नूतन और जीनत अमान के साथ काम किया। संजय खान को साधना और मुमताज के साथ सबसे अधिक पसंद किया गया।
संजय ने टीवी सीरियल भी बनाए थे
फिल्मों के साथ संजय खान ने छोटे पर्दे के लिए भी कुछ सीरियल बनाए। उनके द्वारा निर्मित और निर्देशित टीवी सीरियल ‘द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ (1990) छोटे पर्दे पर काफी लोकप्रिय हुआ था। उनका एक और मेगा सीरियल ‘द ग्रेट मराठा’, जिसका उन्होंने निर्माण निर्देशन किया, काफी पसंद किया गया। यह मराठा योद्धा महादजी सिंधिया पर आधारित था। 90 के दशक में टीवी सीरियल ‘जय हनुमान’ का निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने किया। आपको जानकारी दे दें कि संजय खान को लेखन का भी शाैक था। उन्होंने ‘काला धंधा गोरे लोग’, द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’, ‘द ग्रेट मराठा’, ‘जय हनुमान’ ‘1857 क्रांति’ और ‘महारथी कर्ण’ की स्क्रिप्ट भी लिखी थी।
अभिनेत्री जरीना से किया था निकाह
1966 में संजय का निकाह, 60 के दशक की जानी मानी मॉडल, जरीना से हुआ था। जरीना, संजय की तरह फिल्मों में काम करना चाहती थीं और ‘तेरे घर के सामने’ (1963) में उन्होंने एक सेक्रेटरी का छोटा सा किरदार निभाया था। लेकिन शादी के बाद उन्होंने खुद को सिर्फ गृहस्थी तक सीमित रखा। जरीना और संजय के तीन पुत्रियां फरहा, सिमोन और सुशेन खान हैं। सुशेन की शादी ऋतिक रोशन के साथ हुई, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए। बेटा जायद खान है।
बेटा जायद खान भी एक्टर है
संजय के बेटे भी बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में नजर आए हैं। जायद खान ने शाहरुख खान स्टारर ‘मैं हूं न’ से बॉलीवुड में कदम रखा था, लेकिन वह अपनी पहचान बनाने में अपने पिता की तरह सफल नहीं हुए। इसके बाद जायद खान ने खुद को फिल्म इंडस्ट्री से अलग कर रखा है। वो कई सालों से किसी फिल्म में नजर नहीं आए हैं। संजय खान की तीन बेटियां भी बिना किसी फिल्म में काम किए बॉलीवुड जगत के जाने माने चेहरों शुमार में हैं।
सीरियल बनाने का दौरान हुए हादसे में संजय गंभीर रूप से जल गए थे
वर्ष 1990 में सीरियल बनाने के दौरान एक जबरदस्त हादसा होने से निर्माता निर्देशक संजय खान बुरी तरह जल गए थे। ‘प्रीमियर स्टूडियो मैसूर’ में ‘द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ की शूटिंग के दौरान, शॉर्ट सर्किट हो जाने से भीषण आग लगी थी, जिसमें 52 लोगों की मौत हुई थी और संजय काफी अधिक जल गए थे। उस घटना के बाद वह लगभग एक साल से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहे थे।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार