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In Kota children kept dying for a month and politics continued - Sabguru News
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कोटा में एक माह तक बच्चे मरते रहे और सियासत होती रही

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कोटा में एक माह तक बच्चे मरते रहे और सियासत होती रही
In Kota children kept dying for a month and politics continued
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In Kota children kept dying for a month and politics continued

जयपुर। आज हम आपको राजस्थान के कोटा के एक सरकारी अस्पताल की घटना बताने जा रहे हैं। इस खबर की सच्चाई जानकर आपको बहुत पीड़ा होगी। हम बात कर रहे हैं कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल की, जहां पिछले दिसंबर माह में लगातार छोटे बच्चों की मौत होती रही। पूरे एक माह में 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई। न राज्य सरकार न केंद्र सरकार न ही स्वास्थ्य विभाग, किसी ने भी बच्चों की मौत को रोकने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए बल्कि हमारे देश में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से बयानबाजी और सियासत होती रही।

बुखार और निमोनिया से ही बच्चे हर रोज मरते रहे। स्वास्थ्य विभाग और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार एक माह तक बच्चों की मौत का सिर्फ तमाशा ही देखती रही। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर भी एक विवादित बयान दिया कि दो तीन बच्चों की मौत रोज ही होती रहती है। गहलोत का यह बयान बताता है कि उनको कोटा के सरकारी अस्पताल में बच्चों की मौत पर कोई पछतावा ही नहीं था न ही उनको इंतजाम करने में दिलचस्पी थी।

देश में यह मामला गूंजा, तब इंतजाम करने में जुटीं सरकारें

कोटा में 100 बच्चों की मौत का मामला जब पूरे देश भर में गूंजा तब राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार चाहे स्वास्थ्य मंत्रालय इंतजाम करने में जुटा है। यही इंतजाम अगर समय रहते हुए किया जाता तो कई बच्चों की मौत को रोका जा सकता था। लेकिन हमारे देश में पुरानी परंपरा रही है, जब तक कोई मामला बिगड़ न जाए तब तक उस पर मौन धारण करे रहे। राजस्थान के अशोक गहलोत को जब कांग्रेस केंद्रीय आलाकमान की ओर से फटकार पड़ी तब हरकत में आए हैं।

अब राजस्थान की सरकार कोटा में बच्चों की मौत के मामले में सक्रिय हुई है और इंतजाम करने में जुट गई है, लेकिन अब  बहुत देर हो चुकी हा। कोटा के भाजपा सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाया। उसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजने का फैसला किया है। ओम बिरला कोटा के सांसद है उनकी भी जिम्मेदारी बनती है मामले को गंभीरता से लेना। उनको भी बच्चों की मौत के मामले को गंभीरता से लेते हुए यह पहल पहले करनी चाहिए थी।

स्वास्थ्य विभाग की टीम में पहुंची कोटा

अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक विशेष टीम राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन हॉस्पिटल भेजी गई है। इस टीम में जोधपुर एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टर, स्वास्थ्य, वित्त और क्षेत्रीय निदेशक शामिल होंगे। इसके अलावा जयपुर से भी विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री से बात की है। उनके मुताबिक, केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को बच्चों के इलाज में हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है।

बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

कोटा में सरकारी अस्पताल में 100 बच्चों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा। उन माताओं की तो गोद उजड़ गई। अब सभी राजनीति दल के नेता एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपना अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे मौके पर नेताओं के ट्वीट जरूर चलते हैं। दो शब्द लिखकर पूरे घटना की जैसे उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी हो। लेकिन भारत देश आज भी गांव में बसता है, जो पीड़ित है वे नहीं जानते ट्वीट का अर्थ क्या है ? उन्हें तो सिर्फ न्याय चाहिए।

कोटा में नवजात बच्चे लगातार मरते रहे और सभी राजनीतिक दल सियासत करते रहे सभी एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे। जबकि यह बच्चों में जुड़ा हुआ मामला था उस समय कम से कम इन राजनीतिक दलों के नेताओं को एकजुट होकर बच्चों की मौत कैसे राेकी जाए, इस पर सोचना चाहिए था।

मामले को लेकर इन नेताओं के बीच खूब हुई बयानबाजी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती ने राजस्थान के कोटा स्थित एक अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले में गुरुवार को राजस्थान सरकार और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर निशाना साधा। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार बीमार शिशुओं की मौत पर पूरी तरह संवेदनशील है और इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। गहलोत के बयान के मुताबिक अगर सरकार बच्चों की मौत पर संवेदनशील है तो बच्चों की मौत कैसे हुई यह भी आपको बताना होगा।

जब किरकिरी हुई तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सफाई देते फिर रहे हैं

कोटा में बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान उनको महंगा पड़ गया है। इस मामले में राज्य सरकार की पूरे देश भर में हुई किरकिरी की जिम्मेदारी गहलोत की ही बनती है। ऐसे में केंद्रीय आलाकमान ने जब गहलोत को फटकार लगाई तब जाकर मुख्यमंत्री सफाई देते फिर रहे हैं। मामले के राजनीतिक तूल पकड़ने के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के राज्य प्रभारी अविनाश पांडे से बच्चों की मौत और अशोक गहलोत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी ली है।

सोनिया की नाराजगी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया,” जेके लोन अस्पताल, कोटा में हुई बीमार शिशुओं की मृत्यु पर सरकार संवेदनशील है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। कोटा के इस अस्पताल में शिशुओं की मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। हम आगे इसे और भी कम करने के लिए प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बच्चों की मौत पर ऐसी संवेदनशीलता पहले दिखानी चाहिए थी। कम से कम कुछ बच्चों की जान तो बच जाती।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार