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निर्भया कांड 2012 से दहल गया था पूरा देश, पढें कब क्या हुआ - Sabguru News
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निर्भया कांड 2012 से दहल गया था पूरा देश, पढें कब क्या हुआ

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निर्भया कांड 2012 से दहल गया था पूरा देश, पढें कब क्या हुआ

नई दिल्ली। सोलह दिसम्बर 2012 की भयावह काली रात में किए गए गुनाह के दोषियों को सजा तथा निर्भया काे इंसाफ देने की घड़ी करीब आ गई है और अपराधियों को अब फांसी पर चढ़ाया जाना ही शेष रह गया है।

निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार और बाद में उसकी मौत से देश को हिला देने वाले इस वीभत्स कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने के लिए मंगलवार को पटियाला हाउस अदालत ने डेथ वारंट जारी कर दिया। चारों दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फंदे पर लटकाया जाएगा।

जनमानस को झकझोर देने के साथ ही सत्ता के गलियारों में हलचल मचा देने वाले इस दुष्कर्म और हत्याकांड के घटनाक्रमों से जुड़े तथ्यों का सिलसिलेवार विवरण इस प्रकार है..

16 दिसम्बर 2012 : पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने उस समय सामूहिक दुष्कर्म और वीभत्स तरीके से मारपीट की जब वह अपने मित्र के साथ एक निजी बस में सफर कर रही थी। पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।

17 दिसम्बर 2012 : घटना की खबर फैलते ही लोगों में तीव्र आक्रोश फैल गया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन की शुरुआत हुई। पुलिस ने चार आराेपियों बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश विनय शर्मा और पवन गुप्ता के रूप में की पहचान की ।

18 दिसम्बर 2012 : राम सिंह और तीन अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया।

20 दिसम्बर 2012 : पीड़िता के मित्र का परीक्षण किया गया।

21 दिसम्बर 2012 : नाबालिग आरोपी को दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल से पकड़ा गया। पीड़िता के मित्र की निशानदेही पर हरियाणा में मुकेश और छठवें आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार स्थित ठिकाने पर पुलिस ने छापा मारा।

21-22 दिसम्बर 2012 : अक्षय को बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। अस्पताल में एसडीएम के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज किया गया।

दिसम्बर 2012 : घटना के विरोध में प्रदर्शन पर नियंत्रण की कार्रवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के कांस्टेबन सुभाष तोमर गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

25 दिसम्बर 2012 : पीड़िता की हालत गंभीर घोषित की गई। दूसरी तरफ घायल कांस्टेबल तोमर ने अस्पताल में दम ताेड़ दिया।

26 दिसम्बर 2012 : पीड़िता को दिल का दौरा पड़ने के कारण सरकार की तरफ से उसे सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल भेजा गया।

29 दिसम्बर 2012 : पीड़िता ने 02.15 बजे दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या का अपराध दर्ज किया।

02 जनवरी : तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन अपराध मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना की।

03 जनवरी : पुलिस ने पांच वयस्कों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या के प्रयास, अपहरण और डकैती के मामले में आरोप पत्र दाखिल किए।

05 जनवरी : न्यायालय ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।

07 जनवरी : न्यायालय ने मामले की सुनवाई कैमरे के समक्ष करने का आदेश दिया।

17 जनवरी : फास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों बालिग आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई शुरू की।

28 जनवरी : किशोर न्यायालय बोर्ड ने कहा कि नाबालिग की कम उम्र होने की पुष्टि हुई।
22 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मीडिया को अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने की अनुमति दी।

05 जुलाई : किशोर के खिलाफ किशोर न्यायालय बोर्ड में जांच पूरी हुई और बोर्ड ने अपना फैसला 11 जुलाई तक सुरक्षित रखा।

08 जुलाई : फास्ट ट्रैक अदालत ने अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाहों के बयान दर्ज किए।

11 जुलाई : किशोर न्यायालय बोर्ड ने नाबालिग को उसी दिन (जब निर्भया के साथ यह घटना हुई थी) एक बढ़ई को अवैध तरीके से बंद रखने तथा लूटपाट करने के मामले में दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले की कवरेज के लिए तीन अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को अनुमति दी।

22 अगस्त : फास्ट ट्रैक अदालत ने चारों बालिग आरोपियों के खिलाफ इस मामले में अंतिम बहस शुरू की।

31 अगस्त: किशोर न्यायालय बोर्ड ने नाबालिग को सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया और उसे तीन साल के लिए सुधारगृह में भेज दिया।

03 सितंबर: फास्ट ट्रैक अदालत ने सुनवाई पूरी की। फैसला सुरक्षित रखा।

10 सितंबर: कोर्ट ने मुकेश, विनय, अक्षय, पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक कृत्य, निर्भया की हत्या और उसके दोस्त की हत्या का प्रयास समेत 13 मामलों में दोषी ठहराया।

13 सितंबर: कोर्ट ने चारों दोषियों को मृत्युु की सजा सुनाई।

23 सितंबर: उच्च न्यायालय ने अदालत द्वारा दोषियों की मौत की सजा के संदर्भ में सुनवाई शुरू की।

03 जनवरी,2014: उच्च न्यायालय ने दोषियों की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।

13 मार्च: उच्च न्यायालय ने 4 दोषियों को मौत की सजा सुनाई।

15 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने दो दोषी मुकेश और पवन के द्वारा दायर की गई याचिका के बाद फांसी पर रोक लगाई। इसके बाद अन्य दोषियों पर भी रोक लगा दी।

15 अप्रैल: उच्चतम न्यायालय ने पुलिस को पीड़िता के मरने की घोषणा करने का निर्देश दिया।

03 फरवरी, 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह मौत की सजा सुनाने से पहले विभिन्न पहलूओं को नए सिरे से सुनेगा।

27 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने उनकी गुजारिश पर फैसला सुरक्षित रखा।

05 मई: उच्चतम न्यायालय ने चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि यह ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ मामला है और यह अपराध ‘सुनामी में हुए हादसे’ जैसा है।

08 नवंबर: चार में से एक दोषी मुकेश उच्चतम न्यायालय में अपने खिलाफ दी गई मृत्युदंड की सजा पर पुनर्विचार की अपील करता है।

12 दिसंबर: दिल्ली पुलिस उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध करती है।

15 दिसंबर: दोषी विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता अपने फैसले की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

04 मई, 2018: उच्चतम न्यायालय ने विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित किया।

09 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने तीनों दोषियों की पुनर्विचार याचिका को खारिज किया।

10 दिसंबर, 2019: अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में मृत्युदंड के फैसले पर पुनर्विचार दायर की।

18 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने उसकी पुनर्विचार याचिका रद्द की। दिल्ली की अदालत ने तिहाड़ के अधिकारियों को उनके शेष कानूनी उपचारों का लाभ उठाने के लिए दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।

07 जनवरी, 2020: दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों मुकेश (30),पवन गुप्ता(23),विनय शर्मा (24),राम सिंह(22), अक्षय कुमार सिंह (27) के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया। उन्हें 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी पर लटकाया जाएगा।