नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोशों द्वारा की गई हिंसक घटना के विरोध में गुरुवार काे यहां नागरिक मार्च निकाले जाने तथा छात्र प्रतिनिधियों की मानव संसाधन मंत्रालय के अधिकारी से कुलपति एम जगदीश कुमार को बर्खास्त किए जाने की मांग पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन की ओर कूच करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया जिससे कई छात्र घायल हो गए और 50 से अधिक छात्रों को हिरारात में ले लिया गया।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने जेएनयू विवाद के परिप्रेक्ष्य में अपनी टिप्पणी में कहा कि कुलपति एम जगदीश कुमार फीस वृद्धि को लेकर सरकार के प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं कर रहे हैं और उन्हें पद से हटा दिया जाना चाहिए।
डॉ. जोशी ने अपने ट्वीट में कहा कि यह चौंकाने वाला तथ्य है कि कुलपति सरकार के प्रस्ताव को लागू नहीं करने के लिए अड़ें हुए हैँ। उनका रवैया निराशाजनक है और मेरी राय में ऐसे कुलपति को इस पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईसी घोष ने कहा कि कुलपति को तत्काल हटाए जाने की मांग पर उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला इसलिए यह मार्च यहीं खत्म नहीं होगा बल्कि राष्ट्रपति भवन की ओर जाएंगे और विश्वविद्यालय के विजीटर से इस मामले में गुहार लगाएंगे। इस घोषणा के बाद छात्र राष्ट्रपति भवन की बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर कुछ लोगों को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग ले गई जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।
पुलिस ने छात्रों को रोकने की कोशिश की तो कुछ छात्र अलग अलग समूह बनाकर पुलिस की नजरों से बचकर राष्ट्रपति भवन की ओर जाने लगे। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने राजपथ को सील कर दिया और बड़ी संख्या में पुलिस बलों को तैनात कर किया गया है।
जेएनयू छात्रसंघ ने ट्वीट कर कहा कि पुलिस की बर्बरता के आगे हमारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं रुकेगा। इस बीच उच्च शिक्षा सचिव ने जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष डी के लोबियाल और जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष को शुक्रवार को दोपहर बाद तीन बजे चर्चा के लिए बुलाया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान एक युवती ने दूसरे युवक को छुड़ाने के लिए लड़की ने दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त आईपीएस इंगित सिंह के हाथ में काट दिया। पुलिस ने हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की है।
इससे पहले मार्च कर रहे जेएनयू के छात्र जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां धरना प्रदर्शन किया तो मंत्रालय की ओर से उन्हें उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे से मिलकर बातचीत करने का न्योता मिला। इसके बाद जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष एवं सचिव सतीश यादव और कुछ शिक्षकों के शिष्टमंडल ने खरे से मुलाकात की लेकिन दोनों पक्षों के बीच वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला।
इस बैठक से बाहर आकर घोष ने कहा कि जब तक कुलपति को हटाया नहीं जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद वहां बड़ी संख्या में मौजूद छात्र अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गए। जेएनयू छात्रों को अंबेडकर भवन के पास से हिरासत में ले लिया है।
नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के बाहर भारी पुलिस कर्मी तैनात कर दिए गए और चारों तरफ जाम लग गया। इसके अलावा पुलिस ने 50 से अधिक छात्रों को हिरासत में ले लिया। शास्त्री भवन के सामने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी फौरन आ गए और उन्होंने बैरीकेड लगाकर रास्ते को रोक दिया ताकि छात्र राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ नहीं सकें।
इस बीच, कांग्रेस ने जेएनयू में हिंसा के दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री जिम्मेदार हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेएनयू की हिंसक घटना को 72 घंटे हो गए हैं लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
उन्होेंने कहा कि जो कांड घटा जेएनयू में करवाया गया है। इसके पीछे कौन था, हम सब जानते हैं। मैं सीधा आरोप लगा रहा हूं। इसके पीछे मानव संसाधन विकास मंत्री और गृह मंत्री, दोनों शामिल हैं। ये ऑफिशियली स्पोंसर्ड गुडांइज्म है। बहत्तर घंटे हो गए हैं और दिल्ली पुलिस को जानकारी है, किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए, पर आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। लापरवाही है, पर ये जानबूझ कर की गयी लापरवाही है।
उन्होेंने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि जिनको पहचाना गया है, उनको गिरफ्तार किया जाना चाहिए। इसके अलावा वर्तमान कुलपति को हटाया जाना चाहिए। उनके पद पर रहने तक जेएनयू में सामान्य स्थिति बहाल होने की कोई गुंजाइश नहीं है। सरकार को कुलपति का त्यागपत्र लेना चाहिए और छात्रों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेएनयू में हिंसक घटना को लेकर केन्द्र की नरेंद्र माेदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पुलिस को हिंसा न रोकने के आदेश दिये गये थे। केजरीवाल ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली पुलिस क्या कर सकती है। अगर उन्हें उच्च अधिकारियों से हिंसा न रोकने के आदेश हों तो वह क्या कर सकती है। यदि पुलिस कर्मी आदेश को नहीं मानते तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता।
उल्लेखनीय है कि रविवार की शाम नकाबपोश जिनमें पुरुष और महिलाएं भी शामिल थीं, ने जेएनयू परिसर के भीतर घुसकर हॉस्टलों में तोड़फोड़ की और कथित रूप से सुनियोजित तरीके से छात्रों को अपना निशाना बनाया। हिंसा की इन घटनाओं में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष और 30 अन्य छात्र एवं शिक्षक घायल हो गये थे। जेएनयू हिंसा को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में आक्रोश फैल गया और छात्र वर्ग, सामाजिक संगठनों तथा कई राजनीतिक दलों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, पूर्व माकपा महासचिव प्रकाश करात, पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, प्रसिद्ध समाजवादी नेता शरद यादव,राष्ट्रीय जनता दल के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा, वकील प्रशांत भूषण समेत कई राजनीतिज्ञों ने राजधानी के मंडी हाउस से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने तक मार्च किया।
इसमें जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। रैली में भाग लेने वाले छात्र और शिक्षक हाथों में तख्तियां और बैनर लिए जगदीश कुमार की हिंसा की इस घटना में मिलीभगत होने का आरोप लगाया और उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की सरकार से मांग की एवं नकाबपोश हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार करने की भी मांग की है।
रैली में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष, मशहूर रंगमंच निर्देशक एम के रैना, जनवादी लेखक संघ के अतिरिक्त महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह तथा जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयू छात्रसंघ के नेता आदि भी शामिल थे।
जेएनयू में सुबह से ही बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था और विश्वविद्यालय के सभी निकास द्वारों को बंद किया गया था लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में छात्र मंडी हाउस पहुंचे और नागरिक मार्च में शामिल हुए। मंडी हाउस में शिक्षक और छात्र पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे से जुटना शुरू हो गए थे लेकिन पुलिस ने वहां पर धारा 144 लगा रखी थी और देर तक प्रदर्शनकारियों को रोके रखा। दोपहर बाद करीब एक बजे प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालना शुरू किया जिसे मानव संसाधन मंत्रालय कार्यालय से थोड़ा पहले राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर रोक दिया गया।
येचुरी ने कहा कि जेएनयू के कुलपति का इस्तीफा नहीं बल्कि उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि उन्होंने तीन घंटे तक नकाबपोशों को कैम्पस में तोड़फोड़, मारपीट तथा छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने दिया। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस को परिसर में नहीं बुलाया जबकि पुलिसकर्मी मेनगेट पर खड़े थे। उन्होंने पुलिस को तब परिसर में आने दिया जब नकाबपोश हमलावर परिसर से निकल गए। उन्होंने कहा कि कुलपति ने हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर तक नहीं करायी उल्टे घायल छात्रों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करा दी गई।
इस बीच, करीब 20 देशों के 250 से अधिक शिक्षाविदों और अकादमिक जगत की हस्तियों ने जेएनयू के कुलपति से इस्तीफा देने की मांग की है और कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में इस प्रकार की हिंसा न केवल अकादमिक स्वतंत्रता बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है और इसके लिए कुलपति जिम्मेदार है। कुलपति ने छात्रों को सुरक्षा प्रदान नहीं की है।
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के प्रो अर्जुन अप्पा दुरई और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रियम्बदा गोपाल द्वारा यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, न्यूजीलैंड जैसे देशों के शिक्षाविदों ने जेएनयू में हुई हमले पर गहरा रोष प्रकट किया है।
जेएनयू के एक शोधार्थी छात्र ने कहा कि सरकार और जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत से रविवार को कैम्पस से सुनियोजित हिंसा को अंजाम दिया गया है और अब जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। पुलिस प्रशासन इस प्रकार मिली हुई है कि हिंसा की घटना वाले स्थान पर जांच टीम को नहीं ले जाया जा रहा बल्कि जांच दलों को प्रशासनिक खंड में घुमाया गया है ताकि जांच को प्रभावित किया जा सका। उन्होंने कहा कि रातभर कैम्पस में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात रहती है और कैम्पस के ऊपर ड्रोन से निगरानी रखी जाती है। इससे छात्रों के बीच दहशत का माहौल है।
फीस वृद्धि वापस लेने की मांग को लेकर दो महीने से अधिक समय से कैम्पस में छात्र आंदोलन कर रहे हैं। प्रशासनिक खंड में लगातार आंदोलन चल रहा है लेकिन रविवार की हिंसक घटना के बाद साबरमती हॉस्टल के बाहर दिनरात आंदोलन जारी है। हिंसा की सबसे अधिक घटना साबरमती हाॅस्टल में ही हुई थी।
श्री एम के रैना ने कहा कि जेएनयू में हिंसा के बाद पहली बार कुलपति एक निजी टेलीविजन चैनल से बातचीत कर रहे थे जिसमेें उनका झूठ साफ दिखायी दे रहा था। उन्होंने कहा कि नकाबपोशों के साथ कुलपति जगदीश कुमार स्वयं हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए उन्हें खुद अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष ने कहा कि जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने छात्रों की मांगों को मान लिया था लेकिन प्रशासन ने बीच में रोक दिया। इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन के लोग ही हिंसा को बढ़ावा देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि जेएनयू में किसने हिंसा कराई है, सभी को पता है और सिर्फ दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है, इसलिए दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हो रही है। जेएनयू हिंसा के बाद जिस प्रकार से देशभर से छात्रों और समाज के अन्य समूहों ने यहां के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई है, उससे साफ हो गया है कि अब मोदी सरकार की ज्यादती नहीं चलने वाली है।
माकपा की नेता बृंदा करात ने कहा कि दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है, जेएनयू परिसर में मिलीभगत से हिंसक घटना हुई है। इसीलिए हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिसर में हिंसा के बाद वहां के कुलपति को अपने पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार द्वारा धर्म के आधार पर देश के लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। इसके खिलाफ विश्वविद्यालयों में आवाज उठाने पर उसे दबाया जा रहा है। सरकार दमनकारी हो गई है।
भाकपा के डी राजा ने कहा कि जेएनयू के कुलपति अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते और उन्हें तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए। छात्रों की मांग जायज है, इसलिए वह छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यहां आये हैं।