जयपुर। स्टेच्यू सर्किल स्थित बिड़ला सभागार में गुरुवार को महानगर टाइम्स दैनिक समाचार पत्र के तत्वावधान में युगपुरुष स्मृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महात्मा गांधी की 150वीं पुण्यतिथि और जलियांवाला बाग के शताब्दी वर्ष को लेकर कार्यक्रम का आयोजित हुए।
इस दौरान देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हुए प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ही जलियांवाला बाग के नरसंहार में शहीद हुए आंदोलनकारियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। समारोह में ‘गांधी: जयपुर सत्याग्रहÓ पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
युगपुरुष स्मृति समारोह के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी इस गरिमापूर्ण और प्रेरणादायी कार्यक्रम से इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने इसे ‘गागर में सागर’ की उपमा देते हुए कहा कि यह कहावत मैंने काफी बार सुनी लेकिन इसे आज पहली बार साकार होते देखे रहा हूं।
गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन और उनकी 150वीं पुण्यतिथि, जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी के साथ ही गांधी जी पर लिखी पुस्तक का विमोचन ये सभी कार्यक्रम गागर में सागर भरने के समान है। जोशी ने कहा कि स्वराज की जो कल्पना गांधी जी ने की, क्या हम उसे लागू कर पाए हैं। सत्ता का विकेंद्रीकरण करके ही इसे साकार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सिद्धांतविहीन राजनीति से ऐसा कर पाना संभव नहीं है। स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के लिए गोपाल जी जो प्रयास कर रहे हैं, उन्हें युवा पीढ़ी को सहयोगी बनकर आगे बढ़ाएं तो संसदीय लोकतंत्र और भी मजबूत होगा।
इस अवसर पर अपने स्वागत उद्बोधन में महानगर टाइम्स के संपादक गोपाल शर्मा ने कहा कि आज जयपुर में बिड़ला सभागार मंदिर की तरह पावन हो गया है और स्वतंत्रता के अमर शहीदों के परिजनों के स्थान ग्रहण करने के बाद ये सीटें व्यासपीठ बन चुकी हैं। शर्मा ने कहा कि कार्यक्रम में शहर के वे छात्र भी उपस्थित हैं जिन्होंने पढ़ाई के दौरान श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, वे आज इन्हें देखकर त्याग और तपस्या की सीख लेंगे।
शर्मा ने कहा कि पिछले 22 साल से महानगर टाइम्स में ‘किससे करें गुहार’ नाम का एक कॉलम चल रहा है। जिसके अनुसार कोई भी दुखी-पीडि़त संस्थान के कार्यालय से निराश होकर नहीं लौटता। उन्होंने क्रांतिकारी परिवारों के परिजनों की जयपुर से प्रगाढ़ रिश्तों की चर्चा करते हुए कहा कि देश का ऐसा कोई क्रांतिारी परिवार नहीं है जो जयपुर नहीं आया हो, हमने सभी क्रांतिकारियों को जोडऩे का काम किया है।
‘गांधी जी और जयपुर के रिश्तों को लेकर अब तक कही-सुनी जाती रही चर्चाओं से उलट गोपाल शर्मा ने पहली बार उन अनछुए पहलुओं को उजागर किया, जिनसे गांधी जी की जयपुर को लेकर चिंताओं और सत्याग्रह आंदोलन में जयपुर की महत्ती भूमिका का रहस्योद्घाटन हुआ। जिसके अनुसार गांधीजी के लिए 1938 से लेकर 1940 तक अलग-अलग समय हुए महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को लेकर गांधी के पांचवे पुत्र जमनालाल बजाज को आंदोलन का नेतृत्व सौंपने से लेकर उसकी बागडोर खुद अपने हाथों में रखने का स्पष्ट प्रमाण मिलता है।
गांधी जी द्वारा गोपाल कृष्ण गोखले को लिखे गए पत्र, जयपुर के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ब्यूचैंप और राजकोट के वकील चूडगर को लिखे पत्र में जयपुर के लोगों के साथ हुकूमत के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को लेकर कड़ी नाराजगी जताने के साथ ही सत्याग्रह अपना समर्थन देने तक का जिक्र किया गया।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ब्यूचैंप के अहिंसात्मक आंदोलन का मुकाबला मशीनगन से करने की बात कहने पर गांधी जी का ब्यूचैंप को दिल्ली तलब कर डेढ़ घण्टे तक सीधे सवाल-जवाब करना और उसके बाद सीधे वायसराय को उसकी करतूत की जानकारी देने के साथ ही उसे बतौर जयपुर के प्रधानमंत्री से हटाने जैसा दृढ़ प्रतिज्ञ निर्णय गांधी जी की जयपुरवासियों के साथ गहरे आत्मीय रिश्तों का स्पष्ट प्रमाण है।
गांधीजी ने जयपुर आगमन के साथ ही रेल के डिब्बे बाहर खड़े होकर बड़ी संख्या में उन्हें सुनने आए लोगों को संबोधित भी किया। बारडोली के आंदोलन के दौरान गांधी जी ने जयपुर को लेकर हरिजन में भी लेख लिखे।
वहीं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि डॉ. नन्दकिशोर आचार्य ने सही अर्थों में स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के 72 सालों बाद भी हमें कई क्षेत्रों में सही अर्थों में स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई। हमें ऐसा देश, समाज, राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रयत्न करना चाहिए, जिससे यह कहा जा सके कि हमें सही अर्थों में आजादी मिल गई है।
पद्मश्री डीआर मेहता ने सम्पूर्ण मानवता की सेवार्थ उनकी संस्था की ओर से किए जा रहे उच्चकोटी के सेवाकार्यों का उल्लेख किया। मेहता ने कहा कि अब तक 18.50 लाख लोगों को जयपुर फुट लगाए जा चुके हैं। इनमें 25 हजार पाकिस्तान के नागरिक भी शामिल हैं। जयपुर फुट लगाने में जाति, सम्प्रदाय, वर्ग का कोई भेद नहीं है। सभी जरूरतमंदों को ही जयपुर फुट लगाए जाते हैं।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अपने आपको भाग्यशाली बताते हुए कहा कि जिंदगी में पहली बार एकसाथ राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानियों के दर्शन कर रहा हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़े सौभाग्य की बात है, कार्यक्रम के लिए इस दिन का जो चयन किया गया है, यह भी हम सब के लिए गौरव का विषय है और इसके लिए गोपाल जी बधाई के पात्र हैं।
उन्होंने कहा कि मुल्क की आजादी के लिए दिल में कैसी तड़पन थी, उधम सिंह ने उसका सर्वोत्तम उदाहरण पेश किया और आज उनके परिजन यहां मौजूद हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने महात्मा गांधी से जयपुर का संबंध सत्याग्रह को उजागर कर एक भगीरथी प्रयास किया गया है। लेकिन अब आने वाली युवा पीढ़ी के लिए कोई रोल मॉडल होना चाहिए महानगर टाइम्स ने यह बीड़ा उठाकर इस सोच को आगे बढ़ाने का काम किया है।
जलियांवाला बाग शहीद परिवार हुए सम्मानित
जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजन नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के सुकुमार मुखर्जी
(शहीद डॉ एससी मुखर्जी के पौत्र)
उजागर सिंह
(शहीद श्री उधम सिंह के दोहित्र)
74 वर्ष के महेश बहल और पत्नी 68 वर्ष की विनोद बहल
(शहीद लालाराम बहल के पौत्र)
75 वर्ष के टेकचंद और पत्नी 67 वर्ष की भावना
(शहीद खुशीराम शर्मा के पौत्र)
64 वर्ष के विमल कपूर और पत्नी 61 वर्ष के रंजू
(शहीद ताराचंद कपूर के पौत्र)
64 वर्ष के महेंद्र सिंह और पत्नी 58 वर्ष की शमेंद्र कौर
(शहीद सरदार सुंदर सिंह के पौत्र)
69 वर्ष के विपन कपूर और पत्नी 63 वर्ष की बीना कपूर
(शहीद रामदयाल कपूर के पौत्र)
ये राजस्थानी स्वतंत्रता सेनानी हुए सम्मानित
अजमेर से 93 वर्ष के ईसर सिंह बेदी, श्रवण लाल प्रजापति
बारां से राधेश्याम भार्गव
भरतपुर से गोपाल राम भांवरा, हुकम चंद सैनी, रामजीलाल, ओम प्रकाश पाण्डेय
चूरू से हरीराम ढाका और उमराव सिंह
जयपुर से 92 वर्ष के पदम सिंह राठौड़, कृष्ण चंद, रामजीलाल अग्रवाल, राजेंद्र नाथ भार्गव, रामू सैनी, भगवान सहाय कानूनगो, रामेश्वर चौधरी, टी एन दर
झुंझुनूं से सेडूराम, सत्यदेव, गणपत राम, 105 वर्ष के सुल्तान राम
नागौर से कालूराम पारीक
सीकर से 94 वर्ष के कालीदास स्वामी
उदयपुर के देवीलाल मेहता