नई दिल्ली। आर्थिक विकास सर्वे से देश के आर्थिक हालात की आधिकारिक तस्वीर सामने आती हैं। हर साल इकोनॉमिक सर्वे बजट से एक दिन पहले पेश होता हैं। इस बार भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की। संसद में पेश की गई वित्त वर्ष 2019-20 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि देश की आर्थिक वृद्धि दर में जितनी नरमी आनी थी, वह आ चुकी हैं और अगले वित्त वर्ष में यह बढ़कर 6 से 6.5% के बीच रहेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत सर्वे में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया हैं।
समीक्षा में कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर कमजोर होने और देश के वित्तीय क्षेत्र की समस्याओं के चलते निवेश धीमा होने से भारत पर असर पड़ रहा हैं। इसके चलते चालू वित्त वर्ष में घरेलू आर्थिक वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर पर आ गई हैं। सर्वे में कहा गया कि 2019-20 में वृद्धि कम से कम 5% रहने का अनुमान हैं।
चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में वृद्धि दर घट कर 4.5 प्रतिशत पर आ गई थी। इस बार की आर्थिक समीक्षा को हल्के बैंगनी रंग (लैवेंडर) के कवर में प्रकाशित किया गया हैं। समीक्षा में कहा गया हैं कि संपत्ति का वितरण करने के लिए पहले उसका सृजन करने की आवश्यकता हैं। सरकार का दखल प्याज जैसी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने में अप्रभावी साबित हुआ लगता हैं।
आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करेंगे
आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करने के लिए समीक्षा में विनिर्माण के नए विचारों की वकालत की गई हैं। इन विचारों में ‘विश्व के लिए भारत में असेंबल’ करने का विचार भी शामिल हैं, जिससे रोजगार सृजन होगा। समीक्षा में कारोबार सुगमता को आगे बढ़ाने के लिए निर्यात संवर्द्धन के लिए बंदरगाहों से लालफीताशाही दूर करने तथा कारोबार शुरू करने, संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कराने, टैक्स पेमेंट करने और करार करने को आसान बनाने जैसे उपाय करने की जरूरत हैं।
2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने पर केंद्र का लक्ष्य
मोदी सरकार ने 2024 तक इंडियन इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा हैं। अर्थशास्त्री मानते हैं कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी ) ग्रोथ रेट 8 फीसदी सालाना होनी चाहिए। लेकिन इस लक्ष्य को रखने के पहले ही साल आर्थिक सर्वेक्षण ने इसे झटका लगा दिया हैं। इस वर्ष तो जीडीपी ग्रोथ करीब पांच फीसदी रहने का अनुमान हैं ही, अगले साल के लिए मोदी सरकार मानती हैं कि जीडीपी ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी के बीच रहेगी।
जीडीपी ग्रोथ को लेकर केंद्र सरकार पसोपेश में
अगर वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6-6.5 फीसदी रहती हैं, तो फिर अगले तीन साल में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी तक पहुंचने के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 8 फीसदी से भी ऊपर पहुंच जाएगा। क्योंकि सरकार ने 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा हैं। ऐसे में बजट 2020 से पहले आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों ने जीडीपी ग्रोथ के मोर्चे पर सरकार को झटका दे दिया हैं।
मोदी सरकार अपने प्रस्तावित लक्ष्य को क्या पूरा कर पाएगी ?
बता दें, पिछले साल जब मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई, तो उसने जुलाई 2019 में बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान के भारतीय इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन बनाने का ऐलान किया था। उसी समय अनुमान लगाया गया था कि इस लक्ष्य को पाने के लिए 2024 तक लगातार कम से कम 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट की जरूरत होगी। लेकिन खुद सरकार चालू वित्त वर्ष (2019-20) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 5 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान लगाया हैं।
आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट का दावा, 6 साल में 2.62 करोड़ लोगों को नौकरी मिली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण संसद के पटल पर शुक्रवार को पेश किया। इस सर्वे के मुताबिक वर्ष 2011-12 से 2017-18 के छह साल के दौरान 2.62 करोड़ लोगों को नई नौकरी मिली हैं। सर्वे के मुताबिक 2011-12 से 2017-18 के बीच देश के शहरी, ग्रामीण इलाकों में 2.62 करोड़ लोगों को नौकरियां मिली हैं, यह आंकड़ा संगठित क्षेत्र का हैं। इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, नवंबर 2019 तक कुल 69.03 लाख लोगों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया हैं।
2019 की आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट ये थी
बीते साल सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि जीडीपी की वृद्धि दर वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी की जगह वर्ष 2018-19 में 6.8 फीसदी रही। वहीं अच्छी विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि में भी तेजी आई थी। साल 2017-18 में ये दर 5.9 फीसदी था जो 2018-19 में 6.9 फीसदी बताया गया था। राजकोषीय घाटा 2017-18 में जीडीपी के 3.5 फीसदी से घटकर 2018-19 में 3.4 फीसदी रह गया। यहां हम आपको बता दें कि आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता हैं। इस सर्वे रिपोर्ट से आधिकारिक तौर पता चलता हैं कि बीते साल आर्थिक मोर्चे पर देश का क्या हाल रहा।
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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार