नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया मामले के दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद रविवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि अदालत सभी पक्षों द्वारा अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद आदेश पारित करेगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र सरकार की ओर से दलीलें पेश करते हुए कहा कि निर्भया मामले के दोषी फांसी की सजा टलवाने के मकसद से बार-बार याचिकाएं दायर कर न्यायिक मशीनरी से खेल रहे हैं और देश के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।
केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी गयी है।
गौरतलब है कि 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की थी। उसे बाद में बस से नीचे फेंक दिया गया था। उसे गंभीर स्थिति में इलाज के लिए सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसने 29 दिसम्बर 2012 को दम तोड़ दिया था।
मामले के छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था जिसे एक किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और उसे तीन वर्ष बाद सुधारगृह से रिहा कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने 2017 के अपने फैसले में दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा बरकरार रखी थी।