अहमदाबाद। राजद्रोह के एक सनसनीखेज मामले की सुनवाई कर रही यहां की एक स्थानीय अदालत ने मुख्य आरोपी तथा पाटीदार आरक्षण आंदाेलन समिति के पूर्व संयाेजक और अब कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ आज एक बार फिर गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।
अतिरिक्त जिला जज बीजे गणात्रा की अदालत ने इसी मामले में गत 18 जनवरी को भी उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था जिसके चलते वह गिरफ्तार कर जेल भी भेजे गए थे। इस बार भी अदालत में सुनवाई के दौरान बिना ठोस कारण के अनुपस्थित रहने के चलते वारंट जारी किया गया है। अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 15 फरवरी तय की है और हार्दिक को इससे पहले भी गिरफ्तार कर इसके समक्ष पेश किया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि अदालत में पेश नहीं होने के कारण ही गत 30 जनवरी को भी मोरबी जिले के टंकारा शहर की एक अदालत ने एक अन्य मामले में उनके तथा सह आरोपी कांग्रेस विधायक ललित वसोया समेत चार के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था।
अहमदाबाद में 25 अगस्त 2015 को जीएमडीसी मैदान पर विशाल आरक्षण समर्थक रैली के बाद हुई हिंसा को लेकर दायर राजद्रोह के मुकदमे में सुनवाई के दौरान यहां अतिरिक्त जिला जज बी जे गणात्रा की अदालत ने पिछले माह लगातार अनुपस्थिति के चलते 18 जनवरी को गैर जमानती वारंट जारी किया था और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। वह 24 जनवरी काे रिहा किए गए थे।
इसी अदालत में आज सुनवाई के दौरान वह पिछली तिथि एक फरवरी और आज एक बार फिर अनुपस्थित रहे। सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए फिर से उनके खिलाफ वारंट जारी करने का आग्रह किया था जिसे आज अदालत ने स्वीकार कर लिया।
हार्दिक के खिलाफ टंकारा के एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अप्रेल 2017 में बिना मंजूरी के सभा करने से जुड़े मामले में गैर जमानती वारंट जारी किया है और इसमें सुनवाई की अगली तिथि 27 मार्च रखी है। इससे पहले अहमदाबाद की एक अन्य अदालत ने जीएमडीसी मैदान में रैली के बाद सरकारी अधिकारियों से दुर्व्यवहार और बलवा करने से जुड़े एक अन्य मामले में उनकी अग्रिम जमानत अर्जी भी 29 जनवरी को खारिज कर दी थी। उनके उपर फिर से गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है।
ज्ञातव्य है कि गत 23 जनवरी को राजद्रोह प्रकरण में गैर जमानती वारंट के रद्द होने के बाद जेल से छूटते ही हार्दिक को पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया था तथा गांधीनगर के माणसा और पाटन जिले के सिद्धपुर में बिना अनुमति के रैली करने से जुड़े दो अन्य मामलो में पेशी के बाद 24 जनवरी को छोड़ा था। उनके खिलाफ राजद्रोह के कुल दो मामलो समेत कई छोटे बड़े मामले दर्ज हैं।