अजमेर। राजस्थान मेंं अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 808वें सालाना उर्स के मौके पर दो मार्च को छठी के कुल की रस्म होगी, इसमें शिरकत करने के लिए जायरीनों एवं अकीदतमंदों की भारी भीड़ जुट गई है।
रजब महीने की छह तारीख को आज रात 12 बजे के बाद से ही दरगाह शरीफ की गुलाब जल एवं केवड़े से धुलाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जो दोपहर तक चलेगा। सोमवार सुबह महफिल खाने में कुरान ख्वानी होगी। इसके बाद कुल की महफिल और मजार शरीफ पर फातेहा होगी।
परम्परा के अनुसार दागोल की रस्म भी अदा की जाएगी, जिसमें देश भर से आए कलंदर और मलंग शामिल होंगे। खादिमों की संस्थाओं की ओर से इनकी दस्तारबंदी करके विदाई दी जाएगी। जिसके बाद कलंदर और मलंग लौट जाएंगे।
इस बीच ढोल, ताशों और कव्वालियों के साथ मजार शरीफ में अकीदतमंदों की ओर से चादर चढ़ाने का सिलसिला बदस्तूर है। रविवार होने से जायरीनों की आवक तेजी से बढ़ रही है। जायरीन दुआ के साथ मन्नत के धागे बांध कर मनोकामना पूरी करने की दुआ मांग रहे है।
दरगाह कमेटी, जिला एवं पुलिस प्रशासन, खादिमों की संस्थाओं के अलावा सभी स्वयंसेवी संगठन उर्स में आ रहे अकीदतमंदों को बेहतर सुविधाओं के साथ खिदमत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। अजमेर में पाकिस्तानी जायरीनों की मौजूदगी से अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। रजब महीने की नौ तारीख यानि पांच मार्च को नवी का कुल होने के साथ ही उर्स विधिवत सम्पन्न हो जाएगा।