अजमेर। राजस्थान में अजमेर में चल रहे ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 808वें छह दिवसीय सालाना उर्स पर आज छठी के मौके पर कुल की रस्म के साथ ही उर्स मुक्कमल हो गया और जन्नती दरवाजा भी बंद कर दिया गया।
इसके साथ ही जायरीनों के लौटने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है। नवी का बड़ा कुल पांच मार्च को होना है। इस धार्मिक रस्म के साथ उर्स का विधिवत समापन हो जाएगा।
कुल की रस्म के साथ ही अनौपचारिक रूप से संपन्न हुए उर्स में सुबह आठ बजे आस्ताना बंद कर दिया गया और आस्ताने में केवल खादिम समुदाय ने खिदमत की। आस्ताने शरीफ को गुलाबजल एवं केवड़े के छींटे देकर गुस्ल किया गया। दरगाह गुंबद की बाहर की दीवारों को अकीदतमंदों ने गुलाबजल एवं केवड़े से धोकर उसके पानी को बोतलों में भरकर जमा किया और अपने घरों के लिए सुरक्षित रख लिया।
इस दौरान महरौली से उर्स की छड़ी लाने वाले मलंगों और कलंदरों ने दागोल की रस्म अदा की जिनका अंजुमन की ओर से दस्तारबंदी करके विदाई दी गई। छठी के कुल की रस्म के दौरान 1:15 बजे बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे गए जिसके जरिए एक तरह से उर्स संपन्न होने की सार्वजनिक सूचना दी गई। इसके बाद जन्नती दरवाजा भी बंद कर दिया गया।
इससे पहले रात बारह बजे से छठी के मौके पर अंतिम शाही महफिल और छठा गुस्ल दिया गया जिसमें दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन की सदारत रही। रात से ही दरगाह की दीवारों, दरवाजों आदि को अकीदतमंद द्वारा धोने का सिलसिला चलता रहा जो दोपहर तक जारी रहा।
जन्नती दरवाजा बंद करने से पहले खादिमों की संस्था अंजुमनों की ओर से मजार शरीफ पर मखमली चादर एवं अकीदत के फूल पेश किए और मुल्क में अमन चैन, खुशहाली, भाईचारे, कौमी एकता एवं तरक्की की दुआ की गई।
उर्स के समापन के बाद जायरीनों का तेजी से लौटना शुरू हुआ है, दूसरी ओर जायरीनों का आना भी हो रहा है। ये लोग पांच मार्च को बड़ा कुल (नवी का कुल) में भाग लेकर फिर अपने घर को लौटेंगे। नवी का कुल सुबह पांच बजे से ग्यारह बजे तक आयोजित होगा। इसके बाद 808वें उर्स का पूर्णरूपेण समापन हो जाएगा।