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मथुरा में हुरिहारों ने गोपियों के साथ जमकर लठामार होली खेली - Sabguru News
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मथुरा में हुरिहारों ने गोपियों के साथ जमकर लठामार होली खेली

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मथुरा में हुरिहारों ने गोपियों के साथ जमकर लठामार होली खेली

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में बुधवार को मूसलाधार बारिश के बाद भी राधारानी की नगरी बरसाना में गोप गोपियों के जोश को कम न कर सकी और हुरिहारों ने गोपियों के साथ जमकर होली खेली।

बारिश की परवाह किये बगैर रंगीली गली में आज गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी की चरम परिणति पर जब लठामार होली शुरू हुई तो वातावरण तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा।जिलाधिकारी सर्वज्ञ रार्वज्ञ राम मिश्र ने बताया कि होली को देखते हुए सुरक्षा के पहले से ही चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं।

आज शाम तेल से चमचमाती लाठियां लिए, नए लहंगा और फरिया से सजी गोपिकाओं ने हुरिहारों पर लाठियों से प्रहार उस समय करना शुरु कर दिया जब कि नगाड़े की ताल पर रसिया गायन ’फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नन्द किशोर’ के मध्य हुरिहारों ने गोपिकाओं पर रंग डालकर न केवल उनके नए वस़्त्र बिगाड़ना शुरू कर दिया बल्कि उन्हें एक प्रकार से चिढ़ाना शुरू कर दिया। रंगीली गली का मनोहारी दृश्य देखकर दर्शक खुशी से झूम रहे थे। बहुत से दर्शकों के लिए भी महिलाओं द्वारा पुरूषों की लाठियों से पिटाई करने का अनुभव जीवन का पहला अनुभव था।

रंगीली गली का दृश्य बड़ा मनोहारी था। जहां नई नवेली गोपियां युवा गोपों पर लाठियों से उछल उछल कर प्रहार कर रही थीं वहीं गोप चमड़े की ढ़ालों से उनके प्रहार को न केवल रोक रहे थे बल्कि उनसे और अधिक प्रहार करने को कह रहे थे। कभी लाठियों का प्रहार करते करते गोपियां थक जाती तो कभी प्रहार झेलते झेलते गोप पीछे हट जाते।

वह समय का दृश्य बड़ा रोचक था जब दो या तीन गोपियां किसी एक गोप पर लाठियों से प्रहार करतीं और गोप हटने का नाम नहीं लेते बल्कि गोपियों के पीछे हटने पर रसिया गायन करते ’ऐसो चटक रंग डारो श्याम मेरी चूनर में लग गयो दाग री ऐसो चटक रंग डारो’। हंसी ठिठोली की यह होली सूर्यास्त होते ही ’नन्द के लाला की जय’ से समाप्त हुई।

लठामार होली शुरू होेते ही रंगीली गली में आनन्द की वर्षा होने लगी। दर्शक इसलिए प्रसन्न थे कि उन्हें श्यामाश्याम की अनूठी लठामार होली देखने को मिल रही थी तो नई नवेली गोपियां इस अनूठे कार्यक्रम में पहली बार भाग लेने के लिए खुश थी। इस लठामार होली मे कई ऐसी भी गोपियां थीं जो पूर्व में तीन दर्जन से अधिक बार लठामार होली खेल चुकी हैं।

आज सुबह लठामार होली शुरु होने के पहले नन्दगांव के हुरिहार नन्दबाबा मंदिर में आशीर्वाद लेकर बरसाना रवाना हुुए। बरसाना में पीली पोखर पहुंचने पर उनका बरसानावासियों ने स्वागत किया तथा हुरिहारों ने अपनी ढाल और पगड़ी आदि ठीक की। इसके बाद वे लाड़ली जी मंदिर पहुंचे जहां समाज गायन में भाग लेने के बाद वे लठामार होली खेलने के लिए रंगीली गली पहुंचे और गोपिकाओं से हंसी ठिठोली कर उन पर रंग डालने का प्रयास किया।

इससे पहले मंगलवार शाम को लाड़ली मंदिर में लगभग 50 मन लड्डुओं से लड्डू होली खेली गई। लड्डू होली में ऊंचाई से प्रसादस्वरूप सेवायत लड्डू फेंके जा रहे थे और भक्तों में इस प्रसाद को लेने की होड़ लगी थी। जो हाथ में आ जाता है उसे प्रसाद स्वरूप वे रख लेते और जो जमीन में गिर जाता उसे अपने साथी पर फेंककर होली खेलते।

लगभग एक घंटे में प्रसाद की समाप्ति पर लड्डू होली राधारानी के जयकार से समाप्त हुई। कुल मिलाकर पिछले दो दिन से राधारानी की नगरी बरसाना में रसिया गायन ’ऐसो रंग बरसो बरसाने जैसो तीन लोक में नाय’ चरितार्थ हो गया।