नई दिल्ली। ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020’ गुरुवार को संसद से पारित हो गया। राज्य सभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। यह विधेयक लोकसभा में पिछले सप्ताह ही पारित हो गया था।
विधेयक के कानून बन जाने के बाद दिवाला प्रक्रिया में जाने वाली कंपनियों की ओर से पूर्व में की गई अनियमितताओं के सिलसिले में बोली लगाने वाली कंपनियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकेगा। विधेयक इस संबंध में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को 2016 में लागू किया गया था। इस में तीन बार संशोधन किए गए हैं। तीनों संशोधनों से पहले सरकार संबंधित अध्यादेश लाई है।
सीतारमण ने कहा कि विधेयक में संशोधन को काफी सोच-समझ कर लाया गया है और इसमें उच्चतम न्यायालय के फैसले से जुड़ी भावनाओं का पूरा ध्यान रखा गया है।
उन्होंने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय प्राधिकरण (एनसीएलएटी) के कामकाज की सराहना की। उन्होंने बताया कि एनसीएलएटी ने 31 जनवरी 2020 तक 64,523 मामले निपटाए हैं। इनमें दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता से जुड़े 43,102 मामले थे।
सीतारमण ने कहा कि सरकार घर खरीदने वालों के हितों की सुरक्षा करेगी। पिछले वर्ष जुलाई में पेश किए गए बजट के बाद से वह इस बारे में व्यापक चर्चा करती रही हैं और उनके हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। पूरी कर ली गईं परियोजनाओं और अधूरी परियोजनाओं से जुड़े घर खरीदने वालों के हित सुरक्षित किए जाएंगे।
उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की दिक्कतें दूर करने की ओर पूरा ध्यान दिए का उल्लेख करते हुए कहा कि वह उन्होंने इनसे जुड़े उपक्रमों के अधिकारियों से कहा है कि इन उद्यमों के लिए धन की दिक्कत नहीं होने दी जाए। इनके करीब 80 प्रतिशत बकाया निपटा दिए गए हैं।