भोपाल। मध्यप्रदेश में सियासी घटनाक्रमों के लगातार जारी रहने के बीच आज राज्यपाल लालजी टंडन से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुलाकात कर एक पत्र सौंपा, जिसमें भारतीय जनता पार्टी पर विधायकों की ‘हॉर्सट्रेडिंग’ का आरोप लगाया।
इस बीच बेगलूरु में रुके हुए लगभग 20 कांग्रेस विधायकों के दोपहर तक वापस भोपाल पहुंचने की उम्मीद है। ये सभी वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य समर्थक बताए गए हैं और इन्होंने अपने त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के साथ ही राज्यपाल को भी भेज दिए हैं।
माना जा रहा है कि इन विधायकों को राज्यपाल और अध्यक्ष से मिलवाया जा सकता है। इन विधायकों के भोपाल आने की सूचना पर एयरपोर्ट और अन्य संबंधित स्थानों पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
दूसरी ओर कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद राजभवन के बाहर मीडिया से कहा कि भाजपा विधायकों ने कांग्रेस के विधायकों को किस तरह कैद बनाकर रखा है, यह पूरे देश ने देखा है। उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि इन विधायकों को वापस सुरक्षित बुलाना सुनिश्चित किया जाए।
तीन पेज का यह पत्र राज्यपाल को सौंपने के साथ ही कमलनाथ ने उन्हें राजनैतिक हालातों से अवगत कराया। कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपे पत्र में तीन और चार मार्च की रात्रि से शुरू हुए घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्याैरा दिया और उनसे अनुरोध किया कि वे बेगलूर में ‘बंधक’ बनाए गए 19 कांग्रेस विधायकों को वापस बुलाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे राज्य में संवैधानिक व्यवस्था और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए अपनी कोई भी कोशिश नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इस संपूर्ण मामले की जांच करायी जाना चाहिए, जिससे राज्य में संवैधानिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था को पटरी से उतारने का प्रयास करने वाले लोगों की पहचान हो सके और उन्हें दंडित भी किया जा सके।
कमलनाथ ने कहा कि उनकी सरकार विधानसभा में ‘फ्लोर टेस्ट’ कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र 16 मार्च से प्रारंभ हो रहा है और अध्यक्ष की ओर से तय तिथि पर वे फ्लोर टेस्ट कराने तैयार हैं।
पत्र में कमलनाथ ने बताया है कि राज्य में अस्थिरता पैदा करने की पहली कोशिश तीन और चार मार्च की रात्रि में की गयी जब कुछ विधायकों को बंगलूर ले जाने का प्रयास किया गया। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे असफल कर दिया।
उन्होंने कहा कि इसके बाद भाजपा ने आठ मार्च को तीन चार्टर्ड विमानों की व्यवस्था की और कांग्रेस के 19 विधायकों को बंगलूर ले जाया गया, जिनमें छह केबिनेट मंत्री भी शामिल हैं। इन सभी को वहां एक रिसार्ट में रुकवाया गया है और उनसे कोई संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। रिसार्ट में किसी को प्रवेश भी नहीं करने दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके बाद 10 मार्च को होली के दिन भाजपा विधायक विधानसभा अध्यक्ष के निवास पर पहुंचते हैँ और 19 विधायकों के कथित त्यागपत्र उन्हें सौंपते हैं। अध्यक्ष के निवास पर इन 19 में से कोई भी विधायक मौजूद नहीं था।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र भाजपा के नेता अध्यक्ष को सौंपते हैं। भाजपा के इस कृत्य से इस संपूर्ण साजिश और अवैधानिक कार्य में उसके दल के नेताओं की संलिप्तता नजर आती है।
कमलनाथ ने बताया कि इसके बाद 12 मार्च को राज्य के दो मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह यादव बंगलूर के रिसार्ट में कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी से मिलने के लिए उनके पिता नारायण सिंह चौधरी के साथ जाते हैं। लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया और पुलिस ने दोनों मंत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें निरूद्ध तक कर लिया। कमलनाथ ने पत्र में लिखा है कि ये सभी घटनाएं एक साजिश की ओर इंगित करती हैं, जिसमें भाजपा के लोग शामिल हैं।