अजमेर। परिवार की दशा सुधारने और खुशहाली के लिए शहर में बुधवार को महिलाओं ने पारंपरिक रूप से दशा माता की पूजा की। दिनभर समूहों में व्रत कथा सुनने का सिलसिला चला।
हिन्दू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, किंतु जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है। इसी परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है।
सुबह महिलाओं ने पीपल के पेड का पूजन कर उस पर कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा की। महिलाओं ने दशा माता के डोरे को गले में पहना जो साल में एक बार बदला जाता है। शहर, कस्बों, मोहल्लों में महिलाओं का पीपल पूजा के लिए तांता लगा रहा।
क्यों और कैसे की जाती है दशा माता की पूजा
यह व्रत चैत्र (चेत) माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है।
सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं।
इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं।
इस डोरे की पूजन करने के बाद कथा सुनती हैं।
इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं।
एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं।
भोजन में नमक नहीं होना चाहिए।
विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं।
यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है।