पुणे। भारत के पूर्व कप्तान और दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेटरों में शुमार विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों के लिए एक लाख रुपए की मदद दी है जिससे उन्हें कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण भारत सरकार ने देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है जो 14 अप्रैल तक चलेगी। लेकिन इस दौरान देश में लाखों दिहाड़ी मजदूर हैं जो हर रोज कमा कर घर चलाते थे और लॉकडाउन के कारण उनका काम-धंधा ठप हो गया है। धोनी ने ऐसे लोगों की मदद के लिए पुणे के एक गैर-सरकारी संगठन मुकुल माधव फाउंडेशन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट को एक लाख रुपए की मदद दी।
हालांकि धोनी मदद देने के बावजूद लोगों के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने एक लाख रुपए की मामूली राशि दान देने को लेकर धोनी पर सवाल खड़े किए और उन्हें खूब खरी-खरी सुनाई।
एक ट्विटर यूजर ने कहा कि धोनी की नेट आय़ करीब 800 करोड़ रुपए है लेकिन उन्होंने पुणे में 100 परिवारों की मदद के लिए महज एक लाख रुपए ही दिए हैं। ऐसे ही एक अन्य यूजर ने लिखा कि धोनी जिनकी आय 800 करोड़ हैं। उन्होंने एक लाख रुपए की भारी मदद की पेशकश की है। किसी ने सही कहा है कि पैसा आपको कंजूस बना देता है। आज यह देखने को मिला।
धोनी के एक प्रशंसक ने लिखा कि मैं धोनी का प्रशंसक हूं लेकिन जब उन्होंने एक लाख रुपए दान दिए तो मैं वह पहला इंसान था जिसे यह सुनकर काफी दुख हुआ। कोरोना वायरस से भारत में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित है और यहां करीब 120 से ज्यादा कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।