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कोरोना से लड़ाई को लेकर सरकार ने अच्छे फैसलों के साथ कुछ चूक भी की - Sabguru News
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कोरोना से लड़ाई को लेकर सरकार ने अच्छे फैसलों के साथ कुछ चूक भी की

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कोरोना से लड़ाई को लेकर सरकार ने अच्छे फैसलों के साथ कुछ चूक भी की
The government made some lapse with good decisions regarding the fight with Corona
The government made some lapse with good decisions regarding the fight with Corona
The government made some lapse with good decisions regarding the fight with Corona

नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है। बावजूद इसके कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अभी भारत में कोरोना वायरस के 8 हजार से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 250 से भी अधिक की मौत हो चुकी है। यूं तो दुनिया भर में भारत की तारीफें हो रही हैं क्योंकि भारत ने कोरोना से लड़ने के लिए कई अच्छे कदम उठाए, जिनकी वजह से कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने की कोशिश हो रही है। लेकिन अच्छे कदमों के साथ-साथ सरकार से कुछ चूक भी हुईं। अगर वह चूक नहीं होतीं, तो आज हालात इतने नहीं बिगड़ते। मार्च महीने की शुरुआत में ही इटली से आए पर्यटकों में करीब 18 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। वहीं एक अन्य शख्स इटली से लौटा था, जिसकी वजह से भी कुछ लोगों में कोरोना फैला।

दरअसल, उन दिनों एयरपोर्ट पर सेंसिटिव इलाकों से आने वाले विदेशियों की स्क्रीनिंग होती थी। इसमें चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल थे, लेकिन धीरे-धीरे संक्रमण इटली में बढ़ने लगा, लेकिन सरकार ने स्क्रीनिंग में शामिल किए जाने वाले देशों की संख्या नहीं बढ़ाई। खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने माना था कि जब इटली से लौटे शख्स से कोरोना फैलने का पता चला, उस दौरान इटली से आने वालों की स्क्रीनिंग नहीं हो रही थी। उसके बाद ही हर देश से आने वालों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी।

मरकज मामले में भी पुलिस की लापरवाही ने काम बिगाड़ दिया

18 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज में तबलीगी जमात के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था। इस कार्यक्रम में 3000 से भी अधिक लोग शामिल हुए थे। हालांकि लॉकडाउन 24 मार्च को लागू किया गया, लेकिन उससे काफी पहले से ही ऐसे कार्यक्रमों पर रोक थी। यहां तक कि स्कूल, मॉल, सिनेमाघर तक बंद करवा दिए गए थे। हैरानी इस बात पर होनी चाहिए कि जिस मरकज में ये सब हुआ उसके बिल्कुल बगल में निजामुद्दीन थाना है।

यानी दिल्ली पुलिस की नाक के नीचे ये सब हुआ, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। कार्यक्रम खत्म हो जाने के बाद जब उसे खाली करवाने की कवायद चली तो 2300 लोग वहां से निकाले गए, ये सब पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा है। अब देशभर में करीब 1000 से भी अधिक मामले जमातियों के हैं। दिल्ली में तो करीब 60 फीसदी मामले सिर्फ जमातियों के हैं।

लॉकडाउन करने से पहले मुख्यमंत्रियों से सलाह ली जाती तो और बेहतर रहता

सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए लॉकडाउन का फैसला किया, जो बेशक सही था। पूरी दुनिया ये मान चुकी है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने में लॉकडाउन बहुत ही प्रभावी रहा है। चीन ने तो पूरी तरह से लॉकडाउन कर कोरोना पर बहुत तगड़ा कंट्रोल किया। लेकिन लॉकडाउन का फैसला अचानक लिए गए फैसले जैसा था। इस फैसले को मोदी सरकार ने एक सरप्राइज की तरह लागू किया।

अच्छा रहता अगर इससे पहले हर राज्य के मुख्यमंत्री से बात की जाती है और उन्हें अपने राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने के साथ-साथ लोगों की परेशानियां दूर करने की भी सलाह दी जाती। लॉकडाउन से सब बंद हो गया, तो आमदनी बंद हो गई और लोग भूखे-प्यासे रहने पर मजबूर हो गए।

भारत में कोरोना के टेस्ट करने में सरकार ने काफी देर की

भारत सरकार ने कोरोना के टेस्ट करने में काफी देर से निर्णय लिया, जिसमें से संक्रमण की संख्या हर दिन तेजी के साथ बढ़ती गई है। अभी तक सिर्फ उन्हीं लोगों की टेस्टिंग हो रही है जो या तो विदेश से आए हैं, या ऐसे शख्स से मिले हैं या जिसके आस-पास कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज पाया गया है। ऐसे लोगों की भी कुछ जगहों पर जांच हो रही है, जिनमें सर्दी, जुकाम या सांस लेने की तकलीफ जैसे लक्षण दिख रहे हैं।

लेकिन इस वक्त जरूरत है बड़े लेवल पर टेस्टिंग की, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती है भारत की आबादी। लेकिन सरकार को इससे निपटना ही होगा, क्योंकि लक्षण दिखने में 7-14 दिन लग सकते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनमें इसके लक्षण दिखते ही नहीं और वह बीमार होकर ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन हो सकता है कि इस बीच वह दूसरों को संक्रमित कर चुके हों। भारत सरकार ने टेस्टिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है, जबकि दक्षिण कोरिया ने सिर्फ टेस्टिंग के दम पर ही कोरोना पर काबू पा लिया।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार