सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने पीएम केयर्स की बजाय सीएम राहत कोष में आपदा राशि देने पर सीएसआर में शामिल नहीं करने के केंद्र सरकार पर लगे आरोप के जवाब में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के आपदा और राहत कोषों की हकीकत बयां कर्तव्य हुए कहा कि इन फंडों की ऑडिट नहीं होती। ऐसे में कहां पर इसका पैसा खर्च हो रहा है इसका खुलासा नहीं होता।
लोढा ने कहा कि राजस्थान में ही 2003 से 2008 के बीच के एक मामले में कुछ कमियां आने पर उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में रिट लगाई थी। इसके निर्णय में हाइ कोर्ट ने ही सीएम फंड के लिए गाइडलाइन बना दी थी। उन्होंने बताया कि इन फंडों की ऑडिट होनी चाहिए और वो भी निजी ऑडिटर की बजाय कैग से।
सिरोही जिला चिकित्सालय में गत सरकार में वेंटीलेटर आने और कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के कारण इन्हें दूसरे जिलों भिजवा दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो है, लेकिन वो भी इस ओर इसलिए ध्यान नहीं दे पाए कि मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति हो चुकी थी।
सिरोही जिला चिकित्सालय में कोरोना पेशेंट के उपचार के लिए बाय पेप और सी पेप मशीनों की उपयोगिता के सवाल पर कहा कि जिला कलेक्टर ने चिकित्सको से चर्चा करके उन्हें बताया था कि इससे वैकल्पिक सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी कोरोना प्रोटोकॉल में गंभीर मरीजों के उपचार के लिए संभाग स्तरीय मेडिकल कॉलेजों में ही किया जाने का निर्धारण किया है।
उन्होंने कहा कि यदि वेंटिलेटर आ भी जाएंगे तो इनके संचालन के लिए मेडिकल कॉलेज स्तर और ही उत्कृष्ट एक्सपर्ट हैं। विधानसभा का सत्र दो दिन पहले ही सम्पन्न करने के सवाल पर कहा कि कोरोना को देखते हुए सत्र समय से पहले विसर्जित किया गया। इसका भाजपा के नेताओं ने विरोध भी किया था। उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदगी में ही भाजपा के आला नेता मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की मौजूदगी में ही इन लोगों ने कोरोना के बहाने विधानसभा सत्र पहले खत्म करने का विरोध जताया था। बाद में वो इस निर्णय को सराह भी रहे थे।
उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन की बिना किसी पूर्व तैयारी के घोषणा के कारण गरीबों हो रही समस्या की ओर ध्यान दिलवाते हुए कहा कि जो पैसा केंद्र सरकार ने अभी गरीबों के खातों में डाले हैं वो यदि लॉक डाउन की घोषणा के पहले हो डाल देते तो आज बैंकों के बाहर मारा मारी नहीं मचती। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को भारत में पहला केस आ गया और 12 फरवरी को WHO की एडवायजरी।
इसके बाद भी केंद्र सरकार हाथ पर हाथ रखे हुए बैठी रही। उन्होंने कहा कि न टेस्टिंग किट की व्यवस्था की का पीपीई किट की। आज तक विश्व में कोरोना की टेस्टिंगके मामले में हम सबसे पीछे हैं। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान में भामाशाहों, राजनीतिक पार्टियों और समाजसेवियों ने जरूरत मंदों की सहयोग करके एक बार फिर उदाहरण स्थापित किया है, लेकिन कई बड़े राज्यों में लोगों को खाना तक नसीब नहीं हो पा रहा है।