नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के लोकपाल जस्टिस दीपक वर्मा (सेवानिवृत) ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश में डीडीसीए के चार सदस्यों को किसी भी तरह का कामकाज करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
लोकपाल ने जिन चार सदस्यों को डीडीसीए का कामकाज करने से प्रतिबंधित किया है वे राजन मनचंदा, अपूर्व जैन, आलोक मित्तल और नितिन गुप्ता हैं। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि इन चार सदस्यों के खिलाफ यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि इन्होंने एक अवैध प्रस्ताव पारित किया था जो डीडीसीए के हितों के खिलाफ है।
जस्टिस वर्मा ने अपने आदेश में कहा कि इन चारों सदस्यों को डीडीसीए से संबंधित किसी भी प्रशासनिक कार्य और वित्त कार्य को करने या निर्णय प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
उन्होंने अपने आदेश में कहा कि मुझे संजय भारद्वाज द्वारा भेजा गया एक आवेदन मिला जिसमें उन्होंने मनचंदा द्वारा लाए गए प्रस्ताव की तरफ ध्यान दिलाया जिसमें मनचंदा ने डीडीसीए के लिए नए स्थायी परामर्शदाता की नियुक्ति के सन्दर्भ में नई समिति के गठन की बात कही थी। इस प्रस्ताव को आनन-फानन में तीन निदेशकों आलोक मित्तल, अपूर्व जैन और नितिन गुप्ता ने सुधीर कुमार अग्रवाल के साथ मंजूरी दे दी थी।
लोकपाल ने आदेश में कहा कि भारद्वाज ने अपने आवेदन में यह भी ध्यान दिलाया है कि इस प्रस्ताव को सर्वोच्च परिषद के चार सदस्यों राकेश बंसल, विनोद तिहारा, एसएन शर्मा और खुद भारद्वाज ने खारिज कर दिया था। आवेदन में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति यह प्रस्ताव लाया है वह खुद ही लोकपाल के समक्ष अनुशासन जांच का सामना कर रहा है।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि उन्हें सुबह मनचंदा का मेल मिला था जिसमें उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च परिषद ने जरूरी बहुमत से कानूनी सलाहकार और स्थायी परामर्शदाता गौतम दत्ता की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी हैं और वह किसी भी रूप में डीडीसीए का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाएंगे। लेकिन लोकपाल ने कहा कि दत्ता स्थायी परामर्शदाता के रूप में तब तक अपनी सेवाएं देते रहेंगे जब तक उनके सामने लंबित पड़ी शिकायतों का अंतिम रूप से निपटारा नहीं हो जाता।