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देश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय - Sabguru News
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देश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय

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देश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी तो हो रही है लेकिन अभी तक हम सामुदायिक संक्रमण की स्टेज में नहीं आए हैं और यह सब पहले से की गई तैयारी और पहले चरण के लाॅकडाउन तथा सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का ही नतीजा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि देश में अभी सामुदायिक संक्रमण का दौर शुरू नहीं हुआ है और कईं क्षेत्रों में यह स्थानीय स्तर पर देखने को मिला है तथा इसे क्लस्टर आउटब्रेक कहा जाता है। इन क्षेत्रों में मामलों को पता चलते ही तुरंत मामलों को गंभीरता से लिया जाता है और पूरे क्षेत्र के लिए ‘कंटेनमेंट प्लान’ बनाकर उस क्षेत्र को घेर लिया जाता है और इसके आसपास के क्षेत्र यापी बफर जोन पर पूरी नजर रखी जाती है और इसमें रहने वाले सभी लोगों के घर घर का सर्वेक्षण किया जाता है और लोगों के खांसी, जुकाम, बुखार तथा सांस लेने में दिक्कतें जैसी समस्याओं के बारे में आंकड़े जुटाए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना के काफी मरीज मिल रहे हैं और इनसे निपटने के लिए इन्हें हॉटस्पाट कहा जाता है तथा फिलहाल ऐसे क्षेत्र देश के 170 जिलों में पाए गए हैं और 270 जिले ऐसे हैं जो गैर हाटस्पाट केटेगरी में है।

उन्होंने बताया कि इस बीमारी को लेकर केन्द्र सरकार का नजरिया शुरू से ही प्रिएम्पिटव और एडवांस्ड एक्शन का रहा है और यही कारण है कि हम इस बीमारी पर काफी हद तक सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए अंकुश लगाने में कामयाब हुए हैं।

अग्रवाल ने बताया कि देश में अब तक कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 11439 हो गई है और मंगलवार से बुधवार तक तक 1076 नए मामले सामने आए हैं। इसके अलावा अब तक 377 लोगों की मौत भी हुई है। कोरेाना वायरस से अब तक 1306 लोग भी ठीक हुए हैं और कल एक ही दिन में 270 मरीज इससे ठीक हुए हैं जिन्हें घर भेजा दिया गया था। अब तक मरीजों के ठीक होने की दर 11.41 प्रतिशत हैं।

अग्रवाल ने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में अस्पतालों में कोरोना से बचाव में कारगर व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण पीपीई को कम भेजे जाने से एक जुड़े सवाल का स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों की तीन श्रेणियां होती हैं। ये लो रिस्क, मीडियम और हाई रिस्क मरीज होते हैं और केवल हाई रिस्क मरीजों के उपचार में लगे लोगों के लिए पूरे सुरक्षात्मक उपकरण की जरूरत होती है। राज्य सरकारों को उनकी मांग के आधार पर ही इन पीपीई की आूपर्ति की जा रही है।

उन्होंने बताया कि जिस तरह कोरोना विषाणु संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, उसी स्तर पर राज्यों में इससे निपटने की तैयारियां की जा रही हैं और मुख्य ध्यान इस संक्रमण की चेन तथा इसके प्रसार को रोकना है, जिसमें राज्य सरकारों की भी अहम भूमिका है। इसी आधार पर सभी राज्यों में जिला स्तर पर प्रशासन अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

अग्रवाल ने बताया कि देश इस समय एक ऐसे संक्रामक रोग का सामना कर रहा है जो पूरे विश्व में फैल चुका है और ऐसे में हमें सामाजिक दूरी तथा लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा क्योंकि किसी एक स्तर पर की गयी लापरवाही अब तक की सारी मेहनत को बेकार कर देगी। उन्होंने बताया कि कोरोना के मामलों से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब कोरोना वायरस से पीड़ितों के उपचार की नयी महत्वपूर्ण रणनीति बनाई है और इसे तीन भागों में बांटा गया है।

पहली स्थिति में कोविड केयर सेंटर में कोरोना वायरस के संक्रमण के संदिग्ध अथवा हल्के लक्षणों वाले मरीजों को रखा जाएगा और ये अस्थायी भी हो सकते हैं तथा सरकारी भवन, होटल, लॉज अथवा अन्य भवन भी हो सकते हैं या पहले से बनाए गए कोरोना सेंटरों का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

दूसरी श्रेणी ‘डेडिकेटिड कोविड-19 हेल्थ सेंटरों’ की है जिनमें चिकित्सीय रूप से मध्यम श्रेणी के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को रखा जाएगा। इनमें किसी अस्पताल का पूरा क्षेत्र ही कोविड-19 मरीजों के हो सकता है अथवा कोई खास ब्लाक इसके लिए बनाया जा सकता है। इनमें ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों की सुविधा होनी जरूरी है। इनमें प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग होंगे ताकि संक्रमण का खतरा नहीं हो।

तीसरी श्रेणी में कोविड के मरीजों के लिए विशेष तौर पर बनाए गए अस्पताल हैं, जिनमें कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को रखा जाएगा और यहां आईसीयू, वेंटीलेटर और ऑक्सीजन की सुविधा होगी। इस आशय की गाइडलाइंस सभी राज्यों को भेज दी गई हैं और इनमें इलाज की व्यापक सुविधा होगी। इस वर्गीकरण के आधार पर सभी राज्यों को कोरोना के मामलों से निपटने में मदद मिलेगी।

अग्रवाल ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में कोरोना वायरस के संक्रमण का एक भी मामला पाए जाने पर सरकार उस मरीज के संपर्क में आए सभी लोगों की जांच यानि कांटेक्ट ट्रेसिंग करती है कि वह इस अवधि में कितने लोगों से मिला है और उसका भौगोलिक दायरा क्या था। इसी आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम सभी लोगों से मिलकर क्षेत्र विशेष के लिए अभियान यानि ‘कंटेनमेंट प्लान’ शुरू करती है। इसके अलावा सभी जिलों में कोविड मैनेजमेंट प्लान बनाए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं और हमारे प्रयास यहीं हैं कि किसी भी क्षेत्र में मामलों के सामने आने का इंतजार करने के बजाए अपनी तरफ से इनके आने की आशंका को कम करना है।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री की ओर से कल देश में लाकडाउन बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद गृह मंत्रालय ने इसके दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए नई एडवाइजरी जारी की है और कुछ क्षेत्रों को रियायतें भी दी गई हैं।

उन्होंने बताया कि नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि 30 अप्रेल तक सभी जिलों के सभी क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और जिन क्षेत्रों में कोई भी नया हाॅटस्पाॅट नहीं पाया जाएगा, वहां जरूरी गतिविधियों में कुछ छूट दी जाएगी। इसके तहज सभी राज्यों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि जरूरी गतिविधियों में शामिल लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा और सामाजिक दूरी भी बनाए रखनी होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के काम में लगें मजदूरों, सिंचाई के काम, कृषि क्षेत्र में भी काफी छूट दी गई है। इसमें पशुपालन, बागवानी, मछली पालन, ग्रामीण उद्योग में लगे लोगों को रियारतें दी जाएंगी लेकिन इन सभी को सामाजिक दूरी तथा स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हैं और लॉकडाउन के दौरान किराना की दुकानें खुली रहेंगी ताकि लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना नहीं करना पड़े।

उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय की तरफ से संशोधित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान हासिल किए गए लाभों को समेकित करना है, कोविड-19 के प्रसार को कम करना है और साथ ही किसानों, मजदूरों और दैनिक मजदूरी कमाने वालों को राहत प्रदान करना है।

देश भर में निषिद्ध गतिविधियों में शामिल हैं-हवाई, रेल और सड़क मार्ग से यात्रा, शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थानों का संचालन, औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां, आतिथ्य सेवाएं, सभी सिनेमा हॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, थिएटर इत्यादि का संचालन, सभी सामाजिक, राजनीतिक और अन्य कार्यक्रम तथा धार्मिक सभाओं सहित आम लोगों के लिए धार्मिक स्थानों/पूजा स्थलों को खोलना।

कुछ निश्चित राष्ट्रीय दिशा-निर्देश हैं, जैसे सार्वजनिक स्थानों तथा कार्यस्थलों पर अनिवार्य रूप से घर में बने मास्क का उपयोग, स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभाल के उपाय यथा सेनिटाइज़र, शिफ्ट में अंतर, आवागमन पर नियंत्रण, थर्मल स्क्रीनिंग और थूकने के लिए जुर्माना आदि। इनके उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

दिशा- निर्देशों के अनुसार कृषि उत्पादों की खरीद के साथ कृषि कार्य, विनिर्माण, उर्वरकों, कीटनाशकों तथा बीजों का वितरण तथा इनकी खुदरा बिक्री, समुद्री और देश के अन्दर मत्स्य पालन की गतिविधियाें को अनुमति मिलेगी। दूध की आपूर्ति श्रृंखला, दुग्ध उत्पाद समेत पशुपालन गतिविधियां, मुर्गी पालन और चाय, कॉफी और रबर के बागानों की गतिविधियां भी हो सकेंगी।

इसके अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले उद्योग जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण, सिंचाई परियोजनायें, भवनों और औद्योगिक परियोजनाओं का निर्माण, सिंचाई और जल संरक्षण कार्यों को प्राथमिकता देते हुए मनरेगा के कार्य, और ग्रामीण कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के संचालन की अनुमति दी गई है। इन गतिविधियों से प्रवासी श्रमिकों सहित ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
विशेष आर्थिक क्षेत्र, निर्यात आधारित आर्थिक क्षेत्र, औद्योगिक संपदा और औद्योगिक टाउनशिप में नियंत्रण के साथ विनिर्माण और अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों के संचालन की अनुमति दी गई है।

आईटी हार्डवेयर, आवश्यक सामानों और पैकेजिंग के निर्माण की भी अनुमति होगी। कोयला, खनिज और तेल उत्पादन गतिविधियों को भी अनुमति दी गई है। इसी प्रकार वित्तीय क्षेत्र के महत्वपूर्ण घटकों जैसे आरबीआई, बैंक, एटीएम, सेबी द्वारा अधिसूचित पूंजी और ऋण बाजार तथा बीमा कंपनियों को भी कार्य करने की अनुमति होगी। इसका उद्देश्य औद्योगिक क्षेत्रों को पर्याप्त तरलता और ऋण सहायता प्रदान करना है।

ई-कॉमर्स संचालन, आईटी और आईटी सक्षम सेवाओं के संचालन, सरकारी गतिविधियों के लिए डेटा और कॉल सेंटर तथा ऑनलाइन शिक्षण और दूरस्थ शिक्षा से सम्बंधित गतिविधियों को भी अनुमति दी गई है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को बिना किसी बाधा के कार्य करने की अनुमति दी गई है। केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के महत्वपूर्ण कार्यालयों को खुला रखने की भी अनुमति है।

लॉकडाउन के दूसरे चरण में विभिन्न गतिविधियों में छूट इस प्रकार रहेगी