अगरतला। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान त्रिपुरा के आदिवासी बहुल इलाके में रहने वाले परिवारों को मिल रही सरकारी मदद नाकाफी साबित हो रही जिसके कारण कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ खतरे के बावजूद यहां बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर निकलने को मजबूर हो गए हैं।
मुख्य सचिव मनोज कुमार ने 16 अप्रेल को अधिसूचना जारी की जिसमें राज्य के सभी प्रमुख विभागों के कर्मचारियों को पूर्ण-कामकाज फिर से शुरू करने के लिए निर्देश दिए गए थे। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट किया था कि 20 अप्रेल तक लॉकडाउन में कोई ढिलाई नहीं देते हुए इसे और कड़ा किया जाएगा। अधिसूचना की हो रही आलोचना के बीच मुख्यमंत्री ने रविवार रात एक सोशल मीडिया संदेश में कहा कि त्रिपुरा में तीन मई तक लॉकडाउन जारी रहेगा।
सरकारी कार्यालयों में हालांकि, आज आदिवासी त्योहार गरिया के कारण अवकाश है जबकि सुबह में यहां व्यापारिक प्रतिष्ठान और बाजार खुले वहीं लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए छोटे वाहन, ऑटो-रिक्शा, और पैडल रिक्शा सड़कों पर आ गए।
पुलिस ने हालांकि कहा कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी और पांच या पांच से अधिक व्यक्तियों को कहीं एकत्रित होने पर प्रतिबंधित करने वाली सीआरपीसी की धारा 144 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया जाएगा।
इस बीच, विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार पर गरीब परिवारों को पर्याप्त राशन वितरित नहीं करने का आरोप लगाया। पार्टी ने प्रत्येक गरीबों को 5000 रुपए नकद देने की मांग की है। इसके अलावा तीन महीने के लिए मुफ्त राशन और आवश्यक समानों की आपूर्ति की भी मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि भूखमरी से पहले भी धलाई, गोमती और दक्षिण त्रिपुरा के जिले प्रभावित रहे हैं।