अजमेर। देश में कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन के बीच सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान ने देश के मुसलमानों से 24-25 अप्रेल से शुरू होने जा रहे रमज़ान के मुबारक महीने के दौरान लोगों से अपने घरों में ही तरवावी पढने और सामूहिक रोज़ा इफ़्तार से बचने की अपील की है।
दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान ने मंगलवार को मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वे रमज़ान में तरावी के लिए मस्जिदों में ना जाकर अपने घरों में ही पढ़े इस दौरान सोश डिस्टेंसिंग का गंभीरता से पालन करें। किसी भी सूरत में सामूहिक रोज़ा इफ़्तार ना करें। सभी अपने घरों में ही रहकर इबादत और इस बीमारी से निजात पाने की दुआ करें।
उन्होंने कहा की आज पूरा देश कोरोना वायरस से जंग लड रहा है, केंद्र व राज्य सरकार मिलकर हम सबको इस बीमारी से बचाने का हर सम्भव प्रयास कर रही है। हम केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें और प्रशासन को सहयोग करें। सामूहिक रोज़ा इफ़्तार की जगह रोजा खोलते समय सिर्फ़ परिवार के लोग निर्धारित फासला रखते हुए रोजा खोलें।
दरगाह दीवान ने कहा की रोजे में तरावी का एहतेमाम अपने घरों में ही करें और उसमें भी कम से कम लोग ही जमात में रहें। हर माता पिता यह भी सुनिश्चित करें की रोजा इफ़्तार के बाद या रातों को उन के नौजवान बच्चे घरों में ही रहें, किसी भी क़िस्म से सड़कों या बाज़ारो में ना निकले।
उन्होंने कहा की रमज़ान एक मुबारक महीना है। इसमें हम ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की रहमत और गुनाहों से बख़्शीश हासिल कर सकते हैं। इसलिए तमाम मुसलमानों से अपील करता हूं कि घरों में रहकर रोजे, नमाज़ की पाबंदी रखें और अल्लाह से दुआ करें कि हम सब और हमारा मुल्क़ इस बीमारी से बचा रहे।
दरगाह दीवान ने कहा की हर मुसलमान रमज़ान के महीने मे अपनी ज़कात और फ़ितरा निकाल कर ग़रीबों को देता है। आज समय की आवश्यकता है की हम सब अपनी हैंसियात के अनुसार ज़यादा से ज़यादा ग़रीबों, ज़रूरतमंदों तक उस पैसे को पहुंचाएं ताकि उनकों दो वक़्त की रोटी मिल सके।
दरगाह दीवान ने देश की तमाम दरगाहों के सज्जादानशीन और वहां की इंतेजामिया को भी हिदायत दी है की केंद्र व राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों का सख़्ती से पालना करते हुए वे देश में, अपने प्रदेशों, अपने शहरों में लोगों को रमज़ान में नमाज़ व तरावी अपने घरो में पढने को कहें और कही भी सामूहिक रोज़ा इफ़्तार ना हो इसके लिए लोगों को जागरुक करें।