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कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए शिवराज सरकार के 30 दिन में 30 बड़े फैसले - Sabguru News
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कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए शिवराज सरकार के 30 दिन में 30 बड़े फैसले

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कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए शिवराज सरकार के 30 दिन में 30 बड़े फैसले

भोपाल। जज्बा, जुनून और लक्ष्य हासिल करने का हौसला हो तो कैसे हर संकट से निपटा जा सकता है, यह अगर साक्षात देखना हो तो मध्यप्रदेश में पिछले 30 दिन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामों को देखा जा सकता है।

मार्च माह में 23 तारीख वह दिन था जब शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वास्तव में यहीं वह दिन भी था जब सही मायने में मध्यप्रदेश ने कोरोना की रोकथाम के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। उन्होंने कोरोना की रोकथाम के लिए तीस दिन में 30 बड़े फैसले लेकर यह साबित कर दिया कि नेतृत्व किसी भी युद्ध में बहुत परिणामकारी होता है।

मुख्यमंत्री के यह 30 फैसले इलाज और राहत दोनों मोर्चों के लिए थे। यह वे निर्णय थे जो तब से आज तक संक्रमण की रोकथाम के साथ संक्रमित को इस महामारी से बचा भी रहे हैं। दूसरी और लॉक डाउन की स्थिति में प्रदेश के उन वर्गों, जो गरीब हैं और रोज कमाकर जिनके परिवार का जीवन यापन होता है, की चिंता के साथ उनकी मदद के महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। एक कल्याणकारी राज्य के मुखिया के रूप में शिवराज सिंह चौहान के 30 दिन के कार्यकाल ने विश्व व्यापी कोरोना की विभीषिका से मध्यप्रदेश को एक हद तक महफूज किया, अन्य देशों और देश के ही कई अन्य राज्यों की तुलना में।

बहुत अरसा नहीं हुआ जब 23 मार्च को रात में 9 बजे चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय में कोराना के खिलाफ महायुद्ध की शुरूआत करने पहुँचे। उच्च स्तरीय बैठक में सबसे पहले भोपाल और जबलपुर में कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए, उन्होंने इन शहरों को लॉकडाउन करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाकर सागर-ग्वालियर में भी अतिरिक्त प्रयोगशाला स्थापित करने को कहा। ये दो महत्वपूर्ण फैसले थे। इसके साथ ही उन्होंने पैरामेडिकल स्टाफ की मॉकड्रिल करवाने को भी कहा।

इसके बाद निरंतर कोशिशें शुरू हुई। जिला कलेक्टरों को एम्पावर किया कि वे स्थिति को मद्देनजर रखते हुए निर्णय लें। इससे रोकथाम की कोशिशों को बल मिला। आज प्रदेश में 9 प्रयोगशालाएं हैं और 2000 टेस्ट प्रतिदिन की क्षमता है, जिससे निश्चित ही रोकथाम की कोशिशें सफल हुई। परीक्षण उपकरणों की संख्या भी इस अरसे में बढ़ी। आज बाईस हजार से अधिक आरटीपीसीआर और 14 हजार से अधिक मेनुअल आरएनए उपलब्ध है।

पीपीई किट एक लाख से अधिक हैं। इनकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रतिभा सिंटेक्स, इनोवेटिव, एप्कोन एण्ड ट्रेंड्स अप्रेजल कंपनी का गठन कर उनसे प्रदेश में ही पीपीई किट बनाने को कहा गया। इससे विदेशों से पीपीई किट मंगाने में होने वाली देरी खत्म हुई और इस मामले में मध्यप्रदेश आत्म-निर्भर बना। आज प्रदेश में पीपीई किट उत्पादन 7 से 8 हजार प्रतिदिन की संख्या पर पहुंच गया है जो आने वाले दिनों में 10 हजार किट प्रतिदिन भी हो जाएगा।

कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी था कि संक्रमण का पता लगाया जाए। इसके लिए डोर टू डोर संपर्क अभियान शुरू किया गया। कोरोना वारियर्स घर-घर जाकर सर्वे का काम कर रहे हैं। इसके लिए सार्थक एप बनाया गया, जिससे ट्रेकिंग, मॉनिटरिंग और फॉलोअप करना आसान हुआ। साथ ही समय पर प्रभावितों को इलाज उपलब्ध हुआ और संक्रमण पर अंकुश लगा।

राज्य स्तरीय कंट्रोल कक्ष बनाया गया जिसमें 450 कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर पदस्थ किया गया। यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन भोपाल के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में नागरिकों व प्रवासियों की विभिन्न समस्याओं को प्राप्त कर संबंधितों के पास निराकरण के लिये भेज रहा है।

भारत सरकार की एडवाइजरी के अनुसार आयुष पद्धति का प्रदेश में कोरोना महामारी की रोकथाम में उपयोग किया गया। आयुष चिकित्सा, पैरामेडिकल एवं आयुष चिकित्सा के छात्रों के 1964 दल बनाए गए। ये दल घर-घर जाकर होम्योपैथिक, यूनानी और आयुर्वेदिक दवा का वितरण कर रहे हैं। ये वो दवाएँ हैं, जो व्यक्ति के अंदर की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करती है।

अब तक इन कोरोना योद्धाओं द्वारा 39 लाख 57 हजार परिवारों के 96 लाख 95 हजार सदस्यों को रोग प्रतिरोधक आयुष दवा का वितरण किया और यह निरंतर है। इसमें साढ़े चौबीस लाख से अधिक शहरी एवं 62 लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के रहवासी शामिल हैं। आने वाले समय में प्रदेश के एक करोड़ परिवारों को त्रिकुट काढ़ा (चूर्ण) नि:शुल्क वितरित करने का लक्ष्य है।
राहत के मोर्चे पर भी सरकार ने कमर कसी और सिलसिलेवार दिक्कतों को चिन्हित कर हर जरूरतमंद को राहत पहुँचाने के इंतजाम किए।

गरीबों को एक माह का राशन नि:शुल्क देने के निर्णय के साथ ही सहरिया, बैगा, भारिया जनजाति के परिवारों को दी जाने वाली राशि दो माह की एडवांस दी गई। किरायेदारों से किराया न लेने और फैक्ट्री श्रमिकों को वेतन एवं मानदेय देने के लिए निर्देश दिए गए हैं। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के खाते में 88 करोड़ 50 लाख 89 हजार रूपए की आपदा राशि जमा करवाई गई। इससे 8 लाख 85 हजार 89 श्रमिकों को एक-एक हजार रूपए प्राप्त हुए। प्रदेश के सबसे गरीब वर्ग के लिए बनाई गई अपनी पूर्व योजना संबल नए स्वरूप के साथ लागू करने का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर प्रदर्शित किया।

शासकीय और अशासकीय शालाओं में कक्षा एक से कक्षा 12वीं तक अध्ययनरत 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं की 430 करोड़ रूपए से अधिक की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की गई। मध्यान्ह भोजन योजना में 66 लाख 27 हजार विद्यार्थियों के अभिभावकों के खातों में खाद्य सुरक्षा भत्ते के रूप में 117 करोड़ की राशि अंतरित की गई।

प्राथमिक शालाओं में दर्ज 40 लाख 29 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को 148 रूपए प्रति विद्यार्थी के मान से भोजन की राशि दी गई। इसी तरह माध्यमिक शालाओं में दर्ज 25 लाख 98 हजार 497 विद्यार्थियों को प्रति विद्यार्थी 221 रूपए के मान से राशि दी गई। प्रदेश के 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में समेकित छात्रवृत्ति योजना की 430 करोड़ की राशि जमा कराई गई। मध्यान्ह भोजन योजना में 2 लाख 10 हजार 154 रसोइयों के खातों में प्रति रसोइया 2000 हजार के मान से 42 करोड़ 3 लाख 8 हजार रूपये की राशि जमा कराई गई।

कोरोना महामारी के कारण अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों के फरवरी से ही बंद हो गए स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों के अप्रैल माह तक के वेतन का भुगतान भी कर दिया गया है। कुपोषण से मुक्ति के लिये आहार अनुदान योजना में प्रतिमाह एक हजार रूपए के मान से 2 महीने का अग्रिम भुगतान किया गया है। यह राशि विशेष पिछड़ी जनजाति की विवाहित महिलाओं के खाते में भेजी गई है। आने वाले प्रवासी लोगों को क्वारेंटाईन करने के‍ सभी आवासीय स्कूल और छात्रावास भवन लिए खोले गए हैं। लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के मजदूरों के खाते में भी एक हजार रूपए ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया है।

मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के कारण 22 राज्यों के 7000 प्रवासी श्रमिक फंसे हुए हैं। सरकार ने इनकी भी चिंता की और 70 लाख रूपए की सहायता राशि उनके खातों में जमा करवाई। इन सभी प्रवासी श्रमिकों के खातों में एक-एक हजार रूपए की राशि उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भिजवाई गई। अन्य प्रदेशों के लगभग 12 हजार नागरिकों को सभी सुविधाएं दी गई हैं।

लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश के जो लोग विभिन्न राज्यों में हैं और फिलहाल प्रदेश में नहीं आ सकते उनको भी मदद देने की पहल सरकार ने की है। पिछले 28 दिनों में 17 हजार से अधिक बाहर के प्रदेशों में रह रहे लोगों द्वारा सम्पर्क किया गया। मध्यप्रदेश के अन्य राज्यों में रह रहे एक लाख 18 हजार लोगों से सम्पर्क उन्हें सभी सुविधाएं राज्य स्तरीय कंट्रोल सेंटर के माध्यम से राज्य के 9 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करवाई गई।

कोरोना योद्धाओं, जो लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर मैदान में हैं, की चिंता करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है कि उनके समर्पण, निष्ठा और अनूठी सेवा के लिए 10 हजार रूपए की राशि सेवा निधि के रूप में दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 50 लाख रूपए तक का बीमा करने की घोषणा की है। मध्यप्रदेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर स्वास्थ्य विभाग के अलावा भी कोरोना संकट से लड़ने वाले सरकारी अमले को किसी अनहोनी होने पर 50 लाख रूपए देने का प्रावधान किया है।

प्रदेश के लगभग एक लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को भी मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का लाभ दिया जायेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह निर्णय भी लिया है कि जिला खनिज निधि का उपयोग भी कोरोना की रोकथाम में किया जाए। उन्होंने 11 जिलों के प्रस्ताव पर 8 करोड़ 11 लाख रूपए के ऐसे प्रस्तावों को मंजूरी भी दे दी है।

महामारी के इस दौर में किसानों को उनकी मेहनत का, उनकी उपज का दाम मिले, इसकी व्यवस्था एक चुनौती है। मुख्यमंत्री ने इस मोर्चे पर ऐसी व्यवस्थाएं की हैं, जिससे किसानों की उपज की खरीदी हो और उन्हें उसका भुगतान भी मिले। कृषि उपज मंडियों में भीड़ न हो इसलिए निजी खरीदी केन्द्र भी शुरू किए गए हैं। खरीदी केन्द्रों में किसानों के लिए भी पर्याप्त स्थान इस तरह निर्धारित किया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके।

निजी खरीदी केन्द्र के लिये कोई भी व्यक्ति, फर्म, संस्था अथवा प्र-संस्करण कर्ता संबंधित मंडी से 500 रूपये देकर अनुमति ले सकता है। किसानों को यह भी सुविधा दी गई है कि अगर वे अपनी फसल मंडी में नहीं ला सकते तो वे उपज का नमूना मंडी में लाकर उसके आधार पर घोष विक्रय करा सके। किसान अगर चाहे तो वे व्यापारी के साथ आपसी सहमति से मंडी के बाहर भी उपज का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।

किसानों को ऑनलाइन उपज बेचने का भी विकल्प दिया गया है। ई-नाम पोर्टल पर अपना पंजीयन कराकर उपज की फोटो और गुणवत्ता की जानकारी अपलोड कर किसानों को अपनी उपज बेचने का एक ओर जो माध्यम सरकार ने उपलब्ध कराया है वह है किसान सेवा सहकारी समिति। इसके लिए मार्कफेड एग्री बाजार मॉडल तैयार किया गया है।

किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की सुविधा फिर दी जायेगी। पूर्व सरकार द्वारा इसे बन्द करने पर विचार किया जा रहा था। पूर्व वर्षों में संचालित इस फसल ऋण योजना को 2020-2021 में भी जारी रखा जायेगा। एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया है कि वर्ष 2018-19 में शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर जिन किसानों ने ऋण लिया था उनके भुगतान की तारीख 28 मार्च से बढ़ाकर 31 मई कर दी गई है।

इस तरह मुख्यमंत्री द्वारा 30 दिन के बहुत छोटे अरसे में कोरोना जैसी विश्वव्यापी और अब तक की लगभग अबूझी सी महामारी के खिलाफ युद्ध में एक निष्णात योद्धा की तरह जो कोशिशे की गई हैं, उससे मध्यप्रदेश के लोगों के अंदर इस युद्ध को जीतने का विश्वास पैदा हुआ हैं। यही कारण है कि आम नागरिकों का सहयोग लॉकडाउन को सफल बनाने और साथ ही जरूरतमंदों को मदद देने में मिला है। मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश की जनता की यहीं एकजुट कोशिशें कोरोना को हरायेगी और हम सब सफल होंगे इसका प्रकोप समाप्त करने में।