अजमेर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राज्य सरकार ने लॉकडाउन अवधि में गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए निर्देश जारी किए हैं। इस दौरान अगर कोई निजी चिकित्सालय प्रसव के नाम पर ज्यादा राशि वसूलता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर मॉनिटरिंग रखी जाएगी।
कलक्टर विश्वमोहन शर्मा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा कोरोना वायरस कोविड-19 संक्रमण को महामारी घोषित करने से उत्पन्न स्थिति के परिपेक्ष्य में सामान्य चिकित्सा सेवाओं पर प्रभाव पड़ा है। इस क्रम में गर्भवती महिलाओं को कई जगह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रसव हेतु महिलाएं राजकीय व निजी चिकित्सा संस्थाओं पर जाती है।
परन्तु यह देखने में आया है कि कुछ निजी चिकित्सालय इस परिस्थिति का मानवता से परे जाकर आर्थिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रसूता के परिजनों से पीपीई किट एवं स्टाफ के नाम पर अनावश्यक राशि वसूलने के प्रयास कर रहे हैं। सामान्य प्रसव को भी अति आवश्यक बताकर सिजेरियन प्रसव कराने की शिकायत भी प्राप्त हो रही है। यह पूर्णतया अनुचित है।
निजी चिकित्सालय एनएफएसए एवं एसईसीसी श्रेणी के लाभार्थियों को निशुल्क चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अनुबंध के आधार पर प्रतिबद्ध है साथ ही अन्य लोगों से भी तय राशि अनुसार ही निर्धारित शुल्क लिया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि समस्त निजी चिकित्सालयों को इस सम्बन्ध में पाबन्द किया जाए। रेन्डम बेसिस पर अपने अधीन आने वाले चिकित्सालयों में भर्ती प्रसूताओं एवं अन्य महिलाओं से वार्ता कर अनावयक ली गई राशि के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
साथ ही इस अवधि में अप्रत्याशित सिजेरियन प्रसव संख्या अधिक पाई जाती है तो तत्काल पाबन्द करें। जिले में सभी निजी चिकित्सालयों के परिसर में जिला स्तरीय कंट्रोल रूम के फोन नम्बर भी चस्पा कराएं। इस प्रकार के प्रकरणों की शिकायत आती है तो प्रभावी कार्यवाही करें। संस्थागत प्रसब को बढ़ावा देने के लिए समुचित कार्यवाही करें।