अजमेर। संत के वचन की पालना तथा सेवा कार्य के दौरान उनका स्मरण करना सच्ची श्रृद्धाजंलि के समान है। ये विचार ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास ने संत किशनलाल टी.माखीजाणी के चौथा कार्यक्रम में तुलसीकिशन धाम में श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि सांई किशनलाल ने अपने सेवाकाल में भी राजकीय महाविद्यालय के सभी अधिकारी व कर्मचारी को दायित्व निर्वहन के साथ सद्व्यवहार की प्रेरणा दी व जीवनकाल में निरंतर नाम स्मरण, भक्ति व सेवा कार्याें से जोडा।
स्वामी ईसरदास, सांई अर्जुनराम, भाई फतनदास, सेवाधारी कंवलप्रकाश किशनानी, पुरूषोतम उदासी, मनीष प्रकाश, हरीश तनवाणी, रजत वाधवाणी, उतम गुरबक्षाणी, राहुल थावराणी, शंकर सबनाणी ने भी श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके वचनों को जीवन में प्रेरणादायी बताया। पण्डित राहुल शर्मा ने रामधुनि के साथ श्रृद्धांजलि कराई।
कोराना वायरस संक्रमण के चलते लागू लाॅकडाउन के कारण संत के परिवारजन, भक्तगण व अखिल भारतीय सिन्धुसंत समाज के संत महात्मा सम्मिलित नहीं हो सके। उन्होंने शोक पत्र से ही अपनी गहरी सवेंदनाएं प्रकट करते हुए भगवान श्रीचन्द्र से उनको अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करने की प्रार्थना की।
महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन, भीलवाडा, महंत श्यामदास उदासीन किशनगढ, महंत हनुमानराम, स्वामी संतोखदास इन्दौर, सांई गणेशदास, भीलवाडा, स्वामी ख्मयादास सतना, सांई माधवदास व स्वामी मोहनदास इन्दौर, स्वामी हंसदास रीवा, दादी पुष्पा नागपुर, स्वामी ब्रहमानन्द शास्त्री, प्रेम प्रकाश आश्रम, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, अध्यक्ष नरेन्द्र बसराणी, सिन्धी लेडीज क्लब की अध्यक्षय दिशा किशनानी, भीष्म मोदियाणी, पार्षद मोहन लालवाणी ने शोक सवेंदनाएं प्रकट की।