नई दिल्ली/जोधपुर। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान सरकार को आत्मविश्लेषण की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर राजस्थान में निश्चित रूप से कुछ कमियां रही हैं। यदि ऐसा न होता तो सरकार की नाक के नीचे जयपुर या मुख्यमंत्री के गृह जिले और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विधानसभा क्षेत्र में सरकार असफल नहीं होती।
शनिवार को एक कार्यक्रम में शेखावत ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक मजबूरियों को लोगों के स्वास्थ्य पर तरजीह दी है। अब तो राज्य के हालात और खराब हुए हैं। राजस्थान सरकार आत्मविश्लेषण करे कि कहां और किन कारणों से चूक हुई है, ताकि इसको दुरुस्त करके और तेजी के साथ काम कर सकें। भीलवाड़ा मॉडल पर शेखावत ने कहा कि भीलवाड़ा में सफलता वहां की जनता के कारण मिली, उसकी पीठ थपथपाई जानी चाहिए।
भोजन वितरण में अव्यवस्थाओं का आरोप लगाते हुए शेखावत ने कहा कि सामाजिक संस्थाओं ने जब तक गरीब के भोजन की व्यवस्था की, भोजन ठीक से मिल रहा था। पिछले दस दिनों से जबसे सामाजिक संस्थाओं ने कदम पीछे खिंचे हैं, सरकार के आचरण और व्यवहार से लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि हद तो यह है कि जो लोग वैध तरीके से परमिशन लेकर आ रहे थे, उस सबको बार्डर पर रोक दिया है।
शेधार्थी चाहते थे गंगाजल का प्रयोग
कोरोना का इलाज गंगाजल से करने के अपने मंत्रालय के प्रस्ताव पर शेखावत ने कहा कि गंगाजल को लेकर अनेक शोधार्थियों ने स्टडी की है। हम सब जानते हैं कि गंगाजल को एक पात्र में भरकर सौ साल तक भी रख दिया जाए तो उसमें किसी तरह का बैक्टिरिया पैदा नहीं होता है। उसमें सेल्फ क्युरटिव प्रापर्टी पाई गई हैं।
कई शोधार्थियों ने नेशनल मिशन फॉर क्लिन गंगा को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि इस समय में गंगाजल का प्रयोग कोरोना के ट्रिटमेंट किया जा सकता है, हमने उन पत्रों को आईसीएमआर को अध्ययन के लिए भेज दिया था। हालांकि, आईसीएमआर ने कहा है कि ऐसा अध्ययन करना अभी संभव नहीं है।
देश में 56 प्रतिशत ज्यादा पानी
शेखावत ने कहा कि देश में 132 बांध ऐसे हैं, जिनकी भारत सरकार के स्तर पर मॉनिटरिंग होती है। देश की जरूरतों का 66 प्रतिशत पानी इन्हीं बांधों में आता है। पिछले साल की तुलना में इस बार 56 प्रतिशत पानी हमारे पास अधिक है। पिछले 10 वर्ष का औसत निकालें तो 46 प्रतिशत अतिरिक्त पानी है। बर्फबारी भी देर तक हुई है तो पानी बहुत है। जो दृश्य हमने पिछले साल चेन्नई में साल देखा था, वैसे इस बार नहीं होगा।
मिशन मोड में काम से साफ हुई गंगा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये ऐसा दुर्लभ संयोग है, हालांकि मैं चाहूंगा कि ऐसा संयोग मुझे जीवन में कभी न देखना पड़े, जब देश के सारे कारखाने एक साथ बंद हैं। हम ठीक आकलन कर पाएंगे कि प्रदूषण में कारखानों को हिस्सा कितना है। हमने समय-समय पर सैंपल लिए हैं, निश्चित रूप से कारखानों के बंद होने से कुछ परिणाम अवश्य रूप से हुए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, गंगा के साफ होने का कारण केवल और केवल लॉकडाउन या उद्योगों का बंद होना नहीं है। पिछले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गंगा सफाई को लेकर मिशन मोड में काम किया गया है।
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