अजमेर। अजमेर जिले में टिड्डी दल पर कीटनाशकों का छिडकाव करके इस पर प्रभावी नियंत्रण किया गया। कृषि विभाग के उप निदेशक वीके शर्मा ने बताया कि जिले में रविवार को टिड्डी दल का प्रवेश थांवला, पादूकंला आदि गांवों से हवा के प्रवाह के साथ देवनगर, बांसेली, कडेल में हुआ। इसके पश्चात् आंधी के कारण इसका फैलाव जेठाना, ब्यावर, रुपनगढ आदि क्षेत्रों में भी हुआ। टिड्डियों के नियंत्रण के लिए चलाए गए ऑपरेशन में लगभग 200 लीटर क्लोरपायरीफास दवा का उपयोग किया गया।
उन्होंने बताया कि ब्यावर क्षेत्र के फतेहगढ सल्ला गांव में लगभग 3 किमी क्षेत्र में टिड्डीयों का ठहराव हुआ। इन पर कलक्टर विश्वमोहन शर्मा के निर्देशन में प्रशासन एवं विभाग की मुस्तैदी से प्रभावी नियंत्रण किया गया। प्रशासन एवं विभाग के अधिकारी सम्पूर्ण रात्रि टिड्डी दल प्रभावित क्षेत्र में मुस्तेद रहे।
सोमवार सुबह साढे 4 बजे से टिड्डी नियंत्रण अभियान आरम्भ किया गया। यह अभियान सूर्योदय तक चला। इसमें 5 फायर ब्रिग्रेड, लगभग 10 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर, टिड्डी नियंत्रण दल की 8 गाडियां और कृषि विभाग के 15 दलों के द्वारा नियंत्रण किया गया। खेतो में फसलें नहीं होने से टिड्डी दल का ठहराव मुख्यत देशी बबूल के पेडों पर हुआ।
उन्होंने बताया कि जेठाना क्षेत्र में लगभग 15 हैक्टयर क्षेत्र में छितराए हुए टिड्डी दल का प्रकोप देखा गया। टिड्डी नियंत्रण दल की एक गाडी, 5 ट्रेक्टर माउंटेड स्पे्रयर और कृषि विभाग के दलों द्वारा कीटनाशी दवा का छिडकाव किया गया। कीटनाशी दवा के प्रभाव से टिड्डियां तुरन्त मर गई। कुछ टिड्डियां अपनी क्षमतानुसार कुछ दूरी तक उडी और मरकर नीचे गिर गई।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल सूर्योदय के साथ उडना प्रारम्भ करता है। सूर्योस्त के समय एक स्थान पर बैठे जाता हैं। जिले के कृषको से आहवान किया जाता है कि सामूहिक रुप से टिड्डी नियंत्रण में योगदान दें। टिड्डी नियंत्रण के लिये क्लोरफायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 1200 एम.एल. अथवा डेल्टामेथ्रीन 2.8 ई.सी. 480 एम.एल. अथवा लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी. 400 एम.एल. प्रति हैक्टयर की दर से छिडकाव किया जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण ऑपरेशन में ब्यावर उपखण्ड अधिकारी जसमीत सिंह सन्धु, तहसीलदार ब्यावर रमेश चन्द्र, टिड्डी नियंत्रण दल के अधिकारी गोकुल चौधरी, जिला प्रशासन कृषि विभाग के सहायक निदेशक ब्यावर वी.के. छाजेड, सहायक निदेशक अजमेर कैलाश चन्द मेघवंशी, कृषि अधिकारी व क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक एवं स्थानीय ग्रामीणों का सक्रिय सहयोग रहा। क्षेत्र के सरपंच शाहबुद्वीन, ब्यावरखास सरपंच हरचन्द द्वारा विभाग के प्रयासो की सहराना की गई।
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