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गरीबों से हमदर्दी जताने के अनूठे अंदाज से सुर्खियां बटोरते रहें हैं राहुल - Sabguru News
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गरीबों से हमदर्दी जताने के अनूठे अंदाज से सुर्खियां बटोरते रहें हैं राहुल

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गरीबों से हमदर्दी जताने के अनूठे अंदाज से सुर्खियां बटोरते रहें हैं राहुल

इटावा। देशव्यापी लाकडाउन के कारण मुसीबतों से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों से मिलने को लेकर केन्द्र सरकार के निशाने पर आए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इस बिरले अंदाज के कारण पहले भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं।

गांधी ने पिछले शनिवार को दिल्ली के सुखदेव विहार में पैदल घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों से फुटपाथ पर बैठ कर बात की थी जिसको लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा था कि बीच रास्ते में श्रमिकों का समय खराब करने से अच्छा हाेता कि कांग्रेसी नेता अपने राज्यों में प्रवासियों की समस्यायों का निराकरण करते। मुश्किलों में घिरे प्रवासी मजदूरों पर राजनीति करने का यह सही समय नहीं है।

केन्द्र की टिप्पणी के बाद राहुल के पक्ष में काग्रेंस के कई छोटे बड़े नेता आ खड़े हुए है। उनका मानना है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष लंबे समय से किसानों, गरीबों, मजदूरों के मददगार बनते रहे हैं।

पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह ने कहा कि साल 2008 मे पांच दलितों की हत्या के बाद इटावा के इकदिल इलाके के अमीनाबाद गांव मे राहुल का दौरा हुआ था जहां वे पीड़ित परिवार के सदस्य से मिलने के बाद वापस लौट रहे थे कि अचानक आलू के खेत मे काम करने वाले किसान से मिल कर उन्होंने उनका हाल चाल तो लिया। साथ ही उसकी बेटी को भी अपने कंधे पर उठा कर अपनेपन का अहसास कराया। राहुल के किसान के बेटे को कंधे पर उठाने वाली घटना उस समय कई समाचार चैनलों की सुर्खियाॅ भी बन गई थी।

उन्होने कहा कि राहुल गांधी कमजोर तबके से जुडे हुए लोगों की आवाज पहले भी सुनते थे और आगे भी सुनते रहेगे ऐसी ही उम्मीद है। मोदी सरकार कोरोना संक्रमण के बाद मुसीबत के मारे लोगो की मदद करने के नाम पर दिखावा तो बहुत कर रही है लेकिन सतही तौर पर कामगारों की मदद नही हो पा रही है। इसी वजह से राहुल गांधी की प्रवासी मजदूर से मुलाकात के नाम पर सीतारमण ने सवाल उठाया।

इटावा के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला ने कहा कि राहुल ने अमीनाबाद गांव में रसीद की चार साल की बेटी सिमरन को अपने कंधे पर उठाया था,वह आज करीब 16 की हो चुकी है। इकदिल के ठेर मुहाल में वह और उसके माता पिता को यह घटना आज भी भावविभोर कर देती है।

गौरतलब है कि 2008 मे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के अमीनाबाद में हुए सामूहिक नरसंहार के बाद राहुल गांधी ने पहली बार सुरक्षा घेरा तोडा था। खेत मे आलू खोद रहे किसानों के बीच में बैठ करके राहुल गांधी ना केवल उनका हाल चाल जाना था बल्कि उनके साथ खाना भी खाया था। जाते एक मासूम को अपने कंधे पर बैठा करके राहुल ने दलितों के बीच अपनी पैठ बनाई। गांधी दलितों के घर खाना खाने और रात बिताने को लेकर भी कई बार चर्चा का विषय बन चुके हैं।