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स्वदेशी तेजस लडाकू विमान बढाएंगे 18वें स्क्वाड्रन की शान - Sabguru News
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स्वदेशी तेजस लडाकू विमान बढाएंगे 18वें स्क्वाड्रन की शान

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स्वदेशी तेजस लडाकू विमान बढाएंगे 18वें स्क्वाड्रन की शान

नई दिल्ली। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया बुधवार को वायु सेना के 18वें स्क्वाड्रन (फ्लाइंग बुलेट्स) का नए रूप में शुभारंभ करेंगे। इस स्क्वाड्रन को देश में ही बने तेजस लड़ाकू विमानों से लैस किया जाएगा।

स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस से लैस होने वाला यह वायु सेना का दूसरा स्क्वाड्रन होगा। इन विमानों को अंतिम संचालन मंजूरी यानी एफओसी हासिल है और कोयम्बतूर के निकट सुलूर वायु सेना स्टेशन पर इन्हें 18वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा।

इस स्क्वाड्रन का गठन 15 अप्रैल 1965 में किया गया था और इसका ध्येय वाक्य ‘तीव्र और निर्भय) है। इससे पहले इस स्क्वाड्रन में मिग 27 विमान उडाए जा रहे थे। इस स्क्वाड्रन को गत एक अप्रैल को सुलूर में एक बार फिर से नया रूप दिया गया था।

18वें स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान के साथ 1971 की लड़ाई में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और इसके जांबाज पायलट फ्लाइंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखों को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। स्क्वाड्रन को ‘कश्मीर के रक्षक’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह पहला स्क्वाड्रन था जिसके विमानों ने श्रीनगर से उडान भरी और वहां उतरे। उसे नवम्बर 2015 में राष्ट्रपति के स्टेन्डर्ड से भी सम्मानित किया गया था।

तेजस चौथी पीढी का स्वदेशी विमान है जो फ्लाई बाई वायर उडान नियंत्रण प्रणाली, एकीकृत डिजिटल एवियोनिक्स और मल्टीमोट राडार से लैस है। यह चौथी पीढी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में सबसे हल्का और छोटा है।

भदौरिया 27 मई को एलसीए तेजस में भरेंगे उड़ान

वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया 27 मई को वायु सेना के 18वें दस्ता ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ में शामिल प्रसिद्ध सुपरसोनिक एलसीए तेजस विमान से उड़ान भरेंगे। इसके लिए कोयंबटूर के नजदीक सुलुर में वायुसेना हवाई अड्डा पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

रक्षा मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी बयान में कहा गया कि स्क्वाड्रन एलसीए तेजस विमान से लैस होगा और यह वायु सेना का दूसरा दस्ता होगा, जो एलसीए तेजस का परिचालन करेगा। वायु सेना के 18वें दस्ते का गठन 15 अप्रैल 1965 में ‘तीव्र और निर्भय’ के उदेशों को ध्यान में रख कर किया गया था।