चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के भतीजे जे दीपक और भतीजी जे दीपा को बुधवार को दूसरी पीढ़ी का कानूनी उत्तराधिकारी घोषित करते हुए कहा कि वे उनकी सभी संपत्तियों के हकदार हैं।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि जयललिता के निवास पोएस गॉर्डन के केवल एक हिस्से को ही स्मारक बनाया जा सकता है। न्यायालय ने पोएस गॉर्डन को मुख्यमंत्री के सरकारी कार्यालय सह निवास के रूप में प्रयोग करने का भी सुझाव दिया।
न्यायमूर्ति एन कृपाकरण एवं न्यायमूर्ति अब्दुल कुद्दोस की युगल पीठ ने दीपा और दीपक की ओर से अपनी चाची जयललिता की संपत्ति का प्रशासनिक अधिकार देने की अर्जी भी मंजूर कर ली। न्यायालय ने जयललिता की संपत्ति के प्रशासनिक संचालन के लिए उन्हें लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन भी सौंपा।
न्यायालय का आदेश तमिलनाडु सरकार की ओर से पिछले दिनों जारी उस अध्यादेश के जारी करने के बाद आया है जिसमें जयललिता के पोएस गार्डन निवास ‘वेदा निलयम’ को सार्वजनिक स्मारक के तौर विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया गया था।
न्यायालय के आज के आदेश के बाद राज्य की अन्नाद्रमुक सरकार को जयललिता के निवास को स्मारक के रूप में परिवर्तित करने के लिए दीपक और दीपा से सहमति लेनी होगी। न्यायमूर्तियों ने कहा कि सरकार कानून उत्तराधिकारियों की सहमति के बगैर ‘वेद निलयम’ का अधिग्रहण नहीं कर सकती। न्यायालय ने निजी संपत्तियों के अधिग्रहण एवं उन्हें स्मारक में तब्दील करने में सार्वजनिक धन के उपयोग पर भी आपत्ति जाहिर की है।
न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि पोएस गॉर्डन की 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति का इस्तेमाल मुख्यमंत्री के सरकारी निवास सह कार्यालय के निर्माण तथा इसके एक हिस्से को स्मारक के तौर पर विकसित करके किया जाए।
न्यायालय ने दीपक और दीपा की उस अर्जी को भी मंजूरी दे दी कि वे अपने विवेक पर कुछ संपत्तियों का चयन करेंगे और उनका उपयोग जयललिता के नाम पर एक सार्वजनिक ट्रस्ट बना कर कल्याणकारी उपायों के लिए करेंगे।
गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का पांच दिसंबर 2016 को निधन हो गया था। इसके बाद अन्नाद्रमुक के दो पदाधिकारियों ने जयललिता की संपत्तियों का प्रशासक नियुक्त करने को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने नौ जनवरी 2018 को अन्नाद्रमुक नेताओं की याचिका को खारिज कर दिया तो वे युगल पीठ में गए थे। इस बीच दीपक ने अपने वकील एसएल सुदर्शनम के जरिये युगल पीठ में आवेदन दिया तथा अपनी बहन दीपा को भी प्रतिवादी बनाया। बाद में न्यायालय ने दोनों ही याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की और आज फैसला सुनाया।