नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने संबंधी सरकारी अधिसूचना पर अमल संबंधी एक याचिका को तथ्यों के विवादित प्रश्नों का हवाला देते हुए निपटारा कर दिया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने याचिकाकर्ता निर्मल भगत एवं अन्य की ओर से पेश वकील सत्यम सिंह राजपूत और अमित कुमार शर्मा की दलीलें सुनने के बाद यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि इस याचिका में कुछ विवादित तथ्य हैं जिसकी सुनवाई संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने हालांकि याचिकाकर्ताओं को यह छूट जरूर दी कि वे दिल्ली दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम, 1954 के तहत संबंधित अदालत या प्राधिकार के समक्ष अपनी फरियाद लेकर जाएं।
दिल्ली सरकार के वकील संजय घोष ने न्यायालय को आश्वस्त किया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा जब कभी इस मामले में याचिका दायर की जाएगी, तब यह कोशिश रहेगी कि इनका निपटारा तीन महीने के भीतर करने का प्रयास किया जाएगा। न्यायालय के समक्ष यह भी स्पष्ट किया गया कि दोनों पक्ष सभी संबंधित अदालत या प्राधिकार को पूर्ण सहयोग देंगे और स्थगन की मांग नहीं करेंगे।
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वे पिछले कई साल से संबंधित कंपनियों के कर्मचारी रहे हैं और न्यायालय गृह मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार लाॉकडाउन की अवधि का भी वेतन देने का नियोक्ता को निर्देश दे, जबकि कंपनियों का दावा है कि याचिकाकर्ता स्थायी कर्मचारी नहीं थे, बल्कि जरूरत के अनुसार उनसे दिहाड़ी पर काम करा लिया जाता था।