सबगुरु न्यूज । आज 3 जून है । आज विश्व साइकिल दिवस है । साइकिल का नाम सुनते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं । कभी शान की सवारी समझी जाने वाली साइकिल को धीरे धीरे लोगों ने भुला दिया था । यही नहीं अधिकांश लोग तो साइकिल से चलने पर शर्मिंदगी भी महसूस करने लगे थे । लेकिन हाल के वर्षों में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के तमाम देशों में साइकिल को लोग एक बार फिर याद कर रहे हैं । आज साइकिल दिवस के अवसर पर और अच्छी सेहत के लिए आओ एक बार फिर साइकिल से दोस्ती कर ले ।
साइकिल ही ऐसी सवारी है जिसे बच्चे, जवान, बुजुर्ग हर आयु के वर्ग चला सकते हैं । साइकिल की सवारी मनुष्य को मानसिक-शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का कार्य करती है। इसमें अन्य व्यायामों की तरह न चोटिल होने का डर है और न ही इसे चलाने में किसी विशेष तकनीकी ज्ञान की जानकारी की आवश्यकता होती है । साइकिल चलाने में शर्म नहीं करनी चाहिए बल्कि उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए जिनका साइकिल की सवारी शौक भी है और जरूरत भी । देश में आज लाखों लोग ऐसे भी हैं, जो विभिन्न सुविधाओं के बावजूद वर्षों से साइकिल की सवारी करते आ रहे हैं ।
साइकिल चलाने से शहर के वातावरण में प्रदूषण भी काफी कम होता है
शहरवासी अपने आसपास की दूरी तय करने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करें, तो इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पेट्रोल की खपत कम होगी, वहीं प्रदूषण स्तर भी काफी कम होगा साथ ही जो लोग साइकिल चलाते हैं, उनका मानना है कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होता है और सुरक्षित रहते हैं ।सबसे सबसे उदाहरण लॉकडाउन में हमने देख लिया है । सड़कों पर वाहनों के प्रतिबंध होने से देश भर में आबोहवा शुद्ध और पुरुषों में भारी कमी देखी गई । लॉकडाउन में ही लाखों लोगों का सहारा भी साइकिल बनी है । अब लोग जानने लगे हैं कि साइकिल के प्रयोग से पृथ्वी के लिए गंभीर होते जा रहे वायु प्रदूषण की इस समस्या पर लगाम लगाई जा सकती है ।
हर रोज 30 मिनट चलाएं साइकिल और रहे स्वस्थ
रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है । सुबह के वक्त साइकिल चलाने से आपकी फिटनेस बरकरार रहती है । साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम ठीक तरीके से काम करता है । एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्यून सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और बीमार होने का खतरा कम हो जाता है । लगातार साइकिल चलाना घुटने और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को आराम पहुंचाता है । 30 मिनट साइकिल चलाता है उसका दिमाग साधारण इंसान के मुकाबले ज्यादा एक्टिव रहता है । साइकिल सबसे सस्ता साधन है, जहां आपको दूसरी गाड़ियों में तेल के लिए पैसे खर्च करेने होंगे । वहीं आपको साइकिल में ऐसा कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं है। स्वास्थ्य के साथ-साथ साइकिल आपके पैसे बचाने का काम भी करती है और परिवहन का स्वच्छ तथा सस्ता माध्यम है ।
भारत में अधिकांश काम लोग साइकिल से ही किया करते थे
वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद भारत में भी साइकिल का बहुत तेजी के साथ विकास हुआ । 60 के दशक से वर्ष 1990 तक साइकिल घर-घर की सवारी बन चुकी थी । उस दौरान गांव से लेकर शहर तक अधिकांश लोग साइकिल से ही सफर किया करते थे । गांव का किसान हो या ग्रामीण हो सभी लोग साइकिल से ही आया जाया करते थे, यही नहीं भारतीय डाक विभाग तो आज भी साइकिल से ही चिट्ठियों को बांटता है । दूधवाले हो या अखबार वालों की पहली पसंद साइकिल ही रही है । ऑफिस और स्कूलों में भी अधिकांश साइकिल से ही सवारी किया करते थे । लेकिन वर्ष 2000 आते धीरे-धीरे देश में साइकिल चलाने का चलन घटने लगा । गांव से लेकर शहर तक साइकिल का स्थान पर मोटरसाइकिलों ने ले लिया । ऐसा भी समय आया कि लोग साइकिल से चलने में शर्म भी महसूस करने लगे । लेकिन हाल के वर्षों में एक बार फिर लोगों को साइकिल की याद आ रही है अब धीरे-धीरे एक बार फिर से सड़कों पर साइकिल दिखाई देने लगी है ।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने 3 जून 2018 को पहला विश्व साइकिल दिवस मनाने की घोषणा की थी
संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को मनाया गया था । यह दिवस परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद और पर्यावरण की सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है । पिछले कुछ वर्षों में भारत, चीन, यूरोप के कई देशों में साइकिल चलाने वाले लोगों की संख्या तेजी के साथ बढ़ती जा रही है । नीदरलैंड में 40% से अधिक लोग काम पर जाने के लिए साइकिल का ही प्रयोग करते हैं । यही नहीं यहां के प्रधानमंत्री भी आए दिन साइकिल से ही सवारी करते हैं । आज विश्व के तमाम देशों में लोग साइकिल से चलने के लिए प्राथमिकता दे रहे हैं । आज अंतरराष्ट्रीय साइकिल दिवस के अवसर पर हमें भी संकल्प लेना होगा अच्छी सेहत और बढ़ते प्रदूषण को हटाने के लिए गाड़ियों और मोटरसाइकिलों से न चलकर छोटे-मोटे सफर साइकिल से ही चलने की आदत डालनी होगी ।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार