लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलो में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में एकल पीठ द्वारा तीन जून को जारी आदेश पर रोक लगा दी है। इस आदेश से प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।
महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह द्वारा दायर विशेष अपील पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार प्रदेश सरकार अपनी भर्ती जारी रख सकती है। अदालत के इस आदेश से चयनित किए जा रहे 69 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल एवं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अपील पर यह आदेश दिए हैं। विशेष अपील दायर कर एकल पीठ के गत तीन जून के आदेश को चुनौती दी गई है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्तता रनविजय
सिंह ने अदालत को बताया कि गत तीन जून को एकल पीठ द्वारा दिया गया अंतरिम आदेश विधि विरुद्ध है। उन्होने कहा कि इस पर रोक लगाई जाय और खारिज किया जाए।
तीन जून को एकल पीठ ने आदेश देते हुए भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल 12 जुलाई तक रोक लगा दी थी। इस आदेश से प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही काउंसलिंग रोकनी पड़ी थी। तीन जून को एकल पीठ ने फैसले में कहा था कि विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के भीतर परीक्षा नियामक प्राधिकरण इन आपत्तियों को यूजीसी के विशेषज्ञों को भेजेगी। यूजीसी इन आपत्तियों का निस्तारण करेगी। विशेष अपील दायर कर एकल पीठ के इस तीन जून के आदेश को चुनौती दी गई।
गौरतलब है कि पहले याचिका दायर कर अनेक याची गणों ने शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा के 13 सवालों पर आपत्ति उठाई थी। याचियों का कहना था कि बेसिक शिक्षा विभाग ने जो आंसर की जारी की, उसमें उन सवालों के उत्तर कुछ और थे, जबकि एनसीईआरटी की किताबों में कुछ और दिया है। इस मामले में एकल पीठ ने आदेश देते हुए गत तीन जून को रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्तता रन विजय सिंह ने विशेष अपील पर मजबूती से अपना पक्ष रखा था। सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया था। आज आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी साथ ही भर्ती प्रक्रिया भी जारी रखने की छूट दी है।