नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पूछा कि क्या लॉकडाउन की अवधि की मासिक किस्त पर मिली मोहलत के बावजूद कर्जदारों को चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा?
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने वित्त मंत्रालय और आरबीआई को तीन दिन के भीतर संयुक्त बैठक करके यह तय करने का निर्देश दिया कि क्या 31 अगस्त तक मासिक किस्त पर दी गई मोहलत के साथ ही ब्याज पर भी मोहलत दी जा सकती है और क्या इस अवधि का चक्रवृद्धि ब्याज देना होगा?
न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह दोनों की बैठक का इंतजाम करेंगे। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। न्यायमूर्ति भूषण ने स्पष्ट किया कि वह मामले में एक संतुलन बनाना चाह रहे हैं।
इससे पूर्व मेहता ने मामले की सुनवाई टालने का न्यायालय से अनुरोध करते हुए कहा था कि इसी मुद्दे पर वित्त मंत्रालय की आरबीआई अधिकारियों के साथ इस सप्ताह के अंत में एक बैठक होने वाली है। आरबीआई ने दलील दी कि सभी बैंकों का यही कहना है कि किस्त अदायगी की मोहलत के दौरान छह महीने का ब्याज माफ नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि गजेंद्र शर्मा ने एक याचिका दायर करके किस्त अदायगी की मोहलत के बावजूद बैंकों द्वारा इस अवधि का चक्रवृद्धि ब्याज वसूले जाने के निर्णय को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा था कि लॉकडाउन की वजह से लोग पहले ही वित्तीय संकट झेल रहे हैं। ऐसे में ब्याज पर ब्याज वसूलने से उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक बिगड़ जाएगी।