नई दिल्ली। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच झड़प के बाद स्थिति को जिम्मेदारी के साथ संभालने और गत छह जून को सैनिकों को पीछे हटाने पर बनी सहमति पर अमल करने के साथ ऐसा कोई कदम नहीं उठाने की बात कही है जिससे हालात बिगडने की आशंका हो।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच आज टेलीफोन पर बातचीत के दौरान यह सहमति बनी। दोनों ने दोपहर को हुई बातचीत के दौरान लद्दाख के घटनाक्रम पर चर्चा की। दोनों देशों ने कहा है कि वे द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकाल के माध्यम से सीमा पर शांति तथा मित्रतापूर्ण माहौल सुनिश्चित करेंगे।
जयशंकर ने चीनी सेना की कार्रवाई पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि उसने सहमति को नजरंदाज कर भारतीय सीमा में गलवान घाटी में टेंट लगाने की कोशिश की जिससे विवाद पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि असाधारण घटनाक्रम का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पडेगा।
चीनी विदेश मंत्री ने भी बातचीत के दौरान अपना पक्ष रखा।
राजनाथ ने लद्दाख सीमा पर स्थिति की समीक्षा की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद उत्पन्न स्थिति की आज यहां लगातार दूसरे दिन उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा की।
सिंह ने सुबह साउथ ब्लाक में महत्वपूर्ण बैठक की जिसमें चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ और सैन्य मामलों के सचिव जनरल बिपिन रावत,थल सेनाध्यक्ष जनरल एम. एम. नरवणे,नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भाग लिया।
सूत्रों के अनुसार बैठक में गलवान घाटी में मौजूदा स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गयी और आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने रक्षा मंत्री को इस मुद्दे से संबंधित सभी पहलुओं से अवगत कराया।
बैठक के बाद रक्षा मंत्री ने टि्वट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सीमा संघर्ष में जवानों की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि गलवान घाटी में जवानों की शहादत परेशान करने वाली और दर्दनाक है।
उन्होंने कहा कि सैनिकों ने सीमा पर तैनाती के दौरान अपने कर्तव्य पालन में अनुकरणीय साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए देश की सीमा की सुरक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।
सिंह ने कहा कि राष्ट्र उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। मैं अपने शहीद जवानों के परिवारों के साथ हूं। राष्ट्र इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें भारत के रणबांकुरों की वीरताऔर साहस पर गर्व है।
दर्द को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता : शाह
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सेना के जांबाजों को आज श्रद्धांजलि दी और उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बहादुर सैनिकों को खोने के दर्द को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि लद्दाख़ के गलवान में मातृभूमि की रक्षा के दौरान अपने बहादुर सैनिकों को खोने के दर्द को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। भारत भूमि को सुरक्षित रखने के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले अमर वीरों को राष्ट्र नमन करता है। उनका अदम्य साहस और वीरता अपनी भूमि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
एक अन्य टि्वट में उन्हाेंने कहा कि मैं उन परिवारों को नमन करता हूं जिन्होंने ऐसे महान वीरों से भारतीय सेना को समृद्ध किया। भारत सदैव उनके सर्वोच्च बलिदान का ऋणी रहेगा। दुःख की इस घड़ी में पूरा राष्ट्र और मोदी सरकार पूरी दृढ़ता से उनके परिवारों के साथ खड़ी है। घायल सैनिकों के शीघ्र ठीक होने की प्रार्थना करता हूं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में बीस सैनिक शहीद हो गए थे। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि झड़प में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं।