नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और इसके लिए खनिज तथा खनन क्षेत्रों में सुधार की पहल करते हुए संपदा वाले क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने की मजबूत नींव रखी जा रही है।
मोदी ने गुरुवार को यहां वीडियो कांफ्रेंस में कोयला खदानों के वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए निविदा की शुरुआत के मौके पर कहा कि एक समय था जब कोयला खदानों में भारी घोटालों की कहानियां सामने आती थीं लेकिन यह पहला मौका है जब कोयला खदानों की नीलामी पारदर्शी तरीके से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र के काम में पहले काफी कुछ कुप्रबंधन था लेकिन 2014 के बाद इसमें सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए गए। इन सुधारों से काेयला क्षेत्र को मजबूती मिली और अब भारत के कोयला खदान क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और इसमें आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया है। इसमें ध्यान रखा गया है कि निजी क्षेत्र के जो उद्योगपति इस क्षेत्र में आये, उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो।
मोदी ने कहा कि देश ने आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य तय किया है और हम आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। देश में खपत और आपूर्ति में जबरदस्त उछाल आ रहा है जो देश के आर्थिक तौर पर मजबूत होने का संकेत है। काेयला खदानों का वाणिज्यीकरण इसी दिशा में एक और कदम है जिससे देश आत्मनिर्भर बनेगा और आगे भी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है लेकिन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक देश भी है। जब हम सबसे बड़े उत्पादक हैं तो फिर सबसे बड़ा निर्यातक क्यों नहीं हो सकते है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयला में देश की अर्थव्यवस्था को बहुत आगे बढ़ाने की क्षमता है लेकिन देश की इस संपदा का दुरूपयोग ही होता रहा है। देश में कोयले का भंडार है लेकिन कोयला क्षेत्र को हमेशा प्रतिस्पर्धा से दूर रखा गया और इसमें पारदर्शिता हमेशा सबसे बड़ी समस्या बनी रही। ईमानदारी के अभाव में कोयला खदानों के आवंटन में घोटालों की हमेशा चर्चा होती और नीलामी की कोई बात ही नहीं करता था लेकिन आज इस क्षेत्र में सुधार लाने का जो काम हुआ है, उससे सबको फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि आज जिन कोयला क्षेत्रों की नीलामी की जा रही है इससे बड़ा बदलाव आएगा। कोल क्षेत्र में हो रहे निवेश से गरीबों तथा आदिवासियों के जीवन को आसान बनाएगा और कोयला खदान क्षेत्र के लोगों के जीवन में इससे बदलाव आएगा और उन्हें इस सुधार का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य सबसे पहले संपदा वाले क्षेत्रों को खुशहाल बनाना है और यह कदम इसी दिशा में एक अहम पहल है।
मोदी ने कहा कि खनिज और खदान देश की अर्थव्यवस्था का आधार है और देश की इस संपदा का ईमानदारी के साथ देश की जनता को लाभ मिले, इसके लिए इस क्षेत्र में सुधार किये गये हैं। कोयले के लिए आज से वाणिज्यिक बाजार को खोल दिया गया है और अब जो चाहे कोयला खरीद सकता है। इसका सिर्फ कोयला क्षेत्र को ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों जैसे स्टील, लौह, बाॅक्साइट आदि पर भी सकारात्मक असर होगा।
उन्होंने कहा कि खदानों को लेकर जो सुधार हुए हैं, उससे सिर्फ कोयला खदान ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्र को भी मजबूती मिली है। वाणिज्यिक खदानों के लिए जो शुरुआत कोयला मंत्रालय ने की है, उससे नये बाजार खुलेंगे, राज्यों को राजस्व मिलेगा, रोजगार के नये अवसर मिलेंगे और सबसे बड़ी बात यह है कि गरीब को इसका बहुत बड़ा फायदा होगा। देश के गरीब इलाके तथा गरीब क्षेत्र लाभन्वित होंगे।
मोदी ने कहा कि कोयला क्षेत्र में सुधार करते समय पर्यावरण की रक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। दुनिया के कई देश पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं और पर्यावरण का संरक्षण हमारी भी प्रतिबद्धता है तथा कोयला और खनन क्षेत्र में सुधार करते समय इसके संरक्षण पर पूरा ध्यान दिया गया है। काेयला खदानों का वाणिज्यिक कार्यों के लिए इस्तेमाल करते समय किसी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं हो, इसके लिए कोयला खदानों में सुधार की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि कोयले के देश में बड़े- बड़े भंडार हैं लेकिन इसका लाभ उन क्षेत्रों के लोगों को नहीं मिलता है, जहां ये स्थित हैं। यही कारण है कि कोयला खदान वाले क्षेत्रों के लोग बड़े-बड़े शहरों में रोजगार के लिए जाते हैं। स्थानीय लोगों की इन दिक्कतों को कम करने के लिए इन सुधारों के जरिए देश के पूर्वी और मध्य क्षेत्र के लोगों को वाणिज्यिक खनन का फायदा देने के वास्ते यह कदम उठाया गया है। उनका कहना था कि काेयला खदानों से गरीबों के जीवन में बदलाव लाना है।
मोदी ने कहा कि कोयले से गैस का निर्माण किया जाएगा और इससे बनने वाली गैस का इस्तेमाल यातायात एवं रसोई में किया जाएगा। इसके लिए 2030 तक करीब 10 करोड़ टन कोयले को गैस में बदलने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके साथ ही इस दिशा में प्रयास शुरु कर दिये गये हैं और इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि पिछले महीने उन्होंने जब देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही, तब कुछ लोगों को लगा था कि यह महज एक सरकारी घोषणा है। कुछ लोगों ने इस घोषणा पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी दी लेकिन एक माह पहले की गयी यह घोषणा एक महीने के भीतर ही रंग लाने लगी है। इस संबंध में विभिन्न विभागों में निर्णय लिए जा रहे हैं और उसे जमीन पर उतारा जा रहा है। इससे पता चलता है कि देश इस घोषणा को हकीकत बनाने के लिए कितना गंभीर है।