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Direct exposer of sodium hypo chlorite on human is continuous in Sirohi - Sabguru News
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कोरोना सेनेटाइजेशन में स्वास्थ्य से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं सिरोही के सरकारी विभाग

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कोरोना सेनेटाइजेशन में स्वास्थ्य से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं सिरोही के सरकारी विभाग
सिरोही बस स्टैंड पर लगाई गई सेनेटाईजेशन टनल।
सिरोही बस स्टैंड पर लगाई गई सेनेटाईजेशन टनल।
सिरोही बस स्टैंड पर लगाई गई सेनेटाईजेशन टनल।

सबगुरु न्यूज- सिरोही। जिले के सरकारी विभाग कोरोना से बचाने के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करता प्रतीत हो रहा है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के नाम पर एसओपी यानी स्टेंडर्ड ऑपरेशन प्रोसेजर को दरकिनार करके मानव शरीर पर सीधे सोडियम हाइपो क्लोराइट जैसे पेस्टिसाइड का छिड़काव यहाँ अब भी किया जा रहा है।
नगर परिषद के बाद सिरोही बस स्टैंड पर भी सोडियम हाइपो क्लोराइड का छिड़काव सीधे मानव शरीर पर किया जा रहा है। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसा नहीं करने की गाइडलाइन जारी कर रखी है।
– लगाई है सेंसर वाली टनल
सिरोही में कोरोना का विस्फोट शुरू होने के बाद अब नए सिरे से सिरोही नगर परिषद और बस स्टैंड में सेंसर बेस टनल का इस्तेमाल शुरू किया गया है। इसमें किसी भी कार्मिक या व्यक्ति के घुसते ही सेंसर एक्टिव हो जाते हैं और इसमे लगे नोजल में से सोडियम हाइपो क्लोराइट का छिड़काव शुरू हो जाता है।

इस टनल पर बाकायदा ये हिदायत लिखी है कि कार्यालय में घुसने से पहले 3-5 सेकेंड तक इस टनल में सेनेटाइजर में हाथों को सेनेटाइज करें। रोडवेज सेवा शुरू हो जाने के बाद ऐसी ही टनल सिरोही बस स्टैंड पर भी लगा दी गई है।

नगर परिषद आयुक्त शिवपाल सिंह ने बताया कि ये टनल जालोर के दानदाता द्वारा दान दी गई है। एक केमिकल विक्रेता ने बताया कि एक वित्तीय संस्थान भी इस टनल का इस्तेमाल कर रही थी, बाद में उसने इस्तेमाल बंद कर दिया।
-कई राज्य कर चुके हैं बैन
कोविड 19 महामारी का संक्रमण शुरू होते ही देशभर में कई राज्यों में डिसइन्फेकटेन्ट टनल का इस्तेमाल एक उपलब्धि के रूप में कई जगह मीडिया की सुर्खियां बना। इसमें सेनेटाइजर के रूप में सोडियम हाइपो क्लोराइट को इंसानों पर सीधे इस्तेमाल किये जाने की बात सामने आई।
बाद में जब सोडियम हाइपो क्लोराइट का उपयोग सीधे मानव शरीर पर इस्तेमाल किये जाने से होने वाले नुकसान का पता चला तो दक्षिण भारत के कई राज्यों ने और उत्तर भारत के उत्तराखण्ड ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश मे और दिल्ली नगर निकाय द्वारा पैदल जा रहे मजदूरों पर सोडियम हाइपो क्लोराइट के सीधे इस्तेमाल को अमानवीय करार देते हुए हंगामा मचा।
-यहां भी उपलब्धि था

सिरोही विधायक की प्रेरणा से नगर परिषद और सिरोही जिला चिकित्सालय में अप्रेल में दानदाताओं के सहयोग से डिसइंफेक्टेन्ट टनल की शुरुआत हुई तो इसे यहां भी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया। तब तक कई राज्य इसमें छिड़के जाने वाले सोडियम हाइपो क्लोराइट से मानव शरीर पर होने वाले नुकसान के कारण इसे बैन कर चुके थे।

भाजपा नेताओं ने उस समय सिरोही में टनल स्थापन के समय एक आपत्ति जताई, लेकिन मुद्दा केमिकल से सिरोही के लोगों पर होने वाले नुकसान को लेकर नहीं था। भाजपा की आपत्ति इस बात को लेकर थी कि जो डिसिनफेक्टेनट टनल लगाई है उस पर संयम लोढ़ा की फ़ोटो क्यों है? यानि लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा इन्हें इनके राजनीतिक स्वास्थ्य की चिंता थी। वैसे बीच में इनसे काम लेना बंद हो गया था इसके बाद सेंसर वाली टनल फिर इस्तेमाल होने लगी।
-क्या है सोडियम हाइपोक्लोराइट के उपयोग का एसओपी
सोडियम हाइपोक्लोराइट ऐसा डिस इंफेक्टेन्ट है जो प्रोटीन को विकृत कर देता है। बैक्टीरिया, माईक्रोबेक्टेरिया, फंगी के साथ साथ वायरस में भी प्रोटीन होते हैं।
पानी के साथ इसका इस्तमाल करने पर ये रासायनिक क्रिया करके हाइपोक्लोराइट बनाता है जो वायरस के बाहरी परत पर मौजूद इनके प्रोटीन को तोड़कर इन्हें निष्क्रिय करने का काम करता है। डिसइनफेकंटेंट के रूप में इसके इस्तेमाल के लिए एक प्रोसेजर है। कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने के लिए के लिए 1 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल को इस्तेमाल किया जाना भी इसी एसओपी का हिस्सा है।
मतलब सोडियम हाइपो क्लोराइट का इस्तेमाल सिर्फ पानी के साथ ही किया जाता है।
पानी के साथ क्रिया करके ये हाइपो क्लोराइट और फिर हाइड्रो क्लोरिक एसिड बनाता है।
ये वही एसिड है जो आम तौर पर हम लोग कुछ हल्के रूप में घरों में टॉयलेट क्लीनिंग में काम में लेते हैं।
एसओपी में स्पष्ट है कि इसे लिविंग ऑर्गेनिस्म यानी जीवित वस्तु पर उपयोग में नहीं लिया जाएगा। सीमित मात्रा में इसका इस्तेमाल मेटल या निर्जीव वस्तु पर किया जा सकता है।

दक्षिण भारत के कई चिकित्सकों ने ये बताया था कि इंसानों पर इसके सीधे इस्तेमाल से त्वचा, आंख और मुंह तीनों के लिए ये घातक हो सकता है। इतना ही नहीं कोरोना वायरस के श्वसन तंत्र पर नुकसान के जिस प्रभाव से इंसानी जीवन को खतरा है, ठीक उसी तरह सोडियम हाइपो क्लोराइट के मुंह के माध्यम से गले और फेंफड़ो तक पहुंचने पर श्वसन समस्या होने की आशंका होती है।

– क्या कहती है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी?
लम्बे समय से ना तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और न ही उत्तर भारत की कई राज्य सरकारों ने सोडियम हाइपो क्लोराइट के मानव शरीर पर सीधे इस्तेमाल को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की। इस कारण धड़ल्ले से मानव शरीर और इसका सीधा इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन, 14 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नींद उड़ी। उसने मीडिया रिपोर्ट्स और कई स्थानों से मिले पत्रों के आधार पर एक एडवाइजरी जारी की।
इसमें सोडियम हाइपो क्लोराइट का किसी मानव शरीर पर सीधे इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव होने की बात कही गई है।
एडवायजरी में इसके इस्तेमाल से त्वचा और आंख पर दुष्प्रभाव की बात भी कही गई है।
इतना ही नहीं ये भी लिखा है कि इसके कपड़े और शरीर पर इस्तेमाल से वायरस के मरने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण भी नहीं है।
इसके बावजूद इन मार्गदर्शनो को पढ़े बिना ही सोडियम हाइपो क्लोराइट का सेनेटाइज टनल में इस्तेमाल किया जा रहा है।
विचारणीय पहलू ये भी है कि नेता इस टनल के राजनीतिक फायदे नुकसान के लिए तो जंग कर रहे हैं, लेकिन वो भी या तो मानव पर इसके सीधे इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से अनभिज्ञ हैं या फिर उन्हें इंसानी जीवन से कोई लेना देना नहीं है।
वैसे व्हाट्सएप पर कॉपी, पेस्ट और फॉरवर्ड मैसेज के जमाने में इनसे आधिकारिक और पुष्ट सूचनाएं पढ़ने की आशा करना बेमानी भी है।

इनका कहना है…
सोडियम हाइपो क्लोराइट का इस्तेमाल हमने मना किया हुआ है। इसके लिए पत्र भी जारी किया हुआ है।
डॉ राजेश कुमार
सीएमएचओ सिरोही।