सबगुरु न्यूज। पिछले कई दिनों से चीन से चली आ रही तनातनी के बीच आइए आज भारत के सबसे घनिष्ठा और पुराने दोस्त रूस की बात कर लिया जाए। बात करेंगे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की। पुतिन का सत्ता में रहना विश्व में जगजाहिर है। व्लादिमीर रूस के पहली बार वर्ष 2000 में राष्ट्रपति बने थे और 2008 तक इस पद पर रहे, उसके बाद रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव बने थे।
लेकिन तभी व्लादिमीर पुतिन को लगा कि उन्होंने सत्ता से जल्दी ही अपने आपको किनारा कर लिया है । पुतिन एक बार फिर दिमित्री मेदवेदेव सरकार में प्रधानमंत्री बन गए। हालांकि राष्ट्रपति केेे बाद पुतिन का प्रधानमंत्री पद संभालना अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बना रहा। प्रधानमंत्री रहते हुए पुतिन ने मेदवेदेव से संविधान में संशोधन कराया। मेदवेदेव का राष्ट्रपति कार्यकाल 2012 में पूरा हो गया उसके बाद पुतिन एक बार फिर देश के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने गए। यहां आपको बता दें कि व्लादिमीर पुतिन को भी भारत का समर्थक माना जाता है।
कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर रूस के राष्ट्रपति ने भारत का खुलकर साथ दिया है। गौरतलब है कि भारत और रूस की दोस्ती आज की नहीं है बल्कि आजादी के समय की है। नेहरू काल में भारत और सोवियत संघ (उस समय रूस का नाम सोवियत संघ था) की दोस्ती पूरी दुनिया जानती है। भारतीय फिल्म अभिनेता राज कपूर सोवियत संघ में बहुत लोकप्रिय थे। राजकपूर की फिल्में सोवियत संघ में बहुत देखी जाती थी। ऐसे ही इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में भारत और सोवियत संघ की दोस्ती और भी मजबूत हुई। आज अगर हमारे देश में किसी से पूछा जाए कि भारत का सबसे अच्छा दोस्त कौन है तो पूरा देश यही कहेगा रूस भारत का सबसे अच्छा मित्र है।
सत्ता में लंबी पारी खेलने के लिए पुतिन ने शुरू कर दी है तैयारी
आपको बता दें कि तीन साल पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने देश के संविधान में संशोधन कराया था। चीन के इस संशोधन में यह प्रारूप रखा गया था कि जिनपिंग ताउम्र या अपने मर्जी तक चीन के राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। अब उसी के तर्ज पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी चल पड़े हैं। अभी वह 16 साल से राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं। लेकिन अब पुतिन भी चाहते हैं कि रूस में भी ऐसा संशोधन हो कि उनका कार्यकाल और बढ़ सके, उसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है।
आपको बता दें कि पुतिन राष्ट्रपति के पद पर दूसरा कार्यकाल 2012 से शुरू हुआ है जो कि 2024 तक है, लेकिन पुतिन ने अपने तीसरेेेेेेेेेेेे कार्यकाल के लिए अपने को अभी से मजबूत बनाना शुरू कर दिया। संवैधानिक बदलाव को लेकर 3 दिन बाद 25 जून से 1 जुलाई तक देशभर में वोटिंग होगी। अगर संविधान में संशोधन हो जाता है तो राष्ट्रपति के रूप में पुतिन 6-6 साल के लिए दो बार राष्ट्रपति बन सकते हैं। यानी पुतिन रूस में वर्ष 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। हालांकि रूस के इस संविधान संशोधन का विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया है। विपक्ष के द्वारा शोर मचाए जाने पर सत्ता पक्ष ने कहा है कि आज रूस के लिए पुतिन का राष्ट्रपति बने रहना जरूरत है।
68 साल की आयु में भी पुतिन ने अपने आपको चुस्त-दुरुस्त बना रखा है
7 अक्टूबर 1952 को जन्मे व्लादिमीर पुतिन ने आज भी अपने आप को चुस्त-दुरुस्त बना रखा है। समय-समय पर वह ऐसा कुछ करते रहते हैं जिससे विश्व भर में रफ एड टफ के लिए सुर्खियों में बने रहे। पुतिन रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी से भी 15 साल तक जुड़े रहे हैं। वर्ष 1999 बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था तब पुतिन प्रधानमंत्री हुआ करते थे। उसके बाद उन्हें कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नामित किया गया था। वर्ष 2000 में हुए चुनाव में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति बने थे।
इस दौरान देश में कई बदलाव देखने को मिले। इसके साथ ही राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने खुद को बेहद मजबूत बनाया। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान व्लादिमीर पर कई आरोप भी लगाए गए हैं। वर्ष 2000 में रूस में पनडुब्बी के डूब जाने पर पुतिन ने देश से यह बात कई दिनों तक छुपाए रखी थी, इसमें रूस के 118 सैनिक मारे गए थे। यही नहीं पिछली बार अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन पर जासूसी कराने के आरोप लगाए थे। अगर रूस में संविधान संशोधन किया जाता है और पुतिन अपने तीसरे कार्यकाल में राष्ट्रपति बनते हैंं तो यह भारत के लिए अच्छा ही कहा जाएगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार